बजट (भाग-2)
* बजट, एक निश्चित अवधि में सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है अर्थात बजट में यह बताया जाता है कि सरकार के पास रुपया कहां से आया और कहां गया?
* सरकार हर साल बजट बनाकर दो काम करती है-
> अगले वित्तवर्ष में देश के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे- उद्योग, विनिर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि) में किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों में होने वाले खर्चों का अनुमान लगाती है
> अगले वित्तवर्ष के लिए अनुमानित खर्चों को पूरा करने के लिए धन (Funds) की व्यवस्था करने के लिए सम्यक उपाय (जैसे- कुछ चीजों पर कुछ खास तरह के नए Tax लगाने या बढ़ाने अथवा किसी वस्तु या सेवा पर पहले से दी जा रही सब्सिडी (Subsidy) को कम या खत्म करना आदि) करती है
* बजट मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं, जो निम्न हैं:
* पारम्परिक या आम बजट (Aam Budget) इस बजट में सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है इस प्रकार के बजट का उद्देश्य सरकारी खर्चों पर नियंत्रण करना तथा विकास कार्यों को लागू करना था न कि तीव्र गति से विकास करना
* निष्पादन बजट (Performance Budget): किसी कार्य के परिणामों को आधार मानकर बनाये जाने वाले बजट को निष्पादन बजट कहते हैं इसमें सरकार जनता की भलाई के लिए क्या कर रही है? कितना कर रही है? और किस कीमत पर कर रही है? जैसी सभी बातों को शामिल किया जाता है भारत में इसे उपलब्धि बजट या कार्यपूर्ति बजट भी कहा जाता है
* शून्य आधारित बजट (Zero Based Budget): भारत में इस बजट को अपनाने के दो प्रमुख कारण है:
> देश के बजट में लगातार होने वाला घाटा
> निष्पादन बजट प्रणाली का सफल क्रियान्वयन न हो पाना
* शून्य आधारित बजट में पिछले वित्त वर्षों में किए गए व्ययों पर विचार नहीं किया जाता है और न ही पिछले वित्त वर्षों के व्यय को आगामी वर्षों के लिए उपयोग किया जाता है बल्कि इस बजट में इस बात पर जोर दिया जाता है कि व्यय किया जाय या नहीं अर्थात व्यय में वृद्धि या कमी के बजाय व्यय किया जाय या नहीं इस पर विचार किया जाता है
* परिणामोन्मुखी बजट (Outcome Budget): भारत में 2005 में पहली बार “परिणामोन्मुखी बजट” पेश किया गया था जिसके अंतर्गत आम बजट में आवंटित धनराशि का विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों ने किस प्रकार उपयोग किया उसका ब्यौरा देना आवश्यक था
* लैंगिक बजट (Gender Budget): किसी बजट में उन तमाम योजनाओं और कार्यकमों पर किया गया खर्च जिनका संबंध महिला और शिशु कल्याण से होता है, उसका उल्लेख लैंगिक बजट माना जाता है इसके माध्यम से सरकार महिलाओं के विकास, कल्याण और सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए प्रतिवर्ष एक निर्धारित राशि की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रावधान करती है
No comments:
Post a Comment