Wednesday 22 January 2020

ईसा मसीह (प्रभु यीशु)

ईसा मसीह (प्रभु यीशु)
* ईसा मसीह को यीशु मसीह, जीसस क्राइस्ट के नाम से भी जाना जाता है
* ईसा मसीह ईसाई धर्म के प्रवर्तक थे
* ईसाई लोग ईसा मसीह को परमपिता परमेश्वर का पुत्र मानते हैं
* ईसा की जीवनी और उपदेश बाइबिल में दिए गए हैं
* बाइबिल के अनुसार ईसा की माता मरियम गलीलिया प्रांत के नाजरेथ गांव की रहने वाली थी
* मरियम का विवाह दाऊद के राजवंशी यूसुफ नामक बढ़ई से हुई थी
* विवाह के पूर्व ही मरियम ईश्वरी प्रभाव से गर्भवती हो गई
* ईश्वर की ओर से संकेत पाकर यूसुफ ने उन्हें पत्नी स्वरुप ग्रहण किया इस प्रकार जनता ईशा की अनोखी उत्पत्ति से अनभिज्ञ रही
* विवाह संपन्न होने के बाद यूसुफ गलीलिया छोड़कर यहूदिया प्रांत के बेथलेहेम नामक नगरी में जाकर रहने लगे और वहीं पर संभवतः 4 ई. पू. में ईसा का जन्म हुआ
* जब ईसा वापस अपने गांव आए तो वह पिता की तरह बढ़ई का काम करने लगे
* बाइबिल में ईसा के 13 से 30 वर्ष की जीवन का कोई उल्लेख नहीं है
* 30 वर्ष की उम्र के बाद उन्होंने यूहन्ना से पानी में डुबकी ली डुबकी के बाद ईसा पर पवित्र आत्मा आया
* 40 दिन के उपवास के बाद ईसा लोगों को शिक्षा देने लगे
* 30 साल की उम्र में ईसा ने इजराइल की जनता को यहूदी धर्म का नया रूप प्रचारित करना शुरू कर दिया था
* ईसा ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह ईश्वर के पुत्र है और स्वर्ग तथा मुक्ति का मार्ग है
* यहूदी धर्म में कयामत के दिन का कोई खास जिक्र या महत्व नहीं था पर ईसा ने कयामत के दिन पर खास जोर दिया
* ईसा ने कई चमत्कार भी किए
* यहूदियों के कट्टरपंथी रब्बियों (धर्मगुरुओं) ने ईसा का भारी विरोध किया उन्हें ईसा में मसीहा जैसा कुछ खास नहीं लगा इसलिए उन्होंने उस वक्त के रोमन गवर्नर निलतुस को इसकी शिकायत कर दी
* रोमनों को हमेशा यहूदी क्रांति का डर रहता था इसलिए कट्टरपंथियों को प्रसन्न करने के लिए पिलातुस ने ईसा को क्रूस (सलीन) पर मौत की दर्दनाक सजा सुनाई
* बाइबल के मुताबिक रोमन सैनिकों ने ईसा को कोड़ों से मारा उन्हें शाही कपड़े पहनाए और पर उनके सिर पर कांटों का ताज सजाया और उनपर थूका भी
* ईसा से गल्गता तक करवाया गया और उन्हें मदिरा और पित्त का मिश्रण दिया गया जिसे उन्होंने इनकार कर दिया
* बाइबिल के मुताबिक ईसा को दो छोर के बीच क्रूस पर लटकाया गया था
* ईसाइयों का मानना है कि क्रुस पर मरते समय ईसा मसीह के सभी इंसानो के पाप स्वयं पर ले लिया और इसीलिए जो भी ईसा में विश्वास करेगा उसे ही स्वर्ग मिलेगा
* माना जाता है कि मृत्यु के 3 दिन बाद ईसा वापस जी उठे और 40 दिन बाद सीधे स्वर्ग चले गए
* ईसा मसीह के 12 शिष्यों ने उनके नए धर्म को सभी जगह फैलाया यही धर्म ईसाई धर्म कहलाया
* कुरान में ईसा का नाम 25 बार आया है

No comments: