संसद में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) विधयेक पारित
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राज्यसभा ने 06 अगस्त 2018 को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) विधेयक, 2017 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया.
केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने राज्य सभा में संविधान (123वां संशोधन) विधेयक, 2017 और लोकसभा द्वारा किए गए संशोधनों को पेश किया. इस संशोधन विधेयक से लोकसभा द्वारा पारित राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 निरस्त हो जाएगा.
यह विधेयक राज्य सभा द्वारा 31 जुलाई 2017 को अपनी बैठक में एक संशोधन (धारा-3 के बिना) के साथ पारित किया गया था. इसे लोकसभा में उसकी सहमति के लिए प्रेषित किया गया था. लोकसभा ने 02 अगस्त 2018 को अपनी बैठक में वैकल्पिक संशोधनों और आगे के संशोधनों के साथ विधेयक को पारित कर दिया था.
विधेयक से संबंधित मुख्य तथ्य:
संवैधानिक दर्जा मिलने से आयोग एक स्वायत्त संस्था के तौर पर काम कर सकेगा.
यह विधेयक एनसीबीसी को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के बराबर संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है.
सरकार के संशोधनों के साथ आया विधेयक अत्यधिक सक्षम है और आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद आयोग पूरी तरह सशक्त होगा.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग क्या है और इसके काम क्या है?
ये आयोग सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए है. इस आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे. इसमें कम से कम एक महिला होगी. आयोग एक स्वायत्त संस्था के तौर पर काम करेगा.
ये आयोग पिछड़े वर्गों से जुड़ी शिकायतों की जांच करेगा. अब पिछड़ी जातियों की समस्याओं का निपटारा हो सकेगा. इस आयोग का गठन वर्ष 1993 में किया गया था. ओबीसी तबके में जातियों को जोड़ने या हटाने के लिए राज्यपाल से परामर्श लेने का प्रस्ताव हटा. अब राज्य सरकारों से ही परामर्श लेने का प्रावधान जोड़ा गया है.
राज्य अपने लिए ओबीसी जातियों का निर्णय करने के बारे में स्वतंत्र हैं. यदि राज्य किसी जाति को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करना चाहते हैं तो वे सीधे केंद्र या आयोग को भेज सकते हैं.
आयोग पिछड़े वर्गो के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भाग लेगा और सलाह देगा. आयोग सलाहकार नहीं बल्कि भागीदार की भूमिका में होगा.
संघ और प्रत्येक राज्य सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को प्रभावित करने वाले सभी मुख्य नीति विषयक मामलों पर आयोग से परामर्श करेगी.
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