Sunday, 7 October 2018

_डूम्स_डे_वॉल्ट_क्या_है

#_डूम्स_डे_वॉल्ट_क्या_है

विश्व में बढती प्राकृतिक आपदाओं,ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ता हुआ
समुद्र जल का स्तर और परमाणु युद्ध का खतरा आदि कुछ विनाश के संकेतक है

जो कि इस बात की संभावना प्रबल करते हैं कि एक न एक दिन इस पृथ्वी का अंत होना ही है.
अगर ऐसा हुआ तो आगे आने वाली सभ्यता कृषि जिंसो के लिए मोहताज ना हो इसी बात को सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिकों ने #_नार्वे_में_डूम्स_डे_वॉल्ट' नामक एक खाद्य बैंक बनाया है.

#_डूम्स_डे_वॉल्ट_कहां_बनाया_गया है

'डूम्स डे वॉल्ट' चारों ओर बर्फ से ढके #_नार्वे_में_26_फरवरी_2008 में बनकर तैयार हुआ था.

इस स्थान को इसलिए चुना गया था क्योंकि यह जगह #_उत्तरी_ध्रुव के सबसे नजदीक होने का कारण सबसे ज्यादा ठंडी रहती है.

जो भी देश इस बैंक में अपने बीजों को रखना चाहते हैं
उनको नॉर्वे सरकार के साथ एक #_डिपॉज़िट_एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने होते हैं. यहाँ पर यह बात बतानी जरूरी है कि इस बैंक में जमा किये गए बीजों पर मालिकाना हक़ बीज जमा कराने वाले देशों का ही होगा, #_नार्वे_सरकार_का_नही.

#_डूम्डे_वॉल्ट_क्यों_बनाया_गया_है

मनुष्य ने प्रथ्वी पर 13000 साल पहले कृषि करना आरम्भ किया था; तब से लेकर अब तक लाखों बीजों की किस्मों को ढूँढा जा चुका है. लेकिन इस बात की संभावना वैज्ञानिकों द्वारा समय समय पर व्यक्त करते रहे हैं कि प्रथ्वी पर कोई प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकम्प, सूनामी या मानव निर्मित परमाणु या हाइड्रोजन युद्ध जैसे किसी कारण से मानव सभ्यता का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है.

इसलिए मनुष्य ने कृषि उत्पादों को अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखने के लिए इस 'कयामत के दिन की तिजोरी'  को बनाया है.

#_कयामत_के_दिन_की_तिजोरी (डूम्सडे वॉल्ट) की खास बातें इस प्रकार हैं:

1. डूम्स डे वॉल्ट' स्पीट्सबर्गन आयलैंड (नार्वे) में एक सैडस्टोन माउंटेन से 390 फ़ीट अंदर बनाया गया है.

2. 'डूम्स डे वॉल्ट' के लिये ग्रे कॉन्क्रीट का 400 फुट लंबा सुरंग माउंटेन में बनाया गया है.

3. इस तिजोरी के दरवाजे बुलेट-प्रूफ़ हैं यानी इसे गोली से नहीं भेदा जा सकता है.

4. इस तिजोरी में 8 लाख 60 हज़ार से ज़्यादा किस्म के बीज रखे जा चुके हैं जबकि इसकी क्षमता करीब 45 लाख किस्म के बीजों को संरक्षित करने की है.

5. इन बीजों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिये माइनस 18 डिग्री सेल्सियस तामपान की ज़रूरत होती है.

6. यदि इस तिजोरी में बिजली ना पहुचे तो भी इसमें रखे गए बीज 200 सालों तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं अर्थात नयी पीढ़ी द्वारा खेती में प्रयोग किये जा सकते हैं.

7. डूम्स डे वॉल्ट' की छत और गेट पर प्रकाश परावर्तित करने वाले #_रिफ़लेक्टिव_स्टेनलेस_स्टील, शीशे और प्रिज़्म लगाए गए हैं ताकि गर्मी इसके अन्दर ना घुस पाये और इसकी वजह से इसके अन्दर की बर्फ ना पिघले.

8. डूम्स डे वॉल्ट' में हर देश के लिए एक अलग खाता/स्थान होता है जहाँ पर वे अपने देश के बीजों को रख सकते हैं. यह ठीक उसी प्रकार है जैसे कि बैंकों में लोकर्स होते हैं जिसमे लोग उनमे अपने आभूषण अन्य जरूरी चीजें रखते हैं.

9. तिजोरी को साल में 3 या 4 बार ही खोला जाता है इसको आखिरी समय मार्च 2016 में बीज जमा करने के लिए खोला गया था.
#_सीरिया में गृह युद्ध के कारण खेती नष्ट हो गयी थी इसी कारण इस तिजोरी को खोलकर उसमें से दाल,गेंहू, जौ और चने के बीज के लगभग 38 हज़ार सैंपल गुप्त तरीके से सीरिया, मोरक्को और लेबनान भेजे गए थे. हालांकि ख़राब हालातों की वजह से इन बीजों का पूरा इस्तेमाल नही हो पाया है.

10. इस ‘डूम्स डे वॉल्ट' को जीन बैंक की दुनिया में ‘ब्लैक बॉक्स’ व्यवस्था कहा जाता है. इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाना इसलिए भी ठीक है
क्योंकि ब्लैक बॉक्स विमान संकट के समय पूरी जानकारी अपने पास इकठ्ठा कर लेता है. ऐसा ही महत्वपूण कार्य ‘डूम्स डे वॉल्ट' करेगा जो कि एक बार मानव सभ्यता के नष्ट होने पर अगली पीढ़ी को नये तरीके से खेती करना सिखा देगा.

11. यह मिशन इतना गुप्त है कि इसमें जाने की इज़ाज़त सिर्फ कुछ ही लोगों #_जैसे_अमेरिकी_संसद_के_सीनेटर्स_और_संयुक्त_राष्ट्र_संघ के सेक्रेटरी जनरल को ही है.

12. इस तिजोरी को बनाने में दुनिया भर से 100 देशों ने वित्तीय सहायता दी है.
#_भारत_अमेरिका_उत्तरकोरिया_स्वीडन भी इस मिशन का हिस्सा है.

13. बिल गेट्स फाउंडेशन और अन्य देशों के अलावा नॉर्वे गवर्नमेंट ने वॉल्ट बनाने के लिए 60 करोड़ रुपए दिए थे।

14. जीन बैंक की दुनिया में इस प्रकार के लोकर को #_ब्लैक_बॉक्स व्यवस्था’ कहा जाता है।

सारांश रूप में यह कहा जा सकता है कि ‘डूम्स डे वॉल्ट' की विचारधारा संवहनीय विकास की विचारधारा पर आधारित है जिसमे वर्तमान पीढ़ी ही नही बल्कि आगे आने वाली पीढी की जरूरतों का भी ख्याल रखा गया है. लेकिन यह प्रोजेक्ट कितना सफल होता है यह तो आने वाला वक्त ही बता पायेगा.

No comments: