अलफांसो आम को मिला जी.आई टैग
महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, पालघर, ठाणे और रायगढ़ ज़िलों के अल्फांसो आम को भौगोलिक संकेत (Geographical Indication- GI) टैग प्रदान किया गया है।
अलफांसों आम को फलों का राजा माना जाता है तथा महाराष्ट्र में इसे ‘हापुस’ नाम से भी जाना जाता है।
अपने स्वाद ही नहीं बल्कि सुगंध और रंग के चलते इस आम की माँग भारतीय बाज़ारों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में भी है।
भौगौलिक संकेत और उनका महत्त्व
भौगोलिक संकेत (Geographical Indication) का इस्तेमाल एक ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिसका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषताएँ एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।
उदाहरण के तौर पर- दार्जिलिंग की चाय, महाबलेश्वर की स्ट्राबेरी, जयपुर की ब्लू पोटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध भौगोलिक संकेत हैं।
भौगोलिक संकेत किसी भी देश की प्रसिद्धि एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार के कारक होते हैं। किसी भी देश की प्रतिष्ठा में इनका अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान होता हैं। वस्तुतः ये भारत की समृद्ध संस्कृति और सामूहिक बौद्धिक विरासत का एक अभिन्न अंग हैं।
विशिष्ट प्रकार के उत्पादों को जी.आई. टैग प्रदान किये जाने से दूरदराज़ के क्षेत्रों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिला है।
पहली बार वर्ष 2004 में भौगौलिक संकेत टैग दार्जिलिंग चाय को मिला था।
भारत में अभी तक कुल 325 उत्पादों को जी.आई टैग मिल चुका है।
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