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जैविक खाद एवं संश्लेषित कीटनाशकों का प्रयोग करके की जाने वाली कृषि कार्बनिक खेती कहलाती है। इसका उद्देश्य कृषि में रासायनिक उर्वरको की निर्भरता को नियंत्रित करना है।
इसके निम्न फायदे है
1 इससे मिटटी के जल सोखने की क्षमता बढ़ती है
2 मिटटी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है
3 रासायनिक खादों में कमी से लागत में कमी आती है
4 पर्यावरण के स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल है
5 पानी का वाष्पन में कमी होने से मिटटी की नमी बनी रहती है
6 अत्यधिक रसायनो के प्रयोग से होने वाली बीमारियों में कमी आती है
7 खरपतवार और मवेशियों के मल से खाद बनाने की सरल एवं कम खर्चीली विधि
8 बाजार में कार्बनिक खेती से उगाई गयी फसलों की अच्छी कीमत और मांग होने की वजह से किसानो के जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
इससे फायदे तो बहुत है लेकिन इस खेती के लिए भविष्य में चुनौतियां भी कम नहीं है।
1 यह जैविक खाद पर आधारित है,और लोगो द्वारा मवेशियों को पालने में रुझान काफी कम हो गया है इसलिए खाद की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने की वजह से रासायनिक खादों से किसान का मोह भंग करना आसान नहीं होगा।
2 रासायनिक खादों की तुलना में जैविक खाद देर से परिणाम देते है , किसान अपने उत्पादन में कमी किसी भी हालत में नहीं होने देना चाहते वे तुरंत प्रतिफल देने वाले उर्वरको पर अधिक ध्यान देते है।
3 किसानो में जागरूकता की कमी देखि गयी है उन्हें इस बात से अवगत करने की आवश्यकता है की वे इन खादों के प्रयोग से ३-४ सालो तक फायदा ले सकते है जिससे उन्हें हर फसल में अलग खाद डालने की जरुरत नहीं होती।
जैविक खाद एवं संश्लेषित कीटनाशकों का प्रयोग करके की जाने वाली कृषि कार्बनिक खेती कहलाती है। इसका उद्देश्य कृषि में रासायनिक उर्वरको की निर्भरता को नियंत्रित करना है।
इसके निम्न फायदे है
1 इससे मिटटी के जल सोखने की क्षमता बढ़ती है
2 मिटटी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है
3 रासायनिक खादों में कमी से लागत में कमी आती है
4 पर्यावरण के स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल है
5 पानी का वाष्पन में कमी होने से मिटटी की नमी बनी रहती है
6 अत्यधिक रसायनो के प्रयोग से होने वाली बीमारियों में कमी आती है
7 खरपतवार और मवेशियों के मल से खाद बनाने की सरल एवं कम खर्चीली विधि
8 बाजार में कार्बनिक खेती से उगाई गयी फसलों की अच्छी कीमत और मांग होने की वजह से किसानो के जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
इससे फायदे तो बहुत है लेकिन इस खेती के लिए भविष्य में चुनौतियां भी कम नहीं है।
1 यह जैविक खाद पर आधारित है,और लोगो द्वारा मवेशियों को पालने में रुझान काफी कम हो गया है इसलिए खाद की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने की वजह से रासायनिक खादों से किसान का मोह भंग करना आसान नहीं होगा।
2 रासायनिक खादों की तुलना में जैविक खाद देर से परिणाम देते है , किसान अपने उत्पादन में कमी किसी भी हालत में नहीं होने देना चाहते वे तुरंत प्रतिफल देने वाले उर्वरको पर अधिक ध्यान देते है।
3 किसानो में जागरूकता की कमी देखि गयी है उन्हें इस बात से अवगत करने की आवश्यकता है की वे इन खादों के प्रयोग से ३-४ सालो तक फायदा ले सकते है जिससे उन्हें हर फसल में अलग खाद डालने की जरुरत नहीं होती।
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