Sunday 27 May 2018

अमेरिका ने ईरान पर नये प्रतिबंध लगाने की घोषणा

अमेरिका ने ईरान पर नये प्रतिबंध लगाने की घोषणा की
अमेरिकी राजकोषीय विभाग ने 10 मई 2018 को ईरान के छह लोगों को कथित रूप से इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के साथ जुड़े होने के कारण प्रतिबंधित कर दिया. इसके साथ ही तीन व्यावसायिक कम्पनियों पर भी आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है.

इससे एक दिन पूर्व ही अमेरिका ने स्वयं को 2015 में हुई परमाणु संधि से अलग कर लिया था. जिन लोगों पर अमेरिका द्वारा प्रतिबन्ध लगाया गया है उनके नाम हैं – मेगदाद अमिनी, मोहम्मद हसन खोदाई, सैयद नजफपुर, मसूद निकबख्त, फोअद सलेही एवं मोहम्मदरज़ा खेदमती. डोनाल्ड ट्रम्प ने यह भी घोषणा की कि अमेरिका फिर से ईरान पर प्रतिबंध लगाएगा. ट्रम्प की इस घोषणा के बाद फ्रांस, जर्मनी एवं इंग्लैंड ने ट्रम्प की घोषणा पर खेद व्यक्त किया.

ईरान-अमेरिका परमाणु समझौता

वर्ष 2015 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान के साथ समझौते में किया था. इस समझौते का उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था. इस समझौते में अमेरिका के अलावा पांच अन्‍य देश जिसमें फ्रांस, रूस, चीन, जर्मनी और ब्रिटेन शामिल था. इस समझौते के तहत ईरान के परमाणु हथियारों के निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी. परमाणु समझौता कार्यक्रम के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को हर 90 दिनों पर यह प्रमाणित करना होता है कि ईरान समझौते का पालन कर रहा है.

क्यों हुआ विवाद?

•    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्डर ट्रंप का कहना था कि ईरान के साथ किया गया परमाणु समझौता अमेरिका के लिए सबसे खराब समझौता है जो उनके देश के हित में नहीं है.

•    उन्होंने ईरान को 'धर्म आधारित शासक देश' बताते हुए वैश्विक स्तर पर आतंक और हिंसा फैलाने का दोषी करार दिया.

•    ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर आरोप लगाया कि यह समझौता बहुत उदार था और इससे ईरान को नियत सीमा से अधिक हैवी वॉटर (परमाणु बम बनाने के लिए उपयुक्त प्लूटोनियम का स्रोत) प्राप्त करने और अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं को धमकाने की छूट दे दी गई थी.

•    डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा करते हुए जानकारी दी कि अमेरिका के पास इस समझौते को कभी भी छोड़ने का अधिकार है.

क्या हो सकता है प्रभाव?

ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगाए जाने से वैश्विक तेल कंपनियों पर ईरान से तेल नहीं खरीदने का दबाव बढ़ेगा. भारत जैसे अमेरिका के करीबी देशों ने ईरान के साथ तेल पर समझौता किया है, जो ट्रंप के फैसले से विवाद में आ सकते हैं. ईरान में अमेरिका के खिलाफ गतिविधियां बढ़ सकती हैं. आशंका जताई जा रही है कि इसके बाद ईरान मिसाइल परीक्षण शुरू कर देगा. इसका असर ट्रम्प और किम जोंग की शिखर वार्ता पर पड़ सकता है.

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