Saturday 15 February 2020

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सोशल मीडिया पर संसद और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को रोकने के लिए मैकेनिज्म तैयार करे सरकार - सुप्रीम कोर्ट
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 सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोशल मीडिया (Social Media) पर संसद और सुप्रीम कोर्ट  जैसी संस्थाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों  को रोकने के लिए केंद्र, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और एनजीओ को एक मैकेनिज्म तैयार करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (Chief Justice SA Bobde), जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और सिद्धार्थ लूथरा आदि को इसके लिए सहयोग करने के लिए कहा है. पीठ ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ अनुचित टिप्पणियों के साथ-साथ इन नेटवर्क के माध्यम से ऐसी टिप्पणियों के प्रसार को रोकने के लिए भी कदम सुझाए जाएं.

CJI ने कहा कि जहां तक ​​कानून का सवाल है, दो तरह की टिप्पणियां हैं, एक अवैयक्तिक है जबकि दूसरी दोषपूर्ण है. ऐसे उदाहरण हैं जहां संसद और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं को अपमानजनक टिप्पणियों के साथ बदनाम किया जाता है. यह पता लगाया जाना चाहिए कि इस तरह की टिप्पणियों का प्रसार कैसे रोका जा सकता है?  सिब्बल (Kapil Sibbal) ने कहा कि वह पीठ के दृष्टिकोण से सहमत हैं और मेहता ने कहा कि सरकार सभी हितधारकों के साथ तालमेल रखते हुए इस पर विचार करेगी.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट NGO प्रज्जवला द्वारा सुप्रीम कोर्ट को चाइल्ड पोर्न और यौन उत्पीड़न वीडियो के प्रसार पर लिखी चिट्ठी पर लिए गए संज्ञान मामले में सुनवाई कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यौन अपराध सामग्री, विशेष रूप से चाइल्ड पोर्न और रेप के वीडियो के प्रसार के लिए साइबर अपराध पोर्टल स्थापित करने के लिए कहा था.

NGO के वकील ने कहा कि गृह मंत्रालय एनजीओ सहित अन्य हितधारकों की मीटिंग नहीं कर रहा है जबकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी, रेप और गैंग रेप वीडियो और साइट्स व प्लेटफॉर्म और अन्य एप्लिकेशन को खत्म करने के लिए गाइडलाइंस और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया जा सके. भट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आजकल एक नया ट्रेंड दिखाई दे रहा है, जहां नाराज प्रेमी बदला लेने के लिए पोर्न का सहारा लेते हैं और अपने साथी की अंतरंग तस्वीरें पोस्ट कर देते हैं.

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