(Eco-Sensitive Zones)
संदर्भ:
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के हालिया मसौदा अधिसूचना पर वायनाड में लोगों की आशंका को दूर करने की मांग की है। पर्यावरण मंत्रालय की मसौदा अधिसूचना में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (Wayanad Wildlife Sanctuary– WWS) के आसपास एक बफर जोन बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
संबंधित प्रकरण:
पर्यावरण मंत्रालय (MOEFCC) द्वारा जारी मसौदा अधिसूचना में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (WWS) के आसपास 118.59 वर्ग किमी क्षेत्र को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (Eco-Sensitive Zones–ESZ) के रूप में अधिसूचित किया गया है।
- केरल सरकार द्वारा वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (WWS) के आसपास 2 वर्ग किमी को पारिस्थितिक-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) के रूप में निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया गया है।
- इसका मानना है, कि ESZ को अधिसूचित करते समय घनी आबादी वाले क्षेत्रों को बाहर रखा जाना चाहिए।
संबंधित चिंताएँ:
- इस प्रकार के निर्णय से मंथावैडी (Mananthavady) और सुल्तान बाथरी तालुकों (Sulthan Bathery taluks) के अंतर्गत आने वाले छह गांवों में विस्तृत अभयारण्य के हजारों किसानों के जीवन पर बुरा असर पड़ेगा।
- पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में, सड़कों और घरों के निर्माण सहित सभी विकास कार्य प्रभावित होंगे और वन अधिकारियों की अनुमति के बगैर, किसान अपनी जमीन पर लगाए गए पेड़ों को नहीं काट सकेंगे।
इस क्षेत्र को पारिस्थितिक-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) घोषित करने के पीछे तर्क:
इस क्षेत्र में जंगली जानवरों के हमलों की बढ़ती घटनाओं के कारण जंगल के किनारे रहने वाले किसानों का जीवन दयनीय हो गया है।
‘वायनाड वन्यजीव अभयारण्य’ (WWS) के बारे में:
- ‘वायनाड वन्यजीव अभयारण्य’, नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व (5,520 वर्ग किमी) का एक भाग है और दक्षिण भारत के हाथी रिजर्व नंबर-7 का एक महत्वपूर्ण घटक है।
- यह केरल का एकमात्र अभयारण्य है जहाँ चार सींग वाले मृगों के देखे जाने की सूचना मिली है।
- इस अभयारण्य में, सफ़ेद गिद्ध / इजिप्शियन गिद्ध (Egyptian vulture), हिमालयन ग्रिफन और सिनेरियस गिद्धों (Cinereous vultures) भी पाए जाते हैं, और इसके अलावा, लाल सिर वाले और सफेद पीठ वाले गिद्धों की दो प्रजातियाँ, जो कभी केरल में आम तौर पर पायी जाती थी, वर्तमान में केवल वायनाड पठार तक सीमित हो चुकी हैं।
- नागरहोल-बांदीपुर-मुदुमलाई-वायनाड वन्य क्षेत्र, देश के सबसे महत्वपूर्ण बाघ आवासों में से एक है। हाल ही में, कैमरा ट्रैप का उपयोग करने पर, अभयारण्य में 79 बाघों की उपस्थिति का संकेत मिले हैं।
- इस वन्यजीव प्रभाग के जंगल, काबानी नदी प्रणाली की सहायक नदियों के लिए प्रमुख जलग्रहण क्षेत्र हैं।
‘पारिस्थितिक-संवेदनशील क्षेत्र’ (ESZ) क्या होते हैं?
- इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) अथवा पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (Ecologically Fragile Areas- EFAs), संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा अधिसूचित क्षेत्र होते हैं।
- किसी क्षेत्र को ‘पारिस्थितिक-संवेदनशील क्षेत्र’ (ESZ) घोषित करने का उद्देश्य, इन क्षेत्रों में गतिविधियों को विनियमित और प्रबंधित करके संरक्षित क्षेत्रों में एक प्रकार का ‘आघात-अवशोषक’ (shock absorbers) बनाना होता है।
- ये क्षेत्र, उच्च-संरक्षित क्षेत्रों तथा निम्न संरक्षित वाले क्षेत्रों के मध्य एक संक्रमण क्षेत्र के रूप में भी कार्य करते हैं।
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 में “इको-सेंसिटिव जोन” शब्द का उल्लेख नहीं है।
- वन्यजीव संरक्षण रणनीति, 2002 के अनुसार, किसी संरक्षित क्षेत्र के आसपास 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र को एक ESZ घोषित किया जा सकता है।
- इसके अलावा, जहां संवेदनशील गलियारे, कनेक्टिविटी और पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण भाग, परिदृश्य शृंखला के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र, 10 किमी के क्षेत्र से आगे स्थित हैं, तो इन क्षेत्रों को भी ESZ में शामिल किया जा सकता है।
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