Wednesday 22 January 2020

अरेस्टेड लैंडिंग (तकनीक)

अरेस्टेड लैंडिंग (तकनीक)
* एयरक्राफ्ट को नेवी में शामिल करने के लिए दो चीजें महत्वपूर्ण होती है पहला एयरक्रफ्ट लाइट वेट हो और दूसरा उसमें अरेस्टेड लैंडिंग हो
* दरअसल, कई मौकों पर नेवी के एयरक्राफ्ट को युद्धपोत पर उतरना होता है
* बता दें कि युद्धपोत एक निश्चित वजन उठाने में ही सक्षम है इसलिए विमानों का हल्का होना बहुत जरूरी है
* युद्धपोत पर जो रनवे होते हैं उनकी लंबाई निश्चित होती है ऐसे में फाइटर प्लेन को लैंडिंग के समय रफ्तार कम करते हुए छोटे रनवे में जल्दी रुकना पड़ता है इसलिए फाइटर प्लेन को रोकने के लिए अरेस्टेड लैंडिंग काम आती है
* एयरक्राफ्ट के पीछले हिस्से में मजबूत स्टील के वायर से जोड़कर एक हुक लगाया जाता है जिससे अरेस्टेड लैंडिंग कराई जाती है
* लैंडिंग के दौरान पायलट को यह हुक युद्धपोत या शिप में लगे स्टील के मजबूत केबल्स में फंसानी पड़ती है, ताकि जैसे ही प्लेन रफ्तार कम करते हुए डेक पर उतरे वैसे ही हुक तारों में पकड़कर उसे थोड़ी दूरी पर रोक ले
* इस तकनीक के एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करने वाला भारत छटवा देश है
* भारत से पहले अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन द्वारा निर्मित कुछ विमानों में ही अरेस्टेड लैंडिंग की तकनीक रही है
* तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग सफल होने के साथ ही विमान को नेवी में शामिल किए जाने का एक चरण पूरा हो गया है
* 17 जनवरी 2020 को गोवा की तटीय टेस्ट फैसिलिटी में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के अधिकारियों ने तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग करावाई अरेस्टेड लैंडिंग करने वाला तेजस देश का पहला एयरक्राफ्ट बन गया

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