आरबीआई ऐक्ट का सेक्शन-7 आख़िर है क्या?
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●वैसे तो रिज़र्व बैंक अपने आप में एक स्वायत्त निकाय है और सरकार से अलग अपने फ़ैसले लेने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन कुछ तय स्थितियों में इसे सरकार के निर्देश सुनने पड़ते हैं.
●आरबीआई ऐक्ट का सेक्शन-7 सरकार को यह अधिकार देता है कि वो रिज़र्व बैंक को निर्देश जारी कर सके.
●सेक्शन-7 कहता है कि केंद्र सरकार समय-समय पर जनता के हित को ध्यान में रखते हुए और ऱिजर्व बैंक के गवर्नर से बात करके उसे निर्देश जारी कर सकती है.
●सेक्शन-7 लागू होने के बाद बैंक के कारोबार से जुड़े फ़ैसले आरबीआई गवर्नर के बजाय रिज़र्व बैंक के 'बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स' लेंगे. यानी आसान शब्दों में कहें तो सेक्शन-7 कहीं न कहीं आरबीआई गवर्नर के अधिकारों को कमज़ोर करता है.
●गवर्नर और उसके द्वारा नामित डेप्युटी गवर्नर की ग़ैरमौजूदगी में भी 'सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स' के पास सरकार के दिए निर्देशों का पालन करने का अधिकार होगा. यानी 'बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स' वो सारे फ़ैसले लेने के लिए स्वतंत्र होगा जो सामान्य तौर पर रिज़र्व बैंक लेता है.
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