भारत द्वारा शीघ्र ही एक महत्वाकांक्षी ‘डीप ओशन मिशन‘ (Deep Ocean Mission) की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किए जा रहे हैं।
भारत का ‘डीप ओशन मिशन’
‘डीप ओशन मिशन’ (Deep Ocean Mission) के तहत, 35 साल पहले इसरो द्वारा शुरू किये गए अंतरिक्ष अन्वेषण के समान गहरे महासागर में अन्वेषण करने का प्रस्ताव किया गया है।
- यह मिशन, गहरे समुद्र में खनन, समुद्री जलवायु परिवर्तन संबंधी सलाहकारी सेवाओं, अन्तर्जलीय वाहनों एवं अन्तर्जलीय रोबोटिक्स संबंधी प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित होगा।
- रिपोर्ट के अनुसार, ‘डीप ओशन मिशन’ में दो प्रमुख परियोजनाओं, ज्वारीय ऊर्जा द्वारा संचालित एक विलवणीकरण संयंत्र (Desalination Plant) तथा कम से कम 6,000 मीटर की गहराई पर अन्वेषण करने में सक्षम एक पनडुब्बी वाहन (Submersible Vehicle) को सम्मिलित किया गया है।
महत्व:
- यह मिशन भारत के विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ में अन्वेषण करने संबंधी प्रयासों को बढ़ावा देगा।
- यह योजना भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin– CIOB) में संसाधनों का दोहन करने की क्षमता विकसित करने में सक्षम बनाएगी।
संभावनाएं:
भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (Polymetallic nodules– PMN) अन्वेषण के लिये संयुक्त राष्ट्र सागरीय नितल प्राधिकरण (UN International Sea Bed Authority for exploration) द्वारा 75,000 वर्ग किलोमीटर का आवंटन किया गया है।
- मध्य हिंद महासागर बेसिन क्षेत्र में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं के भण्डार हैं।
- अनुमानित है कि, इस विशाल भण्डार के मात्र 10% दोहन से भारत की अगले 100 वर्षों के लिए ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं।
पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (PMN)
- पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (जिन्हें मैंगनीज नॉड्यूल्स भी कहा जाता है) आलू के आकार के तथा प्रायः छिद्रयुक्त होते हैं। ये विश्व महासागरों में गहरे समुद्र तलों पर प्रचुर मात्रा में बिछे हुए पाए जाते हैं।
- अवगठन: पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स में मैंगनीज और लोहे के अलावा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, सीसा, मोलिब्डेनम, कैडमियम, वैनेडियम, टाइटेनियम पाए जाते है, जिनमें से निकल, कोबाल्ट और तांबा आर्थिक और सामरिक महत्व के माने जाते हैं।
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