Saturday 15 February 2020

अर्थ गंगा परियोजना

#अर्थ_गंगा_परियोजना
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🌺संदर्भ?
जहाज़रानी मंत्रालय (Ministry Of Shipping) के अनुसार, अर्थ-गंगा परियोजना (Arth-Ganga Project) से गंगा नदी के किनारे आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

🌺अर्थ-गंगा के बारे में:

#पृष्ठभूमि:
दिसंबर 2019 में संपन्न हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद (National Ganga Council- NGC) की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री ने गंगा नदी से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही ‘नमामि गंगे’ परियोजना को ‘अर्थ-गंगा’ जैसे एक सतत् विकास मॉडल में परिवर्तित करने का आग्रह किया था।

#अर्थ_गंगा:
•इस प्रक्रिया में किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसमें शून्य बजट खेती, फलदार वृक्ष लगाना और गंगा के किनारों पर पौध नर्सरी का निर्माण करना शामिल है।
•इन कार्यों के लिये महिला स्व-सहायता समूहों और पूर्व सैनिक संगठनों को प्राथमिकता दी जाएगी।
•जल से संबंधित खेलों के लिये बुनियादी ढाँचे के विकास और शिविर स्थलों के निर्माण, साइकिलिंग एवं टहलने के लिये ट्रैकों आदि के विकास से नदी बेसिन क्षेत्रों में धार्मिक तथा साहसिक पर्यटन जैसी महत्त्वपूर्ण पर्यटन क्षमता बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
•पारिस्थितिक पर्यटन और गंगा वन्यजीव संरक्षण एवं क्रूज पर्यटन आदि को प्रोत्साहन देने से अर्जित आय को गंगा स्‍वच्‍छता के लिये आय का स्थायी स्रोत बनाने में सहायता मिलेगी।

#महत्त्व
•अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास "अर्थ-गंगा" परियोजना के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है।
•जलमार्गों के विकास का नदियों के तटों और पारिस्थितिकी तंत्र दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
•न केवल समावेशी विकास बल्कि राष्ट्रीय जलमार्ग से संबंधित क्षेत्र में रोज़गारों के सृजन में भी इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
•अर्थ-गंगा परियोजना किसानों, छोटे व्यापारियों और ग्रामीणों के लिये आर्थिक और समावेशी विकास को बढ़ावा देगी।
•भारत लगभग आधी आबादी गंगा नदी क्षेत्र के आसपास अधिवासित है। जो कि भारत के समग्र माल भाड़े का लगभग 20% भाग प्राप्ति का स्रोत है तथा एक-तिहाई गंतव्य का क्षेत्र है।

👉सरकार द्वारा उठाए गए कदम और उनकी महत्ता:

•राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (बनारस से हल्दिया तक के 1400 किमी० क्षेत्र में) पर किसानों, व्यापारियों और आम जनता के लिये कई प्रकार की गतिविधियाँ, जैसे- छोटे घाटों (Jetties) आदि का विकास किया गया है।
•परिणामस्वरूप इससे किसानों को अपनी उपज के लिये बेहतर लाभ मिलेगा क्योंकि माल का परिवहन आसान और वहनीय होगा।
•इसके अलावा इससे ईज़ ऑफ लिविंग (Ease of Living) में वृद्धि और व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) होगी।
•भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India- IWAI) माल/कार्गो के आसान और लागत प्रभावी परिवहन के लिये छोटे- छोटे घाटों (Jetties) और 10 रो-रो जहाज़ों को तैनात कर रहा है। जैसा कि नीचे दर्शाया गया है।
•इसके अलावा जहाज़रानी मंत्रालय अंतर्देशीय जलमार्ग के साथ तालमेल बनाने के उद्देश्य से वाराणसी (उत्तर प्रदेश) फ्रेट विलेज और साहिबगंज (झारखंड) औद्योगिक क्लस्टर-सह-लॉजिस्टिक्स पार्क को 200 करोड़ रुपए की लागत से विकसित कर रहा है।
•यह विशेष क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देते हुए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार पैदा करेगा।

#अन्य_तथ्य:
•भारत एक राष्ट्र के रूप में आर्थिक परिवर्तन हेतु सदैव नेपाल का समर्थन करता रहा है।
•राष्ट्रीय जलमार्ग- 1 त्रिपक्षीय तरीके से {वाराणसी से नौतनवा (280 किमी), रक्सौल (204 किमी) और साहिबगंज विराटनगर (233 किमी)} नेपाल के साथ संबंधों को सुधारने के लिये एक मुख्य संघटन के रूप में कार्य करेगा।
•इससे पहले नेपाल माल परिवहन के लिये कोलकाता और विशाखापत्तनम पोर्ट से जुड़ा था।
•अब भारत और नेपाल सरकार के मध्य कार्गो के पारगमन के लिये संधि (Treaty for Transit of Cargo) के तहत अंतर्देशीय जलमार्ग, विशेष रूप से NW-1 को अनुमति दी जाएगी।
•इससे न केवल लॉजिस्टिक लागत घटेगी बल्कि कोलकाता पोर्ट पर भीड़ भी कम होगी।

#राष्ट्रीय_गंगा_परिषद (National Ganga Council- NGC):
•इसकी स्थापना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (Environment (Protection) Act (EPA),1986) के तहत की गई थी।
•NGC की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
इसका कार्य गंगा और उसकी सहायक नदियों सहित गंगा नदी बेसिन के प्रदूषण निवारण और कायाकल्प का अधीक्षण करना है।
•राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga- NMCG), राष्ट्रीय गंगा परिषद के कार्यान्वयन शाखा के रूप में कार्य करता है।
•NMCG की स्थापना वर्ष 2011 में एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी।

#स्रोत: #PIB

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