नदियों को इंटरलिंक करने के लिए गठित विशेष समिति की स्थिति-सह-प्रगति रिपोर्ट:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को 1 जुलाई 2016 से 31 मार्च 2018 के बीच नदियों को इंटरलिंक करने के लिए गठित विशेष समिति की रिपोर्ट से अवगत कराया गया।
नदियों को इंटरलिंक करने की प्रगति रिपोर्ट 2002 की रिट याचिका (दीवानी) – 512: ‘नदियों की नेटवर्किंग’ के साथ-साथ 2002 की रिट याचिका संख्या 668 के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 27 फरवरी 2012 के फैसले के संदर्भ में तैयार की गई है।
इसके तहत केंद्र सरकार को नदियों को इंटरलिंक करने के लिए एक विशेष समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था। नदियों को इंटरलिंक करने के लिए गठित इस विशेष समिति की प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत करना जरूरी है।
आईएलआर पर विशेष समिति की स्थिति रिपोर्ट में इन तीन क्षेत्रों में हुई प्रगति की जानकारी दी गई है – केन-बेतवा लिंक, दमनगंगा-पिंजल लिंक और पारा-तापी-नर्मदा लिंक। इसके अलावा 1980 की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत पहचान की गई अन्य हिमालयी एवं प्रायद्वीपीय लिंक।
नदियों को आपस में जोड़ने की योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। रिवर इंटरलिंकिंग के ज़रिए देशभर में जलाशयों और नहरों के नेटवर्क के माध्यम से नदियों को आपस में जोड़ा जाना है।
इस योजना के तहत गंगा सहित करीब 60 नदियों को जोड़ा जाना है। इसके लिए पीएम मोदी की ओर से 5.5 लाख करोड़ के बजट का प्रावधान है। इस प्रोजेक्ट का मकसद यह है कि जिन जगहों में पानी ज्यादा है, वहां से ऐसे इलाकों में पानी भेजा जाए जहां पर सूखा पड़ता है। रिवर इंटरलिंकिंग से किसानो की सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भरता को कम होगी।
उद्देश्य:
इस प्रोजेक्ट के पीछे की वजह देश में सूखे और बाढ़ की समस्या को दूर करने का लक्ष्य है। इस राष्ट्रीय योजना के जरिए करीब 15 लाख एकड़ फीट या 185 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी के भंडारण करने की योजना है।
कार्यान्वन:
इस प्रोजेक्ट की निगरानी जल संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली राष्ट्रीय जल विकास एंजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) करेगी। इस प्रोजेक्ट को तीन चरणों में बांटा गया है:
उत्तरी हिमालय नदी इंटरलिंक परियोजना
दक्षिणी पेंनिंसुलर कांपोनेंट
अंतरराज्यीय नदी लिंक परियो:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को 1 जुलाई 2016 से 31 मार्च 2018 के बीच नदियों को इंटरलिंक करने के लिए गठित विशेष समिति की रिपोर्ट से अवगत कराया गया।
नदियों को इंटरलिंक करने की प्रगति रिपोर्ट 2002 की रिट याचिका (दीवानी) – 512: ‘नदियों की नेटवर्किंग’ के साथ-साथ 2002 की रिट याचिका संख्या 668 के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 27 फरवरी 2012 के फैसले के संदर्भ में तैयार की गई है।
इसके तहत केंद्र सरकार को नदियों को इंटरलिंक करने के लिए एक विशेष समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था। नदियों को इंटरलिंक करने के लिए गठित इस विशेष समिति की प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत करना जरूरी है।
आईएलआर पर विशेष समिति की स्थिति रिपोर्ट में इन तीन क्षेत्रों में हुई प्रगति की जानकारी दी गई है – केन-बेतवा लिंक, दमनगंगा-पिंजल लिंक और पारा-तापी-नर्मदा लिंक। इसके अलावा 1980 की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत पहचान की गई अन्य हिमालयी एवं प्रायद्वीपीय लिंक।
नदियों को आपस में जोड़ने की योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। रिवर इंटरलिंकिंग के ज़रिए देशभर में जलाशयों और नहरों के नेटवर्क के माध्यम से नदियों को आपस में जोड़ा जाना है।
इस योजना के तहत गंगा सहित करीब 60 नदियों को जोड़ा जाना है। इसके लिए पीएम मोदी की ओर से 5.5 लाख करोड़ के बजट का प्रावधान है। इस प्रोजेक्ट का मकसद यह है कि जिन जगहों में पानी ज्यादा है, वहां से ऐसे इलाकों में पानी भेजा जाए जहां पर सूखा पड़ता है। रिवर इंटरलिंकिंग से किसानो की सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भरता को कम होगी।
उद्देश्य:
इस प्रोजेक्ट के पीछे की वजह देश में सूखे और बाढ़ की समस्या को दूर करने का लक्ष्य है। इस राष्ट्रीय योजना के जरिए करीब 15 लाख एकड़ फीट या 185 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी के भंडारण करने की योजना है।
कार्यान्वन:
इस प्रोजेक्ट की निगरानी जल संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली राष्ट्रीय जल विकास एंजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) करेगी। इस प्रोजेक्ट को तीन चरणों में बांटा गया है:
उत्तरी हिमालय नदी इंटरलिंक परियोजना
दक्षिणी पेंनिंसुलर कांपोनेंट
अंतरराज्यीय नदी लिंक परियो
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