Thursday 23 January 2020

UPSC IAS इंटरव्यू में पूछा- क्या भारत में काले और गोरे में भेद होता है, जानें जवाब

UPSC IAS interview question : यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा ( UPSC Civil Services Exam ) के इंटरव्यू में आपके डीएएफ ( UPSC DAF ) और करंट अफेयर से जुड़े तमाम पहलुओं को लेकर आपकी तैयारी ही आपकी सफलता तय करती है। इंटरव्यू में उम्मीदवार की नॉलेज का नहीं बल्कि उसकी अवेयरनेस का टेस्ट होता है। अगर इंटरव्यू बोर्ड में से कोई सदस्य आपके जवाब पर काउंटर कर दें तो आप क्या कहेंगे। डीएएफ और कंरट अफेयर्स के हर पहलू के बारे में सोचना चाहिए। हर विषय को गंभीरता से लेने और समझने की जरूरत होती है। ये बात आपको यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2016 में 33वीं रैंक लाने वाले गंगा सिंह के इंटरव्यू से पता चलेगी। राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले गंगा सिंह ने हिन्दी मीडियम से 33वीं रैंक हासिल की थी। 
महज 23 साल की उम्र में दूसरी अटेंप्ट में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले गंगा सिंह ने एक वीडियो इंटरव्यू में बताया कि इंटरव्यू में मुझसे रंगभेद की समस्या से जुड़ा एक दिलचस्प सवाल पूछा गया था। उस वक्त दुनिया में रंगभेद से जुड़ी कुछ खबरें आ रही थीं।
काले और गोरे के भेद से जुड़ा प्रश्न मेरे इंटरव्यू का टर्निंग प्वॉइंट था। मुझसे पूछा गया कि क्या भारतीय समाज में काले और गोरे का भेदभाव होता है? मैंने कहा कि हां, ये भेदभाव होता है। हम रोजमर्रा की जिंदगी में भी काफी उदाहरण देखते हैं। उन्होंने (इंटरव्यू बोर्ड के एक सदस्य) कहा कि कैसे, भारत में तो लोकतंत्र है। मैंने कहा कि उदाहरण देता हूं - ट्रैक्टर और ट्रक के पीछे लिखा रहता है बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला! इसका मतलब है कि काले रंग के लोग बुरी नजर के हैं और गोरी चमड़ी वाले अच्छी बुद्धि व नजर वाले हैं। बॉलीवुड फिल्मों के गाने भी गोरे रंग पर हैं। अखबार के पेज में भी आता है- वर चाहिए, वधू चाहिए गोरे रंग के। इससे पता चलता है कि काले और गोरे के बीच भेद की विकृत मानसिकता व भावना हमारे समाज में घर कर गई है।

हिन्दी मीडियम से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करने वाले गंगा सिंह ने कहा- यूपीएससी की तैयारी कर उम्मीदवारों में इंटरव्यू को लेकर बहुत से वहम होते हैं। तैयारी के दौरान मेरे जहन में भी थे। बहुत से सोचते हैं कि अगर इंटरव्यू में प्रश्न अंग्रेजी में पूछ लिया तो क्या बोलेंगे? लेकिन जेएनयू में पढ़ाई के दौरान हम लोग काफी डिबेट किया करते थे। इससे अंग्रेजी में मुझे अभिव्यक्त करना आया। अपनी बात करनी आई। इस तरह की प्रैक्टिस करने से आपका इंटरव्यू काफी आसान पलों के साथ गुजरेगा। कोचिंग के दौरान पहले मॉक इंटरव्यू में मैं नवर्स हो गया था। अपना नाम नहीं बोल रहा था। लेकिन असल यूपीएससी इंटरव्यू में काफी सहज माहौल होता है। वहां काफी कंफर्टेबल माहौल होता है। 
इंटरव्यू में ऐसा नहीं है कि बेतुके सवाल पूछे जाते हैं। मैं हिन्दी लिटरेचर पढ़ रहा था तो ऐसा नहीं कि मुझसे एयरोनॉटिकल साइंस के प्रश्न पूछ लिए गए हों! मुझसे पूछा गया कि आपने हिन्दी लिटरेचर का विषय क्यों चुना? आप बाड़मेर से हैं। जोधपुर और बाड़मेर के बीच की दूरी क्या है? आप जिस ग्राम पंचायत से ताल्लुक रखते हैं उसकी पापुलेशन कितनी है। काफी सवाल करेंट इवेंट से भी पूछे गए। उस टाइम RBI के नियमों से जुड़ी खबरें आ रही थी तो मुझसे CRR और SLR रेट से जुड़े प्रश्न पूछे गए। मुद्रास्फीति की दर अभी कितनी है? कितनी होनी चाहिए? क्या जीरो मुद्रास्फीति दर भारत के लिए अच्छी है? 
मैंने अपने इंटरव्यू में 7-8 बार सॉरी कहा था। साफ बोला था कि सॉरी मैम/सर अभी याद नहीं आ रहा है। 

मेन्स की तैयारी
मैंने पहले अटेंप्ट में बहुत ज्यादा पढ़ा था और दूसरे अटेंप्ट में बहुत ज्यादा लिखा था। पेपर में बहुत लिमिटेड टाइम और स्पेस होता है। सिलेबस पूरा करना चाहिए। जितना आपने पढ़ा है उसे बार बार रिवाइज जरूर करना चाहिए। पहली अटेंप्ट में मेरा आठ मिनट में उत्तर नहीं सिमट पा रहा था। प्रश्न के उत्तर 25-300 से ऊपर जा रहे थे। टाइम मैनेजमेंट खराब होने के चलते आगे के प्रश्न सोल्व नहीं हो पा रहे थे। दूसरे अटेंप्ट में मैंने शॉर्ट नोट बना लिए थे। इससे तय सीमा में उत्तर लिखने में काफी आसानी हुई। प्रैक्टिस से लिखावट और स्पीड दोनों सुधरे। 

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