Tuesday 17 May 2022

‘पिक एंड चूज़’ इंडो-पैसिफिक इकॉनोमिक फ्रेमवर्क (Pick-and-choose Indo-Pacific economic framework)

 ‘इंडो-पैसिफिक इकॉनोमिक फ्रेमवर्क’ (IPEF) के बारे में:

वर्ष 2021 में घोषित, ‘इंडो-पैसिफिक इकॉनोमिक फ्रेमवर्क’ (IPEF) का उद्देश्य परस्पर सहयोग के लिए ‘क्षेत्रीय मानक’ निर्धारित करना, तथा इसमें ‘दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ’ (ASEAN) अर्थात ‘आसियान’ के सदस्य देशों को शामिल करना हैं।

  • यह फ्रेमवर्क, ‘महत्वपूर्ण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र’ के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की आर्थिक प्रतिबद्धता के बारे में उठने वाले सवालों का बिडेन प्रशासन द्वारा दिया जाने वाला जवाब है।
  • IPEF का निर्माण, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं की ओर ले जाकर, चीन की बाजार से “अलग” होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है।

‘इंडो-पैसिफिक इकॉनोमिक फ्रेमवर्क’ के चार “स्तंभ”:

  1. निष्पक्ष और अनुकूलित व्यापार (श्रम, पर्यावरण और डिजिटल मानकों सहित सात उप-विषयों को शामिल करते हुए)
  2. आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन
  3. इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वच्छ ऊर्जा और डीकार्बोनाइजेशन
  4. कर और भ्रष्टाचार-रोधी

भारत के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का सामरिक महत्व:

  • सामरिक महत्व: इंडो-पैसिफिक एक बहुध्रुवीय क्षेत्र है, और यह क्षेत्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद और विश्व की आधी से अधिक जनसंख्या के लिए जिम्मेदार है।
  • खनिज संसाधन: समुद्री क्षेत्र भी, महत्पूर्ण संसाधनों जैसेकि मछली, खनिज, और अपतटीय तेल और गैस के लिए महत्वपूर्ण भंडारण क्षेत्र बन गए हैं।
  • आर्थिक विकास: ‘भारत-प्रशांत क्षेत्र’ का सकल घरेलू उत्पाद’, कुल ‘विश्व सकल घरेलू उत्पाद’ का लगभग 60% है, जोकि इसे वैश्विक विकास में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बनाता है।
  • वाणिज्य: वैश्विक व्यापार के लिए दुनिया के कई सबसे महत्वपूर्ण ‘चोक पॉइंट’ इस क्षेत्र में स्थित हैं, जिनमें वैश्विक आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण ‘मलक्का जलडमरूमध्य’ भी शामिल है।

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