Tuesday 17 May 2022

WHO में सुधारों की आवश्यकता

 WHO में सुधारों की आवश्यकता:

  • कोरोनावायरस बीमारी (कोविड -19) के विकास और प्रसार ने, क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सहयोग बढ़ाने, विशेष रूप से डब्ल्यूएचओ में सुधार किए जाने संबंधी अनुरोधों को प्रेरित किया है।
  • WHO भी ‘वैश्विक शक्ति-खेल’ के प्रति निरापद / प्रतिरक्षित नहीं है। अमेरिका और चीन जैसे शक्तिशाली देश, इसके निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
  • वित्त पोषण संबंधी मुद्दे: WHO के बजट का मात्र ‘एक चौथाई’ संयुक्त राष्ट्र के सदस्य-देशों के योगदान से आता है, और इसके कार्यों को संचालित करने के लिए ‘वास्तविक धन’ सदस्य देशों और संगठनों द्वारा स्वैच्छिक वित्त पोषण से प्राप्त होता है।
  • डब्ल्यूएचओ की संस्थागत व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य में वैश्विक सहयोग को मजबूती से आगे बढ़ाने और विकासशील देशों को वास्तविक समय में समर्थन देने में सक्षम होनी चाहिए।
  • WHO या कोई अन्य बहुपक्षीय संगठन ‘ड्रग्स रिसर्च’ में शामिल नहीं है।

सुझाए गए सुधार:

  • WHO के कार्यकारी बोर्ड (Executive Board) को एक स्थायी निकाय बनाया जाना चाहिए, जिसमें निर्वाचित देशों के जिनेवा में तैनात ‘स्थायी प्रतिनिधि’ शामिल हों।
  • आवश्यकता पड़ने पर कार्यकारी बोर्ड को बैठक करनी चाहिए और डब्ल्यूएचओ द्वारा सीधी कार्रवाई करनी चाहिए।
  • कार्यकारी बोर्ड को केवल भौगोलिक प्रतिनिधित्व से आगे जाने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्रमुख हितधारक जैसे कि सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और सर्वाधिक आबादी वाले देश इस निकाय में हमेशा बने रहें।
  • डब्ल्यूएचओ को नई दवाओं की शुरुआत करने और विकसित देशों में दवा अनुसंधान को शुरू करने में शामिल होना चाहिए।
  • संकट के समय में, ‘विश्व व्यापार संगठन’ जैसे अन्य निकायों के साथ डब्ल्यूएचओ को प्रमुख दवाओं तक सस्ती पहुंच बनाने के तरीके खोजने चाहिए।
  • सदस्य देशों द्वारा संगठन के अनिवार्य वित्त पोषण में वृद्धि की जानी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सुधारों के लिए भारत की नौ सूत्री योजना में शामिल हैं:

  1. सीमा पार करने में सक्षम ‘स्वास्थ्य आपात स्थितियों’ की निगरानी के लिए तंत्र में परिवर्तन।
  2. इस संयुक्त राष्ट्र निकाय के प्रमुख को अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के लिए अधिक शक्ति दी जानी चाहिए।
  3. निकाय के वित्त पोषण और शासन में परिवर्तन और सुधार।
  4. निधियों के उपयोग में पारदर्शिता।
  5. कोविड-19 टीकों के लिए उचित, वहनीय और न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करने में विश्व निकाय के लिए एक बड़ी भूमिका।
  6. डब्ल्यूएचओ के नियमित बजट को भी बढ़ाया जाना चाहिए ताकि विकासशील देशों पर भारी वित्तीय बोझ डाले बिना मुख्य गतिविधियों को “इसके द्वारा वित्तपोषित किया जा सके”।
  7. चूंकि डब्ल्यूएचओ के पास इन फंडों का उपयोग करने में लचीलापन बहुत कम है, इसलिए स्वैच्छिक योगदान “यह सुनिश्चित करने के लिए चिह्नित होना चाहिए कि डब्ल्यूएचओ के पास उन क्षेत्रों में इसके उपयोग के लिए आवश्यक लचीलापन हो, जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

No comments: