Thursday, 13 February 2020

दीनबंधु सी एफ एंड्रयूज

दीनबंधु सी एफ एंड्रयूज 

 भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय लोगों के साथ-साथ विदेशी लोगों ने भी बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई।

 ऐसे ही विदेशी लोगों में एक नाम सी एफ एंड्रयूज का है जो अपना परिचय एक भारतीय के रूप में देते थे।

 इनका जन्म 12 फरवरी 1871 को इंग्लैंड में हुआ था। वे एक ईसाई मशीनरी, शिक्षक और समाज सुधारक थे।  आरंभिक काल में  उन्होंने ब्रिटेन में सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

 भारत आने के बाद इन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में अध्यापन कार्य किया इसी समय दीनबंधु भारतीय समाज सुधारको एवं स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओं जैसे दादाभाई नरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय  और रविंद्रनाथ टैगोर के संपर्क में आए।  दीनबंधु गांधीजी के अभिन्न मित्र थे और शायद वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो  गांधीजी को 'मोहन' कह कर संबोधित करते थे।

 देखते ही देखते सी एफ एंड्रयूज भारतीय संस्कृति में समाहित हो गए। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को न केवल समर्थन दिया बल्कि ब्रिटिश नीतियों का भी जमकर विरोध किया। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के लिए ब्रिटिश सरकार को दोषी ठहराते हुए जनरल ओ डायर के कुकृत्य को 'जानबूझकर किया गया जघन्य हत्याकांड' बतलाया। इन्होंने भारतीय नेताओं द्वारा चलाए गए कई आंदोलनों में भाग लिया। 1925 एवं 1927 में  ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए। भीमराव अंबेडकर के साथ हरिजनों की मांग का समर्थन किया एवं अछूतों के उद्धार के लिए चल रहे आंदोलन में सक्रिय योगदान दिया।

 गरीब व असहाय के प्रति उनकी संवेदना के कारण दीनबंधु के संबोधन से अलंकृत किया गया था। इन्होंने शांतिनिकेतन में 'हिंदी भवन' की स्थापना की। 5 अप्रैल 1946 को कोलकाता में सी एफ एंड्रयूज का निधन हो गया।

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