दैनिक समसामयिकी
15 February 2020(Saturday)
NATIONAL
1.फांसी की सजा पर सुनवाई की समय सीमा तय
• अब फांसी की सजा पाए अपराधियों की सुप्रीम कोर्ट में अपील अनिश्चितकाल तक नहीं लटकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने फांसी के मामलों में अपील पर सुनवाई के दिशा निर्देश जारी किए हैं, जिसमें ऐसे मामलों में छह माह के भीतर सुनवाई करने की समयसीमा तय की है। अभी तक किसी अपील को स्वीकारने के बाद भी सुनवाई होने में वर्षो तक की देरी हो जाती थी।
• निर्भया मामले को लटकाने की दोषियों की चाल के मद्देनजर यह अहम कदम है। सुप्रीम कोर्ट के तय दिशा निर्देशों में कहा गया है कि जिन मामलों में हाई कोर्ट ने फांसी की सजा पर मुहर लगा दी हो और हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को सुप्रीम कोर्ट ने विचारार्थ स्वीकार कर लिया हो, उन याचिकाओं को छह माह के अंदर तीन जजों की पीठ के सामने सुनवाई पर लगाया जाएगा।
• इसके अलावा जिन मामलों में फांसी की सजा के खिलाफ दोषी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की जाती है, उनमें एसएलपी दाखिल होते ही सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री उस न्यायालय को संदेश भेजकर केस से जुड़े प्रमाणपत्र व मूल रिकॉर्ड 60 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट भेजने को कहेगी। या फिर जो समय सुप्रीम कोर्ट तय करे उसके भीतर रिकॉर्ड भेजने के लिए कहेगा।
• जैसे ही कोर्ट अपील सुनवाई के लिए स्वीकार करता है वैसे ही रजिस्ट्री पक्षकारों से दस्तावेज दाखिल करने को कहेगी और पक्षकार रजिस्ट्री के सूचित करने के 30 दिन के भीतर दस्तावेज दाखिल कर देंगे। रिकॉर्ड प्राप्त न होने या अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल न होने की स्थिति में उस केस की आफिस रिपोर्ट जज के सामने रखी जाएगी।
• निर्भया कांड के दोषियों की फांसी में देरी पर चर्चा व लोगों का व्यवस्था से विश्वास उठने की दलीलों के बीच कोर्ट के इस प्रयास को त्वरित न्याय की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखा जा रहा है।
2. दागियों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का होगा पालन: चुनाव आयोग
• सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने कहा कि वह राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुले दिल से स्वागत करता है। दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने के संबंध में कहा, उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड पर जल्द मौजूदा नियमों में बदलाव किए जाएंगे। आयोग ने आश्वासन दिया कि वह चुनावी लोकतंत्र में सुधार के लिए नए नैतिक मापदंड तैयार करेगा।
• चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कहा कि वह चुनावी लोकतंत्र की बेहतरी के लिए नए नैतिक मापदंड तय करने में कसर बाकी नहीं रखेगा और ऐसे कदम उठाएगा जो दूरगामी होंगे। आयोग ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए मतदाताओं की जानकारी के लिए उम्मीदवारों और संबंधित दलों के सदस्यों पर दर्ज आपराधिक मामलों के प्रचार को सुनिश्चित करने के लिए 10 अक्टूबर 2018 के निर्देशों में बदलाव करेगा।
• आयोग ने बयान जारी कर कहा कि मतदाताओं को ऐसे प्रत्याशियों और उनके राजनीतिक दलों की ओर से दी जाने वाली जानकारियों के संबंध में नई नियमावली लागू करेगा। दरअसल, अक्टूबर, 2018 के दिशा-निर्देशों को नवंबर, 2018 से सभी चुनाव में लागू किया जा रहा है।
• कोर्ट ने दागी उम्मीदवारों के आपराधिक आंकड़ों की जानकारी चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया था।अक्टूबर 2018 में चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के लिए आदेश दिया था कि वो अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामले का विज्ञापन चुनाव के दौरान कम से कम तीन बार टेलीविजन और अखबारों में प्रकाशित और प्रसारित कराएं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया था कि उम्मीदवारों को अपने आपराधिक मामले को टीवी व अखबारों में विज्ञापन देने का खर्च स्वयं वहन करना होगा क्योंकि यह चुनावी खर्च की श्रेणी में आता है।
• कोर्ट ने दलों को दिए थे निर्देश : भारतीय राजनीति के अपराधीकरण को खत्म करने के लिए गत गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए सभी दलों से कहा था कि वह अपनी वेबसाइटों, अखबारों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा दें।
• साथ ही यह भी बताएं कि आपराधिक रिकार्ड वाले उम्मीदवार को पार्टी ने क्यों चुना और बिना आपराधिक रिकार्ड वाले किसी पार्टी सदस्य को टिकट क्यों नहीं दिया।
INTERNATIONAL/BILATERAL
3. 11 वर्ष बाद, लेकिन सही वक्त पर आए पुर्तगाल के राष्ट्रपति सौसा
• तकरीबन 11 वर्षो बाद पुर्तगाल के राष्ट्रपति का भारत दौरा हुआ है, लेकिन यह बिल्कुल सही समय पर हुआ है। सही समय इसलिए, क्योंकि पुर्तगाल अगले वर्ष यूरोपीय संघ का मुखिया बनने वाला है। यूरोपीय संघ के साथ भारत के रिश्ते अभी जितने महत्वपूर्ण हो गए हैं, उसे देखते हुए पुर्तगाल के साथ रिश्तों में गर्माहट का अपना खास महत्व होगा।
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