जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के हीरानगर में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने रविवार को एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को ढेर कर दिया। घुसपैठिए के पास से दस-दस रुपये के नौ पाकिस्तानी नोट और वहां के एक नेता की
चुनाव प्रचार सामग्रीबरामद की गई है। बीएसएफ ने शव को पुलिस के हवाले कर दिया, जिसके बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए उपजिला अस्पताल हीरानगर ले जाया गया है।
पाक में हैं चुनाव
घुसपैठिए के पास से दस-दस रुपये के नौ पाकिस्तानी नोट। वहां के पूर्व मंत्री अनवर हक खान के चुनाव प्रचार से संबंधित दो पोस्टर बरामद हुए हैं। पोस्टर पर पीपी-47 लिखा है। पाकिस्तान में इस समय चुनाव का माहौल है। पता चला है कि पीपी-47 पाकिस्तान की नरोवाल-1 हल्का है। अनवर हक खान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता हैं। खास बात यह है कि पीपी 47 हल्के से पाकिस्तान में इस बार आदिल हुसैन चुनाव लड़ रहे हैं। पुलिस मामले की जांच-पड़ताल में लगी हुई है।
पहले भी घुसपैठ के लिए अपनाया जाता रहा यही हथकंडा
खुफिया एजेंसियां अमरनाथ यात्रा शुरू होने के बाद से आतंकियों की घुसपैठ को लेकर लगातार इनपुट जारी करती रही हैं। सांबा और कठुआ में आतंकी घुसपैठ को लेकर लगातार इनपुट मिलते रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां कुछ समय पहले ही पाकिस्तानी सीमा में संदिग्ध हलचल भी भांप चुकी हैं। जिस तरह से रविवार को पाकिस्तान की ओर से घुसपैठिए को पाकिस्तान की सीमा में धकेला गया है, यह पहला मामला नहीं है। अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकियों को भारतीय सरजमीं पर आतंक फैलाने के मकसद से भेजने से पहले इसी तरह से घुसपैठिए को भेजा जाता रहा है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, अमूमन गरीब या फिर मानसिक रूप से परेशान लोगों को पाकिस्तान सीमा से धकेला जाता है। इनका मकसद रूट पर बीएसएफ की निगरानी को जांचना होता है। यदि यह भारतीय सीमा में दाखिल होने में सफल रहते हैं तो इसके बाद आम तौर पर आतंकियों की घुसपैठ करवाई जाती है।
घुसपैठ के लिहाज से संवेदनशील हैं कई इलाके
बरसात के मौसम में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ की लगातार कोशिशें पूर्व में भी होती रहीं है। आतंकी घुसपैठ के लिहाज से शाप नाला, तरनाह खड्ड, उज्ज दरिया जो पंजाब की ओर से पाकिस्तान से मिलता है और टिंडा पोस्ट के आसपास का इलाका संवेदनशील माना जाता रहा है। सुरक्षा के चाक चौबंद प्रबंधों के बीच पिछले कुछ वर्षों से आतंकी इन इलाकों से घुसपैठ में हमेशा ही नाकमयाब रहे हैं। दरअसल बरसात के दिनों में फेंसिंग को नुकसान पहुंचने से आतंकी इस रूट को अपनाते रहे हैं। सांबा और कठुआ के इलाके पूर्व में भी आतंकी वारदातों का दंश झेल चुके हैं।
Source Amar Ujala
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