Saturday 15 February 2020

भारत के पूर्वी घाट की तुलना में पश्चिमी घाट पर अधिक बारिश क्यों होती है

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👉वर्षा के वितरण में स्थलाकृति और हवा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। घाट का अर्थ नदी किनारे बनी सीढ़ियाँ या पर्वतीय दर्रा होता है। भारत में प्रायद्वीप के दक्कन के पठार के दोनों किनारों पर बने पर्वतों को भी पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट कहते हैं। क्यों भारत के पूर्वी घाट की तुलना में पश्चिमी घाट पर अधिक बारिश होती है, यह जानने से पहले हमे ये जानना जरुरी है “पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट क्या हैं?”

👉पश्चिमी घाट

👉भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत शृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्‍कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय शृंखला उत्‍तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्‍बी है। विश्‍व में जैविकीय विवधता के लिए यह बहुत महत्‍वपूर्ण है और इस दृष्टि से विश्‍व में इसका 8वां स्थान है। यह गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्‍त हो जाती है। वर्ष 2012 में यूनेस्को ने पश्चिमी घाट क्षेत्र के 39 स्‍थानों को विश्व धरोहर स्‍थल घोषित किया है। यहाँ की पहाड़ियों का कुल क्षेत्र 160,000 वर्ग किलोमीटर है और औसत उंचाई लगभग 1200 मीटर (3900 फीट) 

👉पूर्वी घाट का  विस्तार पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश से तमिलनाडु तक हैं। पूर्वी घाट की पहाड़ियों के मध्य से  प्रायद्वीपीय भारत की चार प्रमुख नदिया होकर  जाती हैं, जिसे गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी नाम से जाना जाता है। पूर्वी घाट पर्वत श्रृंखला बंगाल की खाड़ी के समांतर चलती है। दक्कन पठार, पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट के बीच, सीमा के पश्चिम में स्थित है। कोरोमंडल तट क्षेत्र सहित तटीय मैदानों, पूर्वी घाट और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है। पूर्वी घाट पश्चिमी घाट के अपेक्षा ज्यादा ऊचा नहीं है।

💟👉भारत का भौतिक विभाजन

1. अरब सागर की हवा जब 900-1200 मीटर की ऊचाई वाली पश्चिमी घाट की ढलानों पर चढ़ती हैं लेकिन जल्दी ही वो शांत जाती है और नतीजतन, पश्चिमी घाट पर 250 सेमी और 400 सेमी के बीच भारी भारी वर्षा होती है। जब ये हवा पूर्वी घाट की तरफ तो इनकी शक्ति और आर्द्रता कम हो जाती है जिसके वजह से यहाँ कम बारिश होती है।

2. पश्चिमी घाट बारिश करने वाली हवाओं को अपने पश्चिमी ढलानों से रोकता है जिसके वजह से यहाँ भारी वर्षा होती है। जबकि दक्षिण-पश्चिम मानसून पूर्वी घाट के समानांतर चलते हुए निकल जाती है क्युकी यहाँ नमी से भरपूर हवाओं को अवरुद्ध करने वाले ऊँचे-ऊँचे ढलान नहीं हैं।

3. पश्चिमी घाट दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की अरब सागर शाखा के बारिश से भरे क्षेत्र में स्थित है, जबकि पूर्वी घाट दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की अरब सागर शाखा के बारिश छाया क्षेत्र में स्थित है।

4. पश्चिमी घाट में एक सभ्य ढलान है जो सूरज की रोशनी अवशोषण के लिए एक बड़ा क्षेत्र प्रदान करता है जबकि पूर्वी घाट पर विषम ढलान है।

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