पंडित मदन मोहन मालवीय (महामना)
* पंडित मदन मोहन मालवीय भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी शिक्षाविद और समाज सुधारक थे
* पंडित मदन मोहन मालवीय पूरे भारत में अकेले ऐसे शख्स हैं जिन्हें महामना की उपाधि दी गई है
* महामना का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था
* उनके दादा पं. प्रेमधर और पिता पं. बैजनाथ संस्कृत के अच्छे विद्वान थे
* महामना की शादी 1878 में मिर्जापुर की कुमारी देवी से हुआ था
* महामना की शिक्षा 5 वर्ष की आयु से ही शुरु हो गई थी वह एक मेहनती बालक थे
* उन्होंने 1879 में मुइर सेंट्रल कॉलेज से मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण की
* 1884 में कोलकाता विश्वविद्यालय से इन्होंने स्नातक किया
* मालवीय बचपन से अपने पिता की तरह भागवत की कहानी कहने वाले यानी कथावाचक बनना चाहते थे मगर गरीबी के कारण उन्हें 1884 में सरकारी विद्यालय में शिक्षक की नौकरी करनी पड़ी
* 1891 में इन्होंने LLB की परीक्षा उत्तीर्ण की किन्तु कानूनी पेशे में दिलचस्पी नहीं ली
* मदन मोहन मालवीय एक सच्चे राष्ट्र भक्त थे उन्होंने बढ़-चढ़कर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया
* मालवीय जी 1909, 1918, 1930 और 1932 में कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए थे
* मालवीय जी 3 बार हिंदू महासभा के अध्यक्ष चुने गए थे
* मालवीय जी ने 1898 में सर एंटोनी मैकडोनेल के सम्मुख हिंदी भाषा की प्रमुखता को बताते हुए, कचहरियों में इस भाषा को प्रवेश दिलाया
* ब्रिटिश सरकार ने मालवीय जी को 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में धारा 144 के उल्लंघन में गिरफ्तार कर लिया था
* महामना को वाराणसी में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक के रूप में याद किया जाता है उन्होंने इसकी स्थापना 1916 में की थी
* उन्होंने वर्ष 1906 में हिंदू महासभा की स्थापना की
* मालवीय जी एक महान विद्वान शिक्षाविद एवं राष्ट्रीय आंदोलन के नेता थे
* मालवीय जी ने दैनिक साप्ताहिक और मासिक समाचार पत्र और पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया था
* मालवीय ने रथयात्रा के मौके पर कलाराम मंदिर में दलितों को प्रवेश दिलाया था और गोदावरी नदी में हिंदू मंत्र का जाप करते हुए स्नान के लिए भी प्रेरित किया
* उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर 'कांग्रेस नेशनलिस्ट पार्टी' का निर्माण किया था
* मदन मोहन मालवीय जातिवादी विचारधारा की घोर विरोधी थे,इस कारण ही उन्हें ब्राह्मिण जाति से निष्कासित भी कर दिया गया था
* मालवीय जी कट्टर हिन्दू थे,और गौ-हत्या के विरोधी थे, उन्होंने 1922 में लाहौर और 1931 में कानपूर में एकता पर प्रसिद्ध और ओजस्वी भाषण दिया था
* 12 नवंबर 1946 को वाराणसी में मदन मोहन मालवीय का निधन हो गया
* 24 दिसंबर 2014 को मालवीय जी को भारत सरकार ने देश के सबसे बड़े पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया
* मदन मोहन मालवीय का भारतीय सार्वजनिक जीवन में एक बहुत ही उच्च स्थान है
* गांधीजी ने इन्हें “मेकर्स ऑफ़ इंडिया” कहा था
* डॉ. राधा कृष्णन ने मालवीय के संघर्ष और परिश्रम के कारण उन्हें कर्मयोगी कहा था
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