Saturday, 1 February 2020

महान राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, शिक्षाविद, महान स्वतंत्रता सेनानी `पंजाब केसरी' लाला लाजपत राय

महान राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, शिक्षाविद, महान स्वतंत्रता सेनानी `पंजाब केसरी' #लाला_लाजपत_राय जी की #जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले, बाल-लाल-पाल त्रयी के स्वतंत्रता आन्दोलन में संकलित राष्ट्रीय योगदान में लाला लाजपत राय का सम्माननीय स्थान है। उनका मानना था कि राजनीतिक प्रभुत्व आर्थिक शोषण की ओर ले जाता है। आर्थिक शोषण पीड़ा, बीमारी और गंदगी की ओर ले जाता है और ये चीजें धरती के विनीततम लोगों को सक्रिय या निष्क्रिय बगावत की ओर धकेलती हैं और जनता में आजादी की चाह पैदा करती हैं। भारत की आजादी के आन्दोलन के प्रखर नेता लाला लाजपत राय का नाम ही देशवासियों में स्फूर्ति तथा प्रेरणा का संचार कराता है। लाला लाजपत राय जी ने देशभक्ति में वे आदर्श स्थापित किए जिसके लिए संपूर्ण देश उनका सदैव ऋणी रहेगा, आज उनकी जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन।

"मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।" - यह शब्द थे अंग्रेज़ी लाठी से बुरी तरह चोटिल पंजाब केसरी #लाला_लाजपत_राय_जी के। कालान्तर में यह कथन सटीक सिद्ध हुआ और 1928 में पंजाब केसरी की मृत्यु के बाद से ही भारत के वीर बेटों भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि के नेतृत्व में पूरा देश अंग्रेज़ी शासन के ख़िलाफ़ प्रत्यक्ष बग़ावत पर उतर आया और दो दशकों से भी कम समय में देश आजाद हो गया। उनकी जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र का नमन। अख़बार पंजाब केसरी की स्थापना और आर्य समाज के प्रचार-प्रसार के लिए आपका योगदान अतुलनीय है। 🙏🇮🇳

भारत आज खुली हवा में सांस ले रहा है और निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है लेकिन आप औऱ हम इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं कि इस आजादी के लिए कितने शूरवीरों ने अपना लहू बहाया है।

स्वतंत्रता संग्राम में लाल-बाल-पाल नाम से प्रसिद्ध इन त्रिमूर्तियों की जोड़ी में से एक लाला लाजपत राय थे, जो भारत के स्वतंत्रता अभियान शामिल हुए थे. यह अभियान अंत में भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाकर ही रुका.

आज इस महान क्रांतिकारी की जयंती पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें हम आपके लिए लेकर आये हैं, जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे.

1. लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोज़पुर में मुंशी राधा कृष्ण आज़ाद के यहां हुआ था. मुंशी जी पर्शियन और उर्दू भाषा के बारे में बेहतरीन जानकारी रखते थे. मुंशी जी की पत्नी गुलाब देवी एक धार्मिक महिला थी.

2. 1886 में जब राय का परिवार हिसार शिफ्ट हो रहा था, उसी समय उन्होंने वकालत करनी शुरु की थी. ये वही समय था जब वे दयानंद सरस्वती के सानिध्य में आ चुके थे.

3. पंजाब नेशनल बैंक का अस्तित्व ही लाला लाजपत राय की वजह से आया था. राय ने 1895 में इस बैंक को खोलने में मदद की थी और आज भी पंजाब नेशनल बैंक भारत के कई लोगों का पसंदीदा बैंक बना हुआ है.

4. गांधी और नेहरू से पहले लाला लाजपत राय ऐसे शख्स थे जो भारतीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे. राय स्वदेशी आंदोलन के प्रथम शिल्पकारों में से एक माने जाते हैं. महात्मा गांधी, अरबिंदो घोष, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर राय ने इस आंदोलन को ऊंचाईयों तक पहुंचाया था. राय के अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक पोस्टल स्टैंप भी जारी किया है

5. लाला लाजपत राय ने 1907 में अमेरिका का दौरा किया था. राय ने खासतौर पर अमेरिका में रहने वाले सिख समुदाय से मुलाकात की थी और वे ये जानकर हैरान थे कि रंग और जाति का खेल अमेरिका में भी कितना प्रभावशाली था. उन्होंने अमेरिका और भारत की कई तरह की सामाजिक समानताओं के बारे में भी जानकारी हासिल की थी.

6. 1920 में अमेरिका से वापसी करने के बाद राय को कोलकाता में कांग्रेस के साथ एक सेशन के लिए बुलाया गया था. ये वो वक्त था जब ऐसे सेशन में क्रांतिकारी लोग ब्रिटिश लोगों के खिलाफ रणनीतियां बनाया करते थे. राय को 'मेक इन इंडिया' का जनक भी कहा जाता है

7. पंजाब केसरी अखबार के अस्तित्व में आने से पहले ही लाला लाजपत राय इस शानदार खिताब को हासिल कर चुके थे. दरअसल लाला लाजपत राय ने अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों में भाग लिया था जिसकी शुरुआत रोलैट एक्ट से हुई थी. इस एक्ट के अनुसार कोई भी भारतीय अगर अपने प्रदर्शनों से ब्रिटिश लोगों को नुकसान पहुंचाएगा तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. इस एक्ट के खिलाफ संघर्ष करने की वजह से ही लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी (शेर-ए-पंजाब) के खिताब से नवाजा गया था.

8. राय न केवल एक फ्रीडम फाइटर थे बल्कि एक शानदार लीडर भी थे. इसके अलावा वे कई किताबें भी लिख चुके थे. द प्रॉबल्म्स ऑफ नेशनल एजुकेशन इन इंडिया, स्वराज एंड सोशल चेंज जैसी कई किताबें उन्होंने लिखी थी.

9. लाला लाजपत राय ने 1928 में एक शांतिपूर्ण आंदोलन के जरिए साइमन कमीशन का विरोध करने की ठानी थी. लेकिन उस समय के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज करने का आदेश दे दिया था. ऐसा लगता था मानो पुलिस ऐसे ही किसी मौके की तलाश में थी, क्योंकि इस प्रदर्शन में उन्हें खास तौर पर टार्गेट किया गया और उनकी छाती पर कई लाठियां बरसाई गई जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ही भगत सिंह और उनके साथियों ने स्कॉट को मारने की योजना बनाई थी लेकिन बजाए स्कॉट के वे जेपी सैंडर्स की हत्या कर बैठे थे.

10. लाला लाजपत राय को दुनिया में एक ऐसे क्रांतिकारी के तौर पर जाना जाता है जो अपने साहस और देशभक्ति के चलते अंग्रेजों के नाक में दम करते रहे. उनके नाम पर कई युनिवर्सिटी और अस्पताल भी बने हैं.

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