Tuesday, 30 October 2018

CBI__डायरेक्टर_को_नियुक्त_करने_और_हटाने_की_क्या_प्रक्रिया_है

#_CBI__डायरेक्टर_को_नियुक्त_करने_और_हटाने_की_क्या_प्रक्रिया_है

केंद्रीय जांच ब्यूरो या CBI, भारत में केंद्र सरकार की एक जाँच एजेंसी है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों और राष्ट्रीय हितों से संबंधित अपराधों की भारत सरकार की तरफ से जाँच करती है.

CBI एजेंसी की स्थापना की सिफारिस भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए गठित #_संथानम_समिति” की सिफारिस के आधार पर 1963 में गृह मंत्रालय के अंतर्गत की गयी थी लेकिन बाद में इसे कार्मिक मंत्रलाय के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया था. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.

#_CBI_कोई_वैधानिक संस्था नहीं है. दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 ने CBI को जांच की शक्तियां दी हैं.
भारत सरकार, राज्य सरकार की सहमति से राज्य में मामलों की जांच करने का आदेश CBI को देती है.

#_सर्वोच्च_न्यायालय_और_उच्च_न्यायालय_राज्य सरकार की सहमति के बिना देश के किसी भी राज्य में अपराधिक मामले की जांच के लिए CBI को आदेश दे सकते हैं.

#_वर्ष_2013_तक_CBI_की_निम्नलिखित_7_शाखाएं_थीं

1. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा
2. आर्थिक अपराध शाखा
3. विशेष अपराध शाखा
4. केन्द्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला
5. प्रशासनिक शाखा
6. नीतिगत एवं इंटरपोल सहयोग शाखा
7. अभियोग निदेशालय

#_CBI__डायरेक्टर_को_कैसे_चुना_जाता_है

सीबीआई के डायरेक्टर को कैसे नियुक्त किया जाना है, इस बारे में लोकपाल एक्ट में प्रावधान हैं. इसी प्रावधान के तहत बनी कमेटी सीबीआई डायरेक्टर को चुनती है.

#_प्रक्रिया_इस_प्रकार_है

1. CBI डायरेक्टर को चुने जाने की प्रक्रिया गृह मंत्रालय से शुरू होती है.

2. गृह मंत्रालय इस मामले में आईपीएस अधिकारियों की एक लिस्ट बनाता है. ये लिस्ट अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर तैयार की जाती है.

3. गृह मंत्रालय इस लिस्ट को 'कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग' को भेजता है. इसके बाद अनुभव, वरिष्ठता और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में अनुभव के आधार पर एक फाइनल लिस्ट बनाई जाती है.

4. सर्च कमेटी इन नामों पर चर्चा करती है और अपनी सिफ़ारिशों को सरकार को भेजती है.

5. इसके बाद सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति एक उच्च स्तरीय कमेटी करती है. इस कमेटी के सदस्य प्रधानमंत्री, चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होते हैं.

#_लोकपाल_एक्ट आने के बाद यही प्रक्रिया साल 2014 से लागू है. इससे पहले CBI डायरेक्टर को चुनने के लिए के लिए केंद्र सरकार द्वारा के समिति बनायीं जाती थी
जिसका अध्यक्ष #_केन्द्रीय_सतर्कता आयुक्त होता था इसके अलावा इस समिति में कैबिनेट सचिवालय के सचिव और गृह मंत्रलाय के सचिव इसके सदस्य होते थे.

#_नोट_1
अगर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कमेटी में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं तो वो सुप्रीम कोर्ट के किसी जज को अपनी जगह भेज सकते हैं.

#_नोट_2
अगर लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं है तो सदन में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का कोई सदस्य सर्च कमेटी की मीटिंग्स में हिस्सा लेता है.

#_CBI_डायरेक्टर_को_कैसे_हटाया_जाता_है

साल 1997 से पहले सीबीआई डायरेक्टर को सरकार अपनी मर्जी से कभी भी हटा सकती थी. लेकिन
साल 1997 में विनीत नारायण मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकाल कम से कम दो साल का कर दिया. ताकि डायरेक्टर मुक्त होकर अपना काम कर सके.
#_वकील_प्रशांत_भूषण_कहते हैं, ''सीबीआई निदेशक को हटाने के लिए 'कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग' को हाई लेवल कमेटी के पास ही मामला ले जाना पड़ेगा.
इसके लिए एक बैठक बुलाई जाएगी. ये बताया जाएगा कि ये आरोप हैं. आप बताइए कि इनको हटाना है या नहीं. ये फ़ैसला तीन सदस्यीय कमेटी ही करती है, जिसके सदस्य प्रधानमंत्री, चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया और नेता विपक्ष होते हैं.
CBI डायरेक्टर की नियुक्ति बड़ी स्क्रूटिनी के बाद की जाती है ताकि इस प्रतिष्ठित पद पर सही व्यक्ति को ही तैनात किया जा सके.

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