Friday, 6 July 2018

जानिए- #आपके महंगे #स्मार्टफोन का #भारतीय #अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ रहा #प्रभाव!!

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#जानिए- #आपके महंगे #स्मार्टफोन का #भारतीय #अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ रहा #प्रभाव!!

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सेल्फी लेना आज की पीढ़ी को खासा पसंद है। इसके लिए बाजार में एक से बढ़कर एक विदेशी कंपनियों के फोन मौजूद हैं। लेकिन आपका यही शौक रुपये के गिरने का भी कारण बन रहा है।...

देश के लोगों खासकर युवाओं में सेल्‍फी लेने का शौक जगजाहिर है। युवा सेल्‍फी लेने और सोशल मीडिया से जुड़ने के लिए महंगे से महंगे स्‍मार्टफोन का इस्‍तेमाल करते हैं। इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों की खरीदारी की कीमत देश को चुकानी पड़ रही है।

तेल के बाद भारत को सबसे ज्‍यादा व्‍यापार घाटा इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों के कारण हो रहा है। यह घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे पहले तेल के बाद सबसे ज्‍यादा खरीदारी सोने की होती थी, लेकिन सोने को पीछे छोड़ते हुए इलेक्‍ट्रॉनिक सामान दूसरे नंबर पर आ गया है। इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों के अन्‍तर्गत सबसे ज्‍यादा स्‍मार्टफान की खरीदारी होती है। टीवी, फ्रिज और अन्‍य सामान भी इलेक्‍टानिक सामानों के अंतर्गत आते हैं।


कोटक महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्‍टर उदय कोटक ने ट्वीट किया है कि भारत को चालू खाते में सिर्फ तेल से ही नहीं बल्कि, इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों से चुनौती मिल रही है। उन्‍होंने कहा कि सोने का आयात तीसरे नंबर पर चला गया है, लेकिन पिछले पांच साल में इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों का आयात दोगुना हो गया है।

किसी देश के निर्यात के बदले जितना ज्यादा आयात होता है उस देश का व्‍यापार घाटा उतना ही ज्यादा होता है। यानि निर्यात और आयात के बीच जो ऋणात्मक अंतर होता है उसे ही व्यापार घाटा कहा जाता है। रुपये के लिए यह बुरी खबर है, जिसकी कीमत पहले ही महंगे तेल आयात के कारण घट रही है। पूर्वानुमान लगाया गया है कि वर्तमान में सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के चालू खाते का घाटा 1.9 फीसदी से बढ़कर मार्च 2019 तक 2.3 फीसदी हो जाएगा।

मुख्‍य अर्थशास्‍त्री सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों के आयात का असर सीधे-सीधे चालू खाते के घाटे पर पड़ रहा है। इस घाटे को कम करने के लिए भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को एकीकृत करे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को इसीलिए बढ़ावा दे रहे हैं कि आयात को कम किया जा सके और स्‍थानीय उत्‍पादों को बढ़ावा मिले। लेकिन बड़ी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर खरीदारी शुरू नहीं की है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 13 महीनों में इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों का आयात 57.8 बिलियन डॉलर रहा है, वहीं सोने का आयात 35.8 बिलियन डॉलर रहा है।

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