दैनिक समसामयिकी
~~~~~~~~~~
25 May 2018 (Friday)
1.वैश्विक प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में भारत एक स्थान चढ़ा
• प्रतिस्पर्धा के लिहाज से तैयार की गई वार्षिक रैंकिंग में भारत एक पायदान चढ़कर 44 वें स्थान पर पहुंच गया है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (आईएमडी) की ओर से तैयार की गई सूची में अमेरिका को शीर्ष पर रखा गया है। इस वर्ष भारत नियंतण्र स्तर पर 44 वें पायदान पर रहा, वह पिछले वर्ष से एक पायदान ऊपर चढ़ गया है।
• सूची के अनुसार, भारत 14 एशियाई देशों में 12वीं सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था है। आर्थिक प्रदर्शन और बुनियादी संचरना के क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन के बल पर अमेरिका सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बन गया है।
• अमेरिका के बाद हांगकांग और सिंगापुर क्रमश: दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं। शीर्ष पांच देशों में नीदरलैंड और स्विट्जरलैंड भी शामिल हैं। रिपोर्ट में भारत के संबंध में कहा गया, ‘‘भारत को 2018 में कुछ चुनौतियों को सामना करना पड़ेगा, जिनमें कर्मचारियों के कौशल में वृद्धि, रोजगार सृजन, जीएसटी के क्रियान्वयन को सुव्यवस्थित करना और सतत: विकास लक्ष्यों के साथ उच्च वृद्धि का संतुलन शामिल है।
• इसके अलावा सरकार को डिजिटल साक्षरता, ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त बैंडविड्थ और बुनियादी ढांचे के लिए संसाधनों को संगठित करना जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
• सूची के शीर्ष दस देशों में डेनमार्क (6), संयुक्त अरब अमीरात (7), नाव्रे (8), स्वीडन (9) और कनाडा (10) शामिल हैं।
• आईएमडी के सर्वे के अनुसार दुनिया में 44वें स्थान पर पुहंचा
• सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था का तमगा अमेरिका के पास बरकरारद इस मामले में हांगकाग दूसरे और सिंगापुर तीसरे नंबर पर रहे
• सूची में डेनमार्क छठे, यूएई सातवें और नाव्रे 8वें नंबर परद 14 एशियाई देशों में 12वीं सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बना भारत
2. ट्रंप ने रद की किम जोंग से वार्ता
• अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ होने वाली शिखर वार्ता टाल दी है। दोनों नेताओं के बीच 12 जून को सिंगापुर में मुलाकात होनी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि उत्तर कोरिया ने कोई बेवकूफी की तो अमेरिकी सेना तैयार है।
• इस प्रस्तावित मुलाकात पर दुनिया भर की निगाहें टिकी थीं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरस ने वार्ता रद होने पर निराशा जताई है। यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा में उन्होंने कहा, ‘वार्ता रद होने से मैं बहुत चिंतित हूं।’ अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्योंगयांग और वाशिंगटन वार्ता बहाल करने में सक्षम होंगे, लेकिन फैसला चेयरमैन किम पर ही निर्भर है।
• दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने ट्रंप और किम से सीधे बातचीत करने का आग्रह किया है। 1उत्तर कोरियाई नेता को भेजे गए पत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है, ‘हाल के बयानों में आपने गुस्से और दुश्मनी का इजहार किया है। इसी को देखते हुए इस समय हम दोनों की मुलाकात उचित नहीं है।’
• ट्रंप ने अपने पत्र में लिखा है, ‘कृपया इस पत्र को सिंगापुर शिखर वार्ता खत्म करने के संदेश के रूप में लें। यह दोनों पक्षों की बेहतरी, लेकिन दुनिया के लिए अहितकर है। यह वार्ता नहीं होगी। आप अपनी परमाणु क्षमता की बात करते हैं, लेकिन हमारे पास उससे ज्यादा विनाशकारी और शक्तिशाली है। मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि इनका कभी इस्तेमाल ही नहीं हो।’
3. वाशिंगटन ने बीजिंग में अपने नागरिकों को किया आगाह
• अमेरिका ने दुनिया के सबसे बड़े समुद्री सैन्य अभ्यास से चीन को बाहर कर दिया है। दक्षिण चीन सागर में अस्थिरता पैदा करने वाले चीन के बर्ताव का हवाला देकर अमेरिका ने उसे दिया गया निमंत्रण वापस ले लिया है। इससे दोनों देशों में तनाव फिर बढ़ सकता है। रिम ऑफ द पैसिफिक एक्सरसाइज (रिमपैक) हर दो साल में गर्मी में अमेरिका के हवाई क्षेत्र में होता है।
• इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और ब्रिटेन समेत दुनिया के 20 से ज्यादा देश हिस्सा लेते हैं। पहले इसके लिए चीन को भी बुलावा भेजा गया था। एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, चीन की नौसेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) से निमंत्रण वापस लेने का फैसला अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस का है।
• हिन्दू -प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध : यह कदम चीन द्वारा विवादित दक्षिण चीन सागर में मिसाइल प्रणाली की तैनाती और इस क्षेत्र के एक द्वीप पर पहली बार बमवर्षक विमान उतारे जाने के चलते उठाया गया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रलय पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका हिन्दू -प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
• चीन लगातार दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण कर रहा है। इससे न सिर्फ तनाव बल्कि क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल बन रहा है। अमेरिका के पास पुख्ता सुबूत : पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट क्रिस्टोफर बी लोगन ने कहा कि चीन का बर्ताव रिमपैक के सिद्धांत और उद्देश्य के परस्पर विरोधी है। रक्षा मंत्रलय के पास इसके पुख्ता सुबूत हैं कि चीन ने दक्षिण चीन सागर के कई द्वीपों पर एंटी-शिप मिसाइलें, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और इलेक्ट्रानिक जैमर तैनात कर दिए हैं।
• विवादित क्षेत्र के वूडी द्वीप पर बमवर्षक विमान उतारकर चीन ने तनाव को और बढ़ा दिया है।
• दक्षिणी चीन सागर पर चीन का दावा : चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, जबकि इस दावे का वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान विरोध करते हैं। चीन विवादित क्षेत्र में कई द्वीपों पर सैन्य साजो-सामान की तैनाती कर चुका है। क्षेत्र में उसने कई कृत्रिम द्वीप भी बना लिए हैं।
4. धरती को और झुलसा रही कार्बन डाइआक्साइड
• औद्योगिकीकरण के चलते धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इस सदी के अंत तक इसमें चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने की आशंका है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस इजाफे से समुद्र की तुलना में जमीन पर गर्मी बढ़ जाएगी और आर्कटिक में जलवायु में महत्वपूर्ण बदलाव होगा।
• चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज में वरिष्ठ शोधकर्ता दबांग जिआंग के मुताबिक, 2084 तक तापमान में चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी की आशंका है। ऐसा होने से रिकार्ड तोड़ गर्मी, भयंकर बाढ़ व सूखे जैसी आपदाएं बढ़ सकती हैं। जिआंग के मुताबिक, तापमान बढ़ने से पारिस्थितिकी तंत्र, मानवीय तंत्र और इससे जुड़े समाज तथा अर्थव्यवस्था को गंभीर खतरा पहुंचेगा।
• जर्नल एडवांसेज इन एटमॉस्फेरिक साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्मियों ने ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को बढ़ावा देने वाले हालात का आकलन किया है। अध्ययन में पाया गया कि अधिकतर प्रारूप ने 2064 से 2095 तक चार डिग्री सेल्सियस तक इजाफे का अनुमान जताया। औसतन 2084 तक यह इजाफा हो सकता है।
• खतरनाक गैस की तेजी से बढ़ती मात्र ने वैज्ञानिकों को डाला चिंता में1रमेश चंद्रा, नैनीताल1भले ही सूर्यदेव इन दिनों कर्क रेखा के ऊपर से सीधी किरणों बिखेर कर गर्मी का कहर बरपा रहे हों, लेकिन धरती पर तेजी से बढ़ती कार्बन डाइआक्साइड गैस की मात्र पारे को नीचे से आंच दे रही है।
• पिछले 100 साल के अंतराल में धरती में कार्बन डाइआक्साइड की मात्र 40 फीसद बढ़ गई है। वहीं, हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों समेत उत्तर भारत में प्रति वर्ष 2.5 पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) की दर से वृद्धि हो रही है।
• इन दिनों मैदान तप रहे हैं तो ठंडे में रहने वाले पर्वतीय क्षेत्र भी बढ़ते पारे की चपेट से अछूते नहीं रह गए हैं। पारा हर जगह नए रिकार्ड बना रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ती गर्मी का एक बड़ा कारण कार्बन डाइआक्साइड है, जो पूरे धरती में तेजी से पैर पसार रहा है।
• नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006-07 में हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र समेत उत्तर भारत में कार्बन डाइआक्साइड की मात्र 380 पार्ट पर मिलियन थी, जो दस साल के अंतराल में बढ़कर 405 पार्ट पर मिलियन जा पहुंची है। यानी प्रति वर्ष 2.5 पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) की दर से बढ़ोतरी हो रही है।
• बढ़ोतरी की यह दर 2006 से पहले सिर्फ 1.8 पीपीएम थी। लगभग दोगुनी वृद्धि की यह दर पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। इसने वैज्ञानिकों को गंभीर चिंता में डाल में दिया है।
• सूखा, वर्षा, गर्मी जैसी आपदा को बढ़ावा देगी सीओटू : आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ. मनीष नाजा के अनुसार वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को लेकर एरीज के वैज्ञानिक निरंतर नजर रखे हैं। वातावरण में तेजी से बढ़ती कार्बन डाइआक्साइड गैस की मात्र बेहद चिंताजनक है। इससे एक्स्ट्रीम वेदर को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लगातार सूखा, वर्षा या गर्मी जैसी आपदाओं का प्रकोप बढ़ेगा।
5. भारत-नीदरलैंड कृषि क्षेत्र में बढ़ाएंगे सहयोग
• भारत और नीदरलैंड कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं। इस पहल से सरकार को किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
• नीदरलैंड की उप प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री करोला स्काउटन ने बृहस्पतिवार को कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह से मुलाकात की और कृषि के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर र्चचा की। बैठक में दोनों मंत्रियों ने भारत-नीदरलैंड सहयोग के तहत अब तक हुए कायरें की र्चचा की तथा इसे और बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की।
• सिंह ने कहा कि भारत फसलों की कटाई के बाद डंठल और पुआल आदि के प्रबंध, पशुपालन, डेयरी विकास, पशु स्वास्य समेत अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए इच्छुक है। उन्होंने भारतीय कृषि में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को शामिल करने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि नीदरलैंड फूलों, पौधों और सब्जियों की खेती में अग्रणी है और कृषि क्षेत्र के विविधीकरण के लिए जाना जाता है।
• सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र के बारामती में सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) शुरू हो गया है। दूसरा उत्कृष्टता केंद्र फूलों के लिए तलेगांव में बना रहा है जो कि जल्दी ही तैयार हो जाएगा।
6. उ. कोरिया ने परमाणु परीक्षण स्थल को ध्वस्त किया
• उत्तर कोरिया ने विदेशी पत्रकारों की उपस्थिति में बृहस्पतिवार को अपने परमाणु परीक्षण स्थल को ध्वस्त कर दिया। परमाणु परीक्षण स्थल को ध्वस्त करने के लिए एक के बाद एक कई विस्फोट किए गए।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अगले महीने प्रस्तावित अपनी शिखर वार्ता के मद्देनजर उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने परीक्षण स्थल को बंद करने की घोषणा की थी।
• उत्तर कोरिया का पंग्गी-री परमाणु परीक्षण स्थल को बंद करने के निर्णय को किम द्वारा सम्मेलन से पहले एक सकारात्मक माहौल बनाने के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।विदेशी मीडिया मुख्य रूप से टेलीविजन नेटवर्क को लाने से उत्तर कोरिया दुनिया को यह दिखाते हुए नजर आया कि वह परमाणु परीक्षण स्थल को बंद करने जा रहा है। उत्तर कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु हथियार निरीक्षकों को आमंत्रित नहीं किया था।
• परमुाण परीक्षण स्थल को नष्ट करने के लिए पहला विस्फोट सुबह लगभग 11 बजे किया गया। उत्तर कोरिया के अधिकारियों ने बताया, उत्तरी सुरंग ढहाई गई जिसका इस्तेमाल 2009 और पिछले वर्ष के बीच पांच परमाणु परीक्षण करने के लिए किया गया था।अधिकारियों के अनुसार दो अन्य विस्फोट अपराह्न 2:20 बजे और शाम चार बजे किए गए जिसमें पश्चिम व दक्षिण सुरंगों को ढहाया गया।
• बृहस्पतिवार के विध्वंस में स्थल पर गार्ड और अन्य कर्मचारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अवलोकन चौकियों और बैरकों को नष्ट करना भी शामिल था। 2006 में प्रारंभिक परमाणु परीक्षण के बाद परीक्षण स्थल के पूर्वी हिस्से पर एक अन्य सुरंग बंद कर दी गई थी। जिन पत्रकारों को परीक्षण स्थलों को नष्ट करने के अभियान में शामिल होने की अनुमति मिली थी वे आज लगभग नौ घंटे तक रहे।
7. ओएनजीसी पर विशेष कर लगा सकती है सरकार
• पेट्रोल - डीजल की लगातार बढ़ रही खुदरा कीमतों को कम करने के स्थायी समाधान ढूंढ रही सरकार ओएनजीसी जैसे घरेलू तेल उत्पादकों पर अप्रत्याशित लाभ पर कर लगा सकती है।गतिविधियों के जानकार सूत्रों ने कहा कि यह इस तरह का कर उपकर के रूप में आरोपित किया जा सकता है और यह कच्चे तेल के भाव 70 डालर प्रति बैरल के ऊपर जाते ही प्रभावी हो जाएगा।
• इसके तहत तेल उत्पादकों को 70 डॉलर प्रति बैरल के भाव से ऊपर की किसी भी कमाई को कर के रूप में देना होगा। सूत्रों ने कहा कि इस तरह वसूल होने वाले राजस्व का उपयोग पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों की मदद के लिए किया जाएगा ताकि वे तेल की कीमतें को एक स्तर से ऊपर जाने से रोकने में समर्थ हों।
• ग्राहकों को तुरंत राहत देने के लिए इसे उत्पाद शुल्क में मामूली बदलाव के साथ लागू किया जा सकता है। साथ ही खुदरा कीमतों में बड़ी कमी दर्शाने के लिए राज्य सरकारों से भी बिक्री कर या मूल्यवर्धित कर (वैट) घटाने के लिए कहा जाएगा।
• सूत्रों ने कहा कि सरकार का विचार सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र के तेल उत्पादकों पर उपकर लगाने का है ताकि सार्वजनिक तेल उत्पादकों द्वारा इसका विरोध नहीं किया जा सके।
No comments:
Post a Comment