Thursday 18 October 2018

_स्पेस_स्टेशन_क्या_है

#_स्पेस_स्टेशन_क्या_है

स्पेस स्टेशन को ऑर्बिटल स्टेशन भी कहते है.
इसको इंसानों को रहने के लिए सभी सुविधाएं हो ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. यानी यह अंतरिक्ष में मानव निर्मित ऐसा स्टेशन है, जिससे पृथ्वी से कोई अंतरिक्ष यान जाकर मिल सकता है. इसके अलावा इसमें इतनी क्षमता होती है कि इस पर अंतरिक्ष यान उतारा जा सके. इन्हें पृथ्वी की लो-ऑर्बिट कक्षा में ही स्थापित किया जाता है.
स्पेस स्टेशन एक प्रकार का मंच है जहां से पृथ्वी का सर्वेक्षण किया जा सकता है, आकाश के रहस्यों को मालूम किया जा सकता है.
#_दुनिया_में_कितने_स्पेस_स्टेशन_हैं
अप्रैल 2018 तक, दो स्पेस स्टेशन पृथ्वी कक्षा में हैं:
अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (परिचालन और स्थायी रूप से निवास), और चीन का Tiangong-2 (परिचालन लेकिन स्थायी रूप से निवास नहीं). पिछले स्टेशनों में अल्माज़ और Salyut series, स्काइलैब, मीर और हाल ही में Tiangong-1 शामिल हैं.
अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन इसलिए बनाया गया है ताकि वैज्ञानिक लंबे समय तक अंतरिक्ष में काम कर सकें.
#_अन्तर्राष्ट्रीय_स्पेस_स्टेशन
यह अंतरिक्ष में उड़ता हुआ उपग्रह, नई तकनीक, खगोलीय, पर्यावरण और भूगर्भीय शोध के लिए एक प्रयोगशाला है.
अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया एक ऐसा स्टेशन है जहां से अंतरिक्ष के बारे गहराई से अध्ययन किया जा सकता है.
#_अन्तर्राष्ट्रीय_अंतरिक्ष स्टेशन को अंतरिक्ष में छोटे-छोटे टुकड़ों में ले जाकर इसके ऑर्बिट यानी कक्ष में स्थापित किया गया.
1998 में सबसे पहला मॉड्यूल रूस का जरया मॉड्यूल में प्रक्षेपित किया गया था.
2 नवम्बर, 2000 से लगातार अंतरिक्ष यात्री  इस स्टेशन में कार्य कर रहे हैं. इसमें कई सोलर पैनल लगे हुए हैं और इसका वजन लगभग 391000 किलोग्राम है.
जिसमे छह अंतरिक्ष यात्री छह महीने तक रह सकते हैं.
स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 248 मील  की औसत उंचाई पर उड़ता है. यह 90 मिनट में लगभग 17,500 मिल प्रति घंटे की स्पीड से हमारी पृथ्वी का चक्कर लगता है.
एक दिन में यह इतनी दूरी तय कर लेता है जितनी दूरी पृथ्वी से चंद्रमा तक जाने में और वापिस आने में लगती है. अगर इस स्पेस स्टेशन की स्थिति का ज्ञान हो तो इसको पृत्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है एक चमकीले चलते हुए प्रकाश की तरह.
#_इस_प्रोजेक्ट_में
NASA, Russia का Roscosmos State Corporation, European Space Agency, the Canadian Space Agency और Japan Aerospace Exploration एजेंसियों काम कर रही हैं.
18 देशों के 230 व्यक्तियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का दौरा किया है.
#_भारत_की_कल्पना_चावला_और_सुनीता_विलियमस भी इस पर खोज कार्य कर चुकी हैं.
#_पेगी_व्हिटसन ने 2 सितंबर, 2017 को 665 दिनों में अंतरिक्ष में रहने और काम करने में सबसे अधिक समय व्यतीत करने का रिकॉर्ड निर्धारित किया.
पूरे स्टेशन में सिर्फ दो बाथरूम हैं. अंतरिक्ष यात्रियों और प्रयोगशाला के जानवरों का यूरिन फिल्टर होकर फिर से स्टेशन के ड्रिकिंग वॉटर सप्लाई में चला जाता है,
जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को कभी पानी की कमी ना झेलनी पड़े. इस स्टेशन में ऑक्सीजन electrolysis की प्रक्रिया के जरिए आती है. यह स्पे्स सेंटर रात के समय आकाश में चंद्रमा और शुक्र के बाद तीसरा सबसे चमकदार है.
जब कोई अंतरिक्षयात्री किसी भी समय यान से निकलकर अंतरिक्ष में कदम रखता है, तो उसे #_स्पेस_वॉक कहते हैं.
18 मार्च, 1965 को पहली बार स्पेस वॉक रूसी अंतरिक्षयात्री #_एल्केसी_लियोनोव ने की थी.
#_चीन_का_Tiangong-1 स्पेस स्टेशन के बारे में
चीन का प्रोटोटाइप स्पेस स्टेशन, जिसको "हेवनली पैलेस" भी बुलाया जाता था
पृथ्वी के वायुमंडल में अप्रैल 2018 को #_दक्षिणी_प्रशांत_महासागर में गिर गया था.
10.4 मीटर लंबे इस स्पेस स्टेशन को चीन ने साल 2011 में लॉन्च किया था.
चाइना नैशनल स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन, चीन की स्पेस एजेंसी के अनुसार Tiangong-1 का मार्च 2016 से संपर्क टूट चुका था.
जिसके बाद से यह अंतरिक्ष में घूम रहा था. Tiangong-1 लगभग 34 फीट लंबा 11 फीट चौड़ा और इसका 9 टन से अधिक (8 मीट्रिक टन) वजन था. इस स्पेस लैब में दो मुख्य भाग होते थे: एक "प्रयोगात्मक मॉड्यूल" जिसमें अंतरिक्ष यात्री दौरा किया करते थे और दूसरा "संसाधन मॉड्यूल" जो Tiangong-1 की सौर ऊर्जा और प्रणोदन प्रणाली को समायोजित करता था.

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