अमेरिका-तालिबान में शांति समझौता,
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गृह युद्ध की आग में झुलसे अफगानिस्तान में अमेरिका पिछले 18 वर्षों से जंग लड़ रहा है. अमेरिका में हुए 11 सितंबर 2001 के हमले के बाद अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में डेरा डाला था. इस सैन्य लड़ाई में अब तक काफी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं.
कतर के दोहा में 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर सहमति बन गई. करीब 18 महीने की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस शांति समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं. लगभग 30 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर के गवाह बने.
इस समझौते के तहत अमेरिका 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से अपने सैन्य बलों को निकाल लेगा. गृह युद्ध की आग में झुलसे अफगानिस्तान में अमेरिका पिछले 18 वर्षों से जंग लड़ रहा है. अमेरिका में हुए 11 सितंबर 2001 के हमले के बाद अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में डेरा डाला था. इस सैन्य लड़ाई में अब तक काफी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं.
अफगानिस्तान और अमेरिका ने संयुक्त रूप से घोषणा की है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बलों की संख्या घटाकर 8,600 की जाएगा. साथ ही अमेरिकी-तालिबान शांति समझौते में किए गए वादों को 135 दिन में लागू किया जाएगा. इस बीच अमेरिका ने फिर से जोर देकर कहा कि वह अफगानिस्तान की सरकार की सहमति से लगातार सैन्य ऑपरेशन चलाने को तैयार है.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के अनुसार, ‘हम इसकी करीब से निगरानी करेंगे कि तालिबान अपने वादों को लागू करता है या नहीं. इसके साथ ही हम अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य बलों को निकालने का फैसला लेंगे.यह समझौता तभी पूरी तरह से लागू होगा, जब तालिबान शांति के लिए कदम उठाएगा. इसके लिए तालिबान को आतंकी संगठन अलकायदा और दूसरे विदेशी आतंकी संगठनों से अपने सभी रिश्ते तोड़ने होंगे. यह समझौता इस क्षेत्र में एक प्रयोग है.
माना जा रहा है कि अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते से अफगानिस्तान में शांति कायम होगी. साथ ही लंबे समय बाद अफगानिस्तान गृह युद्ध से बाहर निकलेगा.
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