चीन ने 06 अगस्त 2018 को पहले अत्याधुनिक हाइपरसॉनिक विमान का सफल परीक्षण किया
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यह विमान परमाणु आयुधों को ले जाने में और मौजूदा किसी भी मिसाइल रोधी रक्षा प्रणालियों को भेदने में सक्षम है.
चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एयरोडाइनामिक्स (सीएएए) ने एक बयान में कहा कि शिंगकोंग-2 उत्तर पश्चिम चीन के एक परीक्षण स्थल से प्रेक्षित किया गया. समाचार एजेंसी द्वारा जारी जानकारी के अनुसार एक एयरक्राफ्ट को रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया. यह स्वतंत्र रूप से उड़ा और पूर्व नियोजित क्षेत्र में उतरा.
शिंगकोंग-2 की विशेषता
हाइपरसॉनिक विमान का डिजाइन सीएएए ने चाइना एयरोस्पेस साइंस ऐंड टेक्नोलोजी कारपोरेशन के साथ गठबंधन करके तैयार किया है. यह चीन का पहला हाइपरसोनिक विमान है. परीक्षण के दौरान विमान ने ध्वनि की गति से छह गुना ज्यादा 4,563 मील (7,344 किमी/घंटा) की रफ़्तार हासिल की. चीन इस प्रकार का विमान बनाने वाला विश्व का पहला देश बन गया है जबकि अमेरिका ने वर्ष 2023 तक इस प्रकार का विमान विकसित किये जाने की घोषणा की है.
हाइपरसॉनिक विमान के बारे में
हाइपरसॉनिक एयरक्राफ्ट उन विमानों को कहते हैं जो ध्वनि के वेग से भी अधिक वेग से उड़ सकते हैं. ऐसे विमानों का विकास 21वीं सदी में हो रहा है. इनका उपयोग प्रायः अनुसंधान एवं सैनिक उपयोग के लिये तय किया गया है. यह लड़ाकू विमान ध्वनि के वेग के पाँच गुना से भी अधिक वेग (5 मैक से अधिक) से उड़ते हैं.
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