Friday 1 January 2021

सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA)

 

सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA)


(Armed Forces (Special Powers) Act)

संदर्भ:

गृह मंत्रालय ने हाल ही में, पूरे नागालैंड राज्य को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (Armed Forces (Special Powers) Act – AFSPA) के तहत अगले छह महीने के लिए लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है।

गृह मंत्रालय के अनुसार, संपूर्ण नागालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और खतरनाक स्थिति में है जिससे वहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक है।

AFSPA का तात्पर्य

साधारण शब्दों में, सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) के तहत सशस्त्र बलों के लिए ‘अशांत क्षेत्रों’ में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की शक्ति प्राप्त होती है।

सशस्त्र बलों को प्राप्त शक्तियां:

  • इसके तहत सशस्त्र बलों को किसी क्षेत्र में पाँच या अधिक व्यक्तियों के जमावड़े को प्रतिबंधित करने अधिकार होता है, इसके अलावा, इन्हें किसी व्यक्ति द्वारा कानून का उल्लंघन करने संबंधी शंका होने पर उचित चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग करने अथवा गोली चलाने की भी शक्ति प्राप्त होती है।
  • यदि उचित संदेह होने पर, सेना किसी व्यक्ति को बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है; बिना वारंट के किसी भी परिसर में प्रवेश और जांच कर सकती है, तथा आग्नेयास्त्र रखने पर प्रतिबंध लगा सकती है।
  • गिरफ्तार किए गए या हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को एक रिपोर्ट तथा गिरफ्तारी के कारणों से संबधित विवरण के साथ निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को सौंपाजा सकता है।

अशांत क्षेत्र’ और इसे घोषित करने की शक्ति

  • अशांत क्षेत्र (disturbed area) को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) की धारा 3 के तहत अधिसूचना द्वारा घोषित किया जाता है। विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषा या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच मतभेद या विवाद के कारण किसी क्षेत्र को अशांत घोषित किया जा सकता है।
  • केंद्र सरकार, या राज्य के राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के पूरे या हिस्से को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकते हैं।

AFSPA अधिनियम की समीक्षा

19 नवंबर, 2004 को केंद्र सरकार द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों में अधिनियम के प्रावधानों की समीक्षा करने के लिए न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की गयी थी।

समिति ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 2005 में प्रस्तुत की, जिसमें निम्नलिखित सिफारिशें शामिल थीं:

  • AFSPA को निरस्त किया जाना चाहिए और विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act), 1967 में उचित प्रावधान सम्मिलित किये जाने चाहिए;
  • सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों की शक्तियों को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करने के लिए विधिविरूद्ध क्रियाकलाप अधिनियम को संशोधित किया जाना चाहिए और
  • सशस्त्र बलों को तैनात किए जाने वाले प्रत्येक जिले में शिकायत सेल स्थापित किए जाने चाहिए।

लोक व्यवस्था पर दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की 5 वीं रिपोर्ट में भी AFSPA को निरस्त करने की सिफारिश की गयी है।

स्रोत: द हिंदू

 

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