Saturday 18 August 2018

विश्व_हिन्दी_सम्मेलन

#विश्व_हिन्दी_सम्मेलन

11वां विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन आज से #मॉरीशस में शुरू, विदेश मंत्री Sushma Swaraj समेत भारत के कई अन्‍य मंत्री सम्‍मेलन में ले रहे हैं भाग, इस बार का मुख्‍य विषय है "हिन्‍दी विश्‍व और भारतीय संस्‍कृति"।

विश्व हिन्दी सम्मेलन हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिन्दी विद्वान, साहित्यकार , पत्रकार, भाषा विज्ञानी, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी प्रेमी जुटते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रति जागरुकता पैदा करने, समय-समय पर हिन्दी की विकास यात्रा का आकलन करने, लेखक व पाठक दोनों के स्तर पर हिन्दी साहित्य के प्रति सरोकारों को और दृढ़ करने, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने तथा हिन्दी के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावुकतापूर्ण व महत्त्वपूर्ण रिश्तों को और अधिक गहराई व मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से 1975 में विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शृंखला आरम्भ की गयी। इस बारे में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती
इन्दिरा गान्धी ने पहल की थी। पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहयोग से नागपुर में सम्पन्न हुआ जिसमें प्रसिद्ध समाजसेवी एवं स्वतन्त्रता सेनानी विनोबा भावे ने अपना विशेष सन्देश भेजा।

'विश्व हिंदी सम्मेलन' की संकल्पना ' राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ', वर्धा द्वारा 1973 में की गई थी। संकल्पना के फलस्वरूप 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति', वर्धा के तत्वावधान में 'प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन' 10-12 जनवरी,1975 को नागपुर , भारत में आयोजित किया गया था।

प्रारम्भ में इसका आयोजन हर चौथे वर्ष आयोजित किया जाता था लेकिन अब यह अन्तराल घटाकर ३ वर्ष कर दिया गया है। अब तक दस विश्व हिन्दी सम्मेलन हो चुके हैं- मारीशस , नई दिल्ली , पुन: मारीशस , त्रिनिडाड व टोबेगो, लन्दन , सूरीनाम न्यूयार्क और जोहांसबर्ग में। दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 2015 में भोपाल में आयोजित हुआ। 2018 में इसका आयोजन मॉरीशस में प्रस्तावित है।

शुरुआत

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की राष्ट्रभाषा के प्रति जागरुकता पैदा करने, समय-समय पर हिन्दी की विकास यात्रा का आकलन करने, लेखक व पाठक दोनों के स्तर पर हिन्दी साहित्य के प्रति सरोकारों को और दृढ़ करने, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने तथा हिन्दी के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावुकतापूर्ण व महत्त्वपूर्ण रिश्तों को और अधिक गहराई व मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से ही 1975 में 'विश्व हिन्दी सम्मेलनों' की शृंखला शुरू हुई।

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन

पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी से 14 जनवरी 1975 तक नागपुर में आयोजित किया गया। सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के तत्वावधान में हुआ। सम्मेलन से संबंधित राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष उपराष्ट्रपति श्री बी.डी. जत्ती थे। पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन का बोधवाक्य था -वसुधैव कुटुंबकम। इस सम्मेलन में 30 देशों के कुल 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में हिन्दी भाषा के लिए पारित किए गए विचार थे-

1- संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाए।
2- वर्धा में विश्व हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना हो।
3- विश्व हिन्दी सम्मेलनों को स्थायित्व प्रदान करने के लिए अत्यंत विचारपूर्वक योजना निर्माण की जाए।

द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन

दूसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में हुआ। 28 अगस्त से 30 अगस्त 1976 तक चले इस विश्व सम्मेलन के आयोजक मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ शिवसागर रामगुलाम थे।

सम्मेलन में भारत से केबिनेट मंत्री डॉ. कर्ण सिंह के नेतृत्व में 23 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। भारत के अतिरिक्त सम्मेलन में 17 देशों के 181 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन

भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथ जैसी है जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिए गए हों।' उक्त विचार हिन्दी की सुप्रसिद्ध संवेदनशील कवियत्री महादेवी वर्मा ने तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन अवसर पर व्यक्त किए थे।

तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन भारत की राजधानी दिल्ली में 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर 1983 तक किया गया था। इस सम्मेलन के राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष डॉ. बलराम जाखड़ थे।

सम्मेलन में कुल 6,566 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिनमें विदेशों से आए 260 प्रतिनिधि शामिल थे। सम्मेलन का सुखद संयोग यह था समापन समारोह की मुख्य अतिथि महादेवी वर्मा थीं।

चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन

चौथे विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन 2 दिसंबर से 4 दिसंबर 1993 तक पुन: 17 साल बाद मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित किया गया।

आयोजन की जिम्मेदारी मॉरीशस के कला, संस्कृति मंत्री मुक्तेश्वर चुनी ने निभाई थी। भारत के प्रतिनिधिमंडल के नेता थे मधुकर राव चौधरी। तत्कालीन गृह राज्यमंत्री श्री रामलाल राही प्रतिनिधिमंडल के उपनेता थे। इसमें 200 विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

पांचवां विश्व हिन्दी सम्मेलन

पांचवां विश्व हिन्दी सम्मेलन त्रिनिदाद एवं टोबेगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में 4 अप्रैल से 8 अप्रैल 1996 तक में आयोजित हुआ। भारत की ओर से इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडल के नेता अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री माता प्रसाद थे।

सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था- प्रवासी भारतीय और हिन्दी। इसके अलावा अन्य विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया गया, वे थे-हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास, कैरेबियाई द्वीपों में हिन्दी की स्थिति एवं कप्यूटर युग में हिन्दी की उपादेयता। सम्मेलन में भारत से 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। अन्य देशों के 257 प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए।

छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन

छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन लंदन में 14 सितंबर से 18 सितंबर 1999 तक आयोजित किया गया। इसके अध्यक्ष थे डॉ. कृष्ण कुमार और संयोजक डॉ.पद्मेश गुप्त। सम्मेलन का केंद्रीय विषय था-हिन्दी और भावी पीढ़ी। विदेश राज्यमन्त्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया।

प्रतिनिधिमंडल के उपनेता थे प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.विद्यानिवास मिश्र। इस सम्मेलन का ऐतिहासिक महत्त्व है क्योंकि यह हिन्दी को राजभाषा बनाए जाने के 50वें वर्ष में आयोजित किया गया था। यही वर्ष संत कबीर की छठी जन्मशती का भी था। सम्मेलन में 21 देशों के 700 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें भारत से 350 और ब्रिटेन से 250 प्रतिनिधि शामिल हुए।

सातवां विश्व हिन्दी सम्मेलन

5 जून से 9 जून 2003 तक सुदूर सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो में सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन हुआ। 21वीं सदी में आयोजित यह पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन था।

आयोजक थे जानकीप्रसाद सिंह। केन्द्रीय विषय था-विश्व हिन्दी: नई शताब्दी की चुनौतियां। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने किया। भारत के 200 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें 12 से अधिक देशों के हिन्दी विद्वान शामिल हुए।

आठवां विश्व हिन्दी सम्मेलन

आठवां विश्व हिन्दी सम्मेलन 13 जुलाई से 15 जुलाई 2007 तक संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी न्यूयॉर्क में हुआ। इस सम्मेलन का केंद्रीय विषय था -विश्व मंच पर हिन्दी। इसका आयोजन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा किया गया।

नौवां विश्व हिन्दी सम्मेलन

नौवां विश्व हिन्दी सम्मेलन 22 सितंबर से 24 सितंबर 2012 तक, दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहांसबर्ग में हुआ। विदेश मंत्रालय दक्षिण अफ्रीका में हिन्दी शिक्षा संघ एवं अन्य भागीदारों के सहयोग से 22 सितंबर 2012 से 24 सितंबर 2012 तक जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में 9वां विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ। सम्मेलन का आयोजन सैंडटन कन्वेन्शन सेंटर, दूसरा तल, मौड स्ट्रीट, सैंडटन-2196, जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में किया गया।

9वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी के प्राचीन-आधुनिक पहलुओं से संबंधित परम्परागत और समसामयिक दोनों प्रकार के विषयों पर चर्चाएं हुईं। सम्मेलन का विषय 'भाषा की अस्मिता और हिन्दी का वैश्विक संदर्भ' रखा गया। सम्मेलन में नौ शैक्षिक सत्र प्रस्तावित थे।

दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन 10 से 12 सितंबर तक भोपाल में हुआ। दसवें सम्मेलन का मुख्य कथ्य (थीम) था - ' हिन्दी जगत : विस्तार एवं सम्भावनाएँ '।

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