Tuesday 28 June 2016

विदेश व्यापार नीति!

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की पांच साल (2015 से 2020) की पहली विदेश व्यापार नीति-2015-20 नई दिल्ली में 1 अप्रैल 2015 को जारी किया.
इस पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार सृजन करने और प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' विजन को ध्यान में रखते हुए देश में मूल्य संवर्द्धन को नई गति प्रदान करने की रूपरेखा का जिक्र किया गया है. इस नीति में विनिर्माण एवं सेवा दोनों ही क्षेत्रों को समर्थन देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है. वहीं, विदेश व्यापार नीति-2015-20 में 'कारोबार करने को और आसान बनाने' पर विशेष जोर दिया गया है.
विदेश व्यापार नीति पेश करने के साथ-साथ एक एफटीपी वक्तव्य भी जारी किया गया है, जिसमें भारत की विदेश व्यापार नीति को रेखांकित करने वाले विजन, लक्ष्यों  एवं उद्देश्यों को विस्तार से बताया गया है. एफटीपी (विदेश व्यापार नीति) वक्तव्य में आने वाले वर्षों के दौरान भारत के वैश्विक करार समझौते का खाका भी पेश किया गया है.
उद्देश्य
• इसका उद्देश्य देश का निर्यात बढ़ाना और व्यापार विस्तार को आर्थिक वृद्धि और रोजगार के अवसर जुटाने का प्रभावी साधन बनाना है.
• एफटीपी का एक प्रमुख उद्देश्य सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे 'कागज रहित कामकाज' की तरफ कदम बढ़ाना है.
• नीति में सरकार के मेक इन इंडिया अभियान के तहत सेवाओं के निर्यात को और विनिर्माण क्षेत्र को भी बढ़ावा दिया जायेगा.
• मर्चेन्डाइज और सेवा क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा का माहौल तैयार करने के लिए स्थायी और दीर्घकालीन नीतिगत ढांचे को प्रोत्साहन देना है.
• विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र दोनों को बढ़ावा देना.
विदेश व्यापार नीति 2015-2020 के मुख्य बिंदु
• राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की पहली विदेश व्यापार नीति में देश से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात वर्ष 2013-14 के 465.9 अरब डालर से बढ़ाकर 2019-20 तक 900 अरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है और निर्यातकों तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) को कई तरह के प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई.
• विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) में कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए उच्चस्तरीय प्रोत्साहन दिया जाएगा.
• नीति में सरकार के मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया अभियानों के बीच समन्वय पर जोर दिया गया है.
• देश का निर्यात बढ़ाने के लिए विदेश व्यापार नीति में एक निर्यात संवर्धन मिशन स्थापित किए जाने पर भी जोर दिया गया है. यह मिशन निर्यात बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों के साथ एक संस्थागत ढांचे का काम करेगा.
• विदेश व्यापार नीति में ‘विभिन्न केन्द्र सरकार के विभागों में निर्यात और आयात के प्राधिकृत बिंदुओं पर वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती करने का प्रावधान किया गया है.’
• विदेश व्यापार नीति की सालाना समीक्षा के बजाय अब पंचवर्षीय नई विदेश व्यापार नीति की ढाई साल में समीक्षा की जाएगी. पहले इसकी हर साल समीक्षा की जाती रही है.
• विदेश व्यापार नीति 2015-2020 में वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बढ़ाने के लिए ‘भारत वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) और ‘भारत सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस)’ शुरू करने की घोषणा की गई.
• ईपीसीजी योजना के तहत स्वदेशी निर्माताओं से ही पूंजीगत सामान खरीदने के उपाय किए गए हैं. इसके तहत विशेष निर्यात प्रतिबद्धता को घटाकर सामान्य निर्यात प्रतिबद्धता के 75 फीसदी के स्तर पर ला दिया गया है. इससे घरेलू पूंजीगत सामान निर्माण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. इस तरह के लचीलेपन से निर्यातकों को स्थानीय एवं वैश्विक दोनों ही तरह की खपत के लिए अपनी उत्पादक क्षमताओं को विकसित करने में मदद मिलेगी.
• रक्षा एवं हाई-टेक उत्पादों के निर्यात को नई गति प्रदान करने के भी उपाय किए गए हैं. इसके साथ ही हथकरघा उत्पादों एवं किताबों, चमड़े के जूते-चप्पल और खिलौनों के ई-कॉमर्स निर्यात को भी एमईआईएस का लाभ (25 हजार रुपये तक के मूल्य के लिए) दिया जायेगा.
• नीति में निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तु योजना के तहत निर्यात की अनिवार्यता 90 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत कर दी गई है, ताकि पूंजीगत वस्तु और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके.
• विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) से निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने अब एसईजेड में स्थित इकाइयों को दोनों इनाम योजनाओं (एमईआईएस और एसईआईएस) का लाभ देने का निर्णय लिया है. इस कदम से देश में एसईजेड के विकास को नई गति मिलेगी.
• नई विदेश व्यापार नीति में 'व्यापार को सुविधाजनक बनाने' एवं 'कारोबार करने में और ज्यादा आसानी सुनिश्चित करने' पर भी विशेष जोर दिया गया है.
• शत-प्रतिशत ईओयू/ईएचटीपी/एसटीपीआई/बीटीपी योजनाओं के तहत निर्माण एवं निर्यात को बढ़़ावा देने के लिए भी अनेक कदम उठाये गये हैं. इन इकाइयों के लिए 'त्वरित मंजूरी सुविधा' भी इन कदमों में शामिल है. इसके अलावा, ये इकाइयां अपनी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को साझा कर सकेंगी.
विदेश व्यापार नीति 2015-2020 में दो नई योजनाओं की शुरुआत
वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बढ़ाने के लिए विदेश व्यापार नीति 2015-2020 में (एफटीपी 2015-2020) में पहले से लागू कई योजनाओं के स्थान पर दो नई योजनाओं की शुरुआत की गई है.
1. भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस)
2. भारत से सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस)
एमईआईएस का उद्देश्य विशेष बाजारों को विशेष वस्तुओं का निर्यात करना है, जबकि एसईआईएस का उद्देश्य अधिसूचित सेवाओं का निर्यात बढ़ाना है. इसके तहत पात्रता और उपयोग के लिए अलग-अलग शर्तें रखी गई हैं.
इन योजनाओं के तहत जारी की जाने वाली किसी भी स्क्रिप (पावती-पत्र) के लिए कोई शर्त नहीं रखी गई है.
एमईआईएस और एसईआईएस के तहत जारी की जाने वाली ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप और इन स्क्रिप के एवज में आयात की जाने वाली वस्तुएं पूरी तरह से हस्तांतरण योग्य हैं.
एमईआईएस के तहत इनाम देने के लिए देशों को तीन समूहों में श्रेणीबद्ध किया गया है. एमईआईएस के तहत इनाम की दरें 2 से लेकर 5 फीसदी तक हैं. एसईआईएस के तहत चुनिंदा सेवाओं को 3% और 5% की दर पर पुरस्कृत किया जाएगा.
लाभ
‘विदेश व्यापार नीति आने वाले वर्षो में भारत के नियंत्रण व्यापार को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगी. वर्ष 2020 तक विश्व व्यापार में भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार होगा. विश्व व्यापार में भारत का निर्यात हिस्सा दो प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत पर पहुंचाया जाएगा. विदेश व्यापार नीति से देश में एसईजेड के विकास को नई गति मिलेगी.

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