शायद ही कोई ऐसा वक्त बीतता हो जब महीने दो महीने बाद बच्चों से भरी किसी स्कूल वैन या बस के हादसे की रुला देने वाली तस्वीरें सामने न आती हों. अगर बीते 6 दिनों पर ही निगाह डालें तो एक तेज रफ्तार बस ने स्कूल वैन को टक्कर मार दी. इस टक्कर में 7 बच्चों की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
मंगलवार को दिल्ली के तिमारपुर इलाके में एक स्कूल वैन को लोडिंग ऑटो ने पीछे से टक्कर मार दी. एक बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई और कई बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए. यूपी के कुशीनगर में ट्रेन से टकरा जाने के बाद स्कूल वाहन और उसमे बैठे बच्चों का जो हाल हुआ था वो भी कोई ज्यादा पुराना मामला नहीं है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि इस सबमे गलती सिर्फ वैन ड्राइवर की है. एआरटीओ के पद से रिटायर्ड एनके यादव बताते हैं, “जब हम स्कूल वैन की चेकिंग करते थे तो एक वैन में 18 से 22 तक बच्चे बैठे हुए मिलते थे. बैठे क्या होते थे बच्चों को तो भूसे की तरह से ठूसा जाता था. यहां तक की गैस सिलेंडर के ऊपर भी बच्चे बैठा दिए जाते थे.
जबकि सुपीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार एक वैन में 10 से 12 तक ही बच्चे बैठाए जा सकते हैं. और गैस सिलेंडर के ऊपर किसी भी तरह की सीट लगाकर बच्चों को न बैठाने के सख्त आदेश हैं. लेकिन होता एकदम इसके उलट है.”
No comments:
Post a Comment