Tuesday 10 July 2018

महाजनपद

महाजनपद

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में कुछ साम्राज्यों के विकास में वृद्धि हुयी थी जो बाद में प्रमुख साम्राज्य बन गये और इन्हें महाजनपद या महान देश के नाम से जाना जाने लगा था। इन्होंने उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी बिहार तक तथा हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों से दक्षिण में गोदावरी नदी तक अपना विस्तार किया। आर्य यहां की सबसे प्रभावशाली जनजाति थी जिन्हें 'जनस' कहा जाता था। इससे जनपद शब्द की उतपत्ति हुयी थी जहां जन का अर्थ "लोग" और पद का अर्थ "पैर" होता था। जनपद वैदिक भारत के प्रमुख साम्राज्य थे। महाजनपदों में एक नये प्रकार का सामाजिक-राजनीतिक विकास हुआ था। महाजनपद विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित थे। 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व के दौरान भारतीय उप-महाद्वीपों में सोलह महाजनपद थे।

उनके नाम थे:-

अंगअश्मकअवंतीछेदीगांधारकम्बोजकाशीकौशलकुरुमगधमल्लमत्स्यपंचालसुरसेनवज्जिवत्स

मगध साम्राज्य:

मगध साम्राज्य ने 684 ईसा पूर्व से 320 ईसा पूर्व तक भारत में शासन किया।इसका उल्लेख महाभारत और रामायण में भी किया गया है।यह सोलह महाजनपदों में सबसे अधिक शक्तिशाली था।साम्राज्य की स्थापना राजा बृहदरथ द्वारा की गयी थी।राजगढ (राजगिर) मगध की राजधानी थी, लेकिन बाद में चौथी सदी ईसा पूर्व इसे पाटलिपुत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था। यहां लोहे का इस्तेमाल उपकरणों और हथियारों का निर्माण करने के लिए किया जाता था।हाथी जंगल में पाये जाते थे जिनका इस्तेमाल सेना में किया जाता था।गंगा और उसकी सहायक नदियों के तटीय मार्गों ने संचार को सस्ता और सुविधाजनक बना दिया था।बिम्बिसार, अजातशत्रु और महापदम नंद जैसे क्रूर और महत्वाकांक्षी राजाओं की कुशल नौकरशाही द्वारा नीतियों के कार्यान्वयन से मगध समृद्ध बन गया था।मगध का पहला राजा बिम्बिसार था जो हर्यंक वंश का था।अवंती मगध का मुख्य प्रतिद्वंदी था, लेकिन बाद में एक गठबंधन में शामिल हो गया था।शादियों ने राजनीतिक गठबंधनों के निर्माण में मदद की थी और राजा बिम्बिसार ने पड़ोसी राज्यों की कई राजकुमारियों से शादी की थी।

हर्यंक राजवंश:

यह बृहदरथ राजवंश के बाद मगध पर शासन करने वाला यह दूसरा राजवंश था।शिशुनाग इसका उत्तराधिकारी था।राजवंश की स्थापना बिम्बिसार के पिता राजा भाट्य द्वारा की गयी थी।राजवंश ने 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 413 ईसा पूर्व तक मगध पर शासन किया था।हर्यंक राजवंश के राजा इस प्रकार थे:भाट्यबिम्बिसारअजातशत्रुउदयभद्रअनुरूद्धमुंडानागदशक

बिम्बिसार:

बिम्बिसार ने मगध पर 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व तक, 52 वर्ष शासन किया था।उसने विस्तार की आक्रामक नीति का पालन किया और काशी, कौशल और अंग के पड़ोसी राज्यों के साथ कई युद्ध लड़े।बिम्बिसार गौतम बुद्ध और वर्द्धमान महावीर का समकालीन था।उसका धर्म बहुत स्पष्ट नहीं है। बौद्ध ग्रंथों में उल्लेख के अनुसार वह बुद्ध का एक शिष्य था, जबकि जैन शास्त्रों में उसका वर्णन महावीर के अनुयायी के रूप तथा राजगीर के राजा श्रेनीका के रूप में मिलता है।बाद में बिम्बिसार को उसके पुत्र अ़जातशत्रु द्वारा कैद कर लिया गया जिसने मगध के सिंहासन पर आधिपत्य स्थापित कर लिया था। बाद में कारावास के दौरान बिम्बिसार की मृत्यु हो गई।

अजातशत्रु

अजातशत्रु ने 492- 460 ईसा पूर्व तक मगध पर शासन किया था।उसने वैशाली के साथ 16 वर्षों तक युद्ध किया था और अंत में कैटापोल्ट्स की मदद से साम्राज्य को शिकस्त दी।उसने काशी और वैशाली पर आधिपत्य स्थापित करने के बाद मगध साम्राज्य का विस्तार किया था।उसने राजधानी राजगीर को मजबूत बनाया जो पाँच पहाड़ियों से घिरी हुई थी जिससे यह लगभग अभेद्य बन गयी थी।

उदयन:

उदयन या उदयभद्र अजातशत्रु का उत्तराधिकारी था।उसका शासनकाल 460 ईसा पूर्व से 444 ईसा पूर्व तक चला था।उसने पटना (पाटलिपुत्र) के किले का निर्माण कराया था जो मगध साम्राज्य का केंद्र थाउदयन का उत्तराधिकारी शिशुनाग था।शिशुनाग ने अवंती साम्राज्य का विलय मगध में कर दिया था।बाद में उसका उत्तराधिकारी नंद राजवंश बना।

नंद राजवंश:

राजवंश का शासनकाल 345 ईसा पूर्व से 321 ईसा पूर्व तक चला था।महापदम नंद, नंद राजवंश का पहला राजा था जिसने कलिंग का विलय मगध साम्राज्य में कर दिया था।उसे सबसे शक्तिशाली और क्रूर माना जाता था यहां तक कि सिकंदर भी उसके खिलाफ युद्ध लड़ना नहीं चाहता था।नंद वंश बेहद अमीर बन गया था। उन्होंने अपने पूरे साम्राज्य में सिंचाई परियोजनाओं और मानकीकृत व्यापारिक उपायों की शुरूआत की थी।हर्ष और कठोर कराधान प्रणाली ने नंदों को अलोकप्रिय बना दिया था।अंतिम नंद राजा, घानानंद को चंद्रगुप्त मौर्य ने पराजित कर दिया था।

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