Tuesday, 24 November 2020

सेंटिनल-6 सेटेलाइट

 ‘कोपर्निकस सेंटिनल-6 माइकल फ्रीलीच उपग्रह’ (Copernicus Sentinel-6 Michael Freilich satellite) का निर्माण महासागरों की निगरानी के लिए किया गया है।

  • इसे, हाल ही में, कैलिफोर्निया से स्पेसएक्स फाल्कन रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया है।
  • यह वैश्विक समुद्रीय स्तर में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी करने हेतु एक मिशन का एक हिस्सा है।

सेंटिनल-6 मिशन (Sentinel-6 Mission)

इस मिशन को जेसन निरंतरता सेवा (Jason Continuity of ServiceJason-CS) मिशन भी कहा जाता है।

  • इस मिशन को ‘महासागरों की ऊंचाई’ को मापने हेतु तैयार किया गया है, जो कि, पृथ्वी की जलवायु में होने वाले परिवर्तनों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है।
  • सेंटिनल-6 मिशन को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA), नासा (NASA), मौसम संबंधी उपग्रहों के उपयोग हेतु यूरोपीय संगठन (European Organisation for the Exploitation of Meteorological Satellites -EUMETSAT) और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय एडमिनिस्ट्रेशन (National Oceanic and Atmospheric Administration – NOAA) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। इसमें फ़्रांस के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अध्ययन केंद्र (France’s National Centre for Space Studies -CNES) द्वारा सहयोग किया गया है।

सेंटिनल-6 उपग्रह का कार्य

  • वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि संबंधी आंकड़े प्रदान करना।
  • स्पंदनो (Pulses) को पृथ्वी की सतह पर भेजना और उनके वापस लौटने में लगे समय की माप करना, इससे वैज्ञानिकों को समुद्रीय सतह की ऊँचाई मापने में मदद मिलेगी।
  • मार्ग में उपस्थित जल वाष्प की माप करना और जीपीएस और पृथ्वी पर स्थित लेजर का उपयोग करके इसकी अवस्थिति का पता लगाना।

मिशन का महत्व:

सेंटिनल-6 मिशन द्वारा उपलब्ध कराये गए आंकड़ों से अल-नीनो और ला लीना जैसी मौसमी स्थितियों के लिए दीर्घकालिक पूर्वानुमान और दो-से-चार-सप्ताह के दौरान (हरिकेन तीव्रता भविष्यवाणी) अल्पकालिक मौसम की भविष्यवाणी हेतु सटीकता में सुधार करने में सहायता प्रदान करेंगे।

महासागरों की ऊंचाई को मापना क्यों महत्वपूर्ण है?

  • वैश्विक स्तर पर महासागरों की ऊंचाई की निगरानी करना और अंतरिक्ष से महासागरीय धाराओं और उष्मा भंडारण में होने वाले महत्वपूर्ण परिवर्तनों की निगरानी करना केवल अंतरिक्ष से संभव हो सकता है।
  • इससे वैज्ञानिकों को महासागरों में होने वाले परिवर्तनों से जलवायु पर पड़ने वाले प्रभाव को आंकने में सहायता मिलती है।
  • महासागरीय ताप बजट में परिवर्तनों को मापने और उनका अध्ययन करने हेतु, वैज्ञानिकों को महासागरीय धाराओं और उष्मा भंडारण को जानने की आवश्यकता होती है, जिसे सागरीय सतह की ऊंचाई से ही निर्धारित किया जा सकता है।

वैश्विक स्तर पर महासागरों में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए वर्ष 1992 से लांच किये गए अन्य उपग्रहों में टोपेक्स/ पोसेइडॉन (TOPEX/Poseidon), जैसन-1 (Jason-1), OSTN/Jason-2 शामिल हैं।

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