लेख थोड़ा लंबा जरूर होगा लेकिन बिना पढ़े ही आईएएस थोड़ी न बन जाएंगे...
पहले मैं अपनी कहानी बताता हूँ। आईएएस प्रारंभिक परीक्षा किसी हव्वा की तरह महज कुछ दिन दूर खड़ा था और मैं गांधीविहार के जिस कोटर( फ़्लैट) में अपने पहले प्रयास की तैयारी कर रहा था, उसमें मेरे साथ दो अन्य अंग्रेजी माध्यम के लड़के भी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वो दोनों सज्जन वाजीराम कोचिंग के अलावा मुखर्जीनगर में फूटपाथ पर बिकने वाले ढेर सारे मैगजीन, विशेषज्ञों के करेंटनोट्स, टेस्ट सीरीज, शाम को ग्रुप डिस्कसन और वो सब कुछ कर रहे थे जो वो चबा और निगल सकते थे। मैं तो बस हिंदी माध्यम की भाँती जैसे तैसे उस महंगे कोटर में टिका हुआ था। न मुझे घर से इतने पैसे मिलते थे और न ही मैं इतना स्मार्ट था कि इन गतिविधियों में हिस्सा ले सकूं। मुझे किसी ने प्रिलिम के लिए गाइड कर रखा था और उन्हीं के अनुसार मैंने परीक्षा के दो महीने पहले अपनी टेबल कुर्सी कोटर के एक कोने में लगाईं और प्रिलिम तक कुछ गिने चुने किताबों, पिछले छ महीने की प्रतियोगिता दर्पण पत्रिका, ऑक्सफ़ोर्ड स्टूडेंट एटलस और उस सब को पढ़ने की विशेष तकनीक के साथ उससे चिपक गया। चिपक गया मतलब दो महीने अनवरत पढ़ने के लिए मैंने अपने खाने और सोने का शेड्यूल समाप्त कर दिया। मैंने 35-40 घंटे लगातार जागने की आदत डाली। मैंने जीएस में सब कुछ नहीं पढ़ा लेकिन जो भी पढ़ा उसे सिर्फ चबाने या निगलने के बाजाय पचा गया। मैं टेबल पर एक तरफ महेश बर्णवाल और दूसरी तरफ एटलस रखकर दोनों को घंटों ऐसे निहारा करता था मानों अमेरिका के ग्रेट लेक्स प्रदेश के मक्का बेल्ट में किसी काऊबॉय की तरह घुड़सवारी कर रहा हूँ। कभी मेरा घोड़ा क्लीवलैंड, डेट्रॉइट, गैरी, शिकागो जैसे विनिर्माण केंद्रों की ख़ाक छानता, कभी मेसाबी रेंज की लोहे की खानों में उतर जाता तो कभी नोवासकोसिया के सेब के बागानों में सैर करता। इसी तरह मैंने किताब और एटलस की सहायता से सभी भूआकृतियों, महाद्वीपों, महासागरों से लेकर सैकड़ों संकरी खाड़ियों में दिलचस्प विचरण किया। मुझे सभी विषयों की परवाह नहीं थी। मैं तो बस अपनी धुन में रमा हुआ था। मैंने अपनी रूचि के कुछ ख़ास विषयों की पहचान की और उन्हें विकसित किया। हालाँकि मैंने अन्य विषय भी पढ़ रखे थे लेकिन इन दो महीनों में भूगोल के अलावा मैंने सिर्फ पर्यावरण, इतिहास और समसामयिकी पर अपनी पकड़ मजबूत की। इसके अलावा मैंने ग्रेजुएशन के दौरान टीवी पर डिस्कवरी, एनीमल प्लैनेट और जियोग्राफिक चैनल खूब देख रखा था। जब प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आया तो मेरा रोल नंबर उसमें शामिल था और दुर्भाग्य से मेरे दोनों सहपाठी उसमें सफल नहीं हो सके।
ये कहानी मैंने मनोरंजन करने के लिए नहीं बल्कि आपको सत्य के नजदीक ले जाने और आपका आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सुनाई। दरअसल आईएएस प्रिलिम के "सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र" को फोड़ने की कुंजी न तो बहुत सारी किताबों, मैगजीन और नोट्स में छिपी है और न ही मंहगे कोचिंग क्लासेज में। बेशक किताब, मैगजीन और कोचिंग क्लास से 'सामान्य अध्ययन' के प्रश्नों को हल करने में मदद मिलती है लेकिन एक सीमा तक ही और उस सीमा के बाद जो चीज आपको मुख्य परीक्षा के चौखट पर ला खड़ा करती है वो है आपकी अपनी समझ, कुशलता, कुछ ख़ास विषयों पर आपकी मजबूत पकड़ और परीक्षा भवन में आपके दिमागी घोड़े की रफ़्तार।
अभी भी परीक्षा में 40 दिन शेष हैं। ऐसा नहीं है कि पिछले महीनों आपने कुछ पढ़ा ही नहीं होगा, काफी कुछ पढ़ रखा होगा आपने। लेकिन ये समय न तो हर किताब के पन्ने पलटने का है न ढेर सारे नोट्स और मैगजीन खरीदने का। सब पड़े रह जायेंगे। ये समय है खुद को पहचाने और भरोसा जताने का। आप किन्हीं तीन विषयों और समसामयिकी में मजबूती से खूंटा गाड़िये। याद रहे ये तीनों विषय आपकी रूचि के होने चाहिए। आप भूगोल/इतिहास/
राजव्यवस्था या भूगोल/विज्ञान/
अर्थव्यवस्था या इतिहास/
अर्थव्यवस्था/विज्ञान, इन तीनों में किसी भी वर्ग + समसामयिकी को अगले चालीस दिनों के लिए चुन सकते हैं। अगर स्तरीय किताबों से आप इन्हें तैयार कर लेंगे तो सिर्फ इतने से प्रश्नपत्र के 100 में से 55 प्रश्न आपको आसानी से मिल जायेंगे जिनमें से 42-45 प्रश्न आप हल करेंगे। इसके बाद इन तीन विषयों के अलावा अन्य विषयों में आपके अब तक के अध्ययन, आपकी समझ, दिए गए विकल्पों में चुनने की आपकी कुशलता के आधार पर यदि आप शेष बचे 45 प्रश्नों में से 20 भी हल करेंगे तो आप कुल 62-65 प्रश्न सही कर चुके होंगे जो कटऑफ से काफी अधिक है। लेकिन यहाँ तक पहंचने के लिए अगले 40 दिनों में आपकी तैयारी की रीढ़ आपके पसंद के तीन विषय + समसामयिकी ही होने चाहिए। इसके अलावा प्रिलिम को फोड़ने के लिये नीचे चार सूत्र हैं..
1. प्रश्नपत्र में अधिकतर प्रश्नों में दो या तीन वाक्य दिए होते हैं और उसके नीचे दिए हुए कूट से सही वाक्यों के समूह को चुनना होता है। इसलिए आपके द्वारा पढ़ी जा रही किताब का प्रत्येक वाक्य आपके लिए एक फैक्ट है। ऐसे में न तो संक्षिप्त नोट्स बनाने की कोई गुंजाइश रह जाती है और न ही आपके संक्षिप्त नोट्स से कुछ पूछा जायेगा। स्तरीय किताबों का गंभीर अध्ययन ही आपकी नइया पार लगा सकता है। इसलिए सिर्फ स्तरीय किताबों को धीरे धीरे, समझते हुए लेकिन लगातार पढ़ें। पढ़ते हुए सोचें भी। जो भी पढ़ें उसे अगले दिन तेजी से दुहराकर ही आगे बढ़ें। याद रखें प्रत्येक दिन दुहराकर ही आगे बढें।
2. प्रिलिम में आपकी सफलता का लगभग आधा हिस्सा परीक्षा भवन में आपके दिमागी घोड़े की चाल पर निर्भर करता है। प्रश्नपत्र खोलने के बाद अगर आपका दिमाग खुराफात नहीं कर सका तो फिर समझिये मुश्किल है। दिए गए वाक्यों को अपनी आँख से नहीं बल्कि छठीं इन्द्रिय से पढ़ें। अक्सर दिए गए वाक्यों के साथ मिलाकर नीचे दिए कूटों को धयान से ताड़ने पर कूटों की कूटनीति बाहर निकल आती है। जरुरी नहीं कि किसी प्रश्न में दिए गए दोनों या तीनों वाक्य आपने किताब, पत्रिका या अखबार में प्रत्यक्ष पढ़ रखे हों या उनके बारे में आपको जानकारी हो। अगर आप एक वाक्य पर भी आश्वस्त हैं कि वो सही है तो पहले उन कूटों को अलग करिये जिनमें वो सही वाक्य शामिल है। ध्यान दें, दिए गए वाक्यों में से किसी भी वाक्य को सही मान लेने से पहले ईमानदारी बरतें कि क्या आप उसे पूरी तरह जानते हैं या आपने अपनी अधूरी जानकारी के आधार पर उसे बस यूँ ही सही मान लिया। मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ जब मुझे लगा कि दिए गए दोनों वाक्य सही हैं लेकिन बाद में उत्तर निकला कि दोनों वाक्य गलत थे। ऐसा क्यों हुआ? मैंने ईमानदारी नहीं बरती थी। मैंने अपनी अधूरी जानकारी के आधार पर उन्हें सही मान लिया था। मैं आपको ये इसलिए बता रहा हूँ ताकि आप के कान खड़े हो जाएं।
3. अगले चालीस दिनों के लिए अपने संसारिक संपर्क काट लें। वाट्सएप, फेसबुक अनइंस्टाल या डीएक्टिवेट कर लें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो समझिये आपके पास वास्तविक रूप में चालीस दिन नहीं बल्कि दस दिन ही हैं।
4. सारा खेल ऊर्जा का होता है। इसलिए ऊर्जा को पढ़ाई के अलावा अन्यत्र कहीं भी हंस कर, बोलकर, देखकर, चिंतन कर या अन्य तरीके से नष्ट न करें। दिन में थोड़ा थोड़ा कई बार खाएं। एक बार में अधिक भोजन करने से दिमाग सुस्त हो जाता है। दिमाग का भरपूर इस्तेमाल करने के लिए बीच-बीच में पानी पीते रहें।
समय कम है। मैं दुनिया भर के किताबों के नाम बता कर आपको दिग्भ्रमित नहीं करना चाहूंगा। लेकिन अगर आप कॉमेंट में किसी विशेष किताब का नाम पूछेंगे तो बता दूंगा।
आपको बहुत सारी शुभकामनाएं।
( लेख को कभी दोबारा पढ़ने के लिए अपनी टाइमलाइन पर शेयर कर सकते हैं)
●By आलोक ह्यूमनिस्ट
पहले मैं अपनी कहानी बताता हूँ। आईएएस प्रारंभिक परीक्षा किसी हव्वा की तरह महज कुछ दिन दूर खड़ा था और मैं गांधीविहार के जिस कोटर( फ़्लैट) में अपने पहले प्रयास की तैयारी कर रहा था, उसमें मेरे साथ दो अन्य अंग्रेजी माध्यम के लड़के भी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वो दोनों सज्जन वाजीराम कोचिंग के अलावा मुखर्जीनगर में फूटपाथ पर बिकने वाले ढेर सारे मैगजीन, विशेषज्ञों के करेंटनोट्स, टेस्ट सीरीज, शाम को ग्रुप डिस्कसन और वो सब कुछ कर रहे थे जो वो चबा और निगल सकते थे। मैं तो बस हिंदी माध्यम की भाँती जैसे तैसे उस महंगे कोटर में टिका हुआ था। न मुझे घर से इतने पैसे मिलते थे और न ही मैं इतना स्मार्ट था कि इन गतिविधियों में हिस्सा ले सकूं। मुझे किसी ने प्रिलिम के लिए गाइड कर रखा था और उन्हीं के अनुसार मैंने परीक्षा के दो महीने पहले अपनी टेबल कुर्सी कोटर के एक कोने में लगाईं और प्रिलिम तक कुछ गिने चुने किताबों, पिछले छ महीने की प्रतियोगिता दर्पण पत्रिका, ऑक्सफ़ोर्ड स्टूडेंट एटलस और उस सब को पढ़ने की विशेष तकनीक के साथ उससे चिपक गया। चिपक गया मतलब दो महीने अनवरत पढ़ने के लिए मैंने अपने खाने और सोने का शेड्यूल समाप्त कर दिया। मैंने 35-40 घंटे लगातार जागने की आदत डाली। मैंने जीएस में सब कुछ नहीं पढ़ा लेकिन जो भी पढ़ा उसे सिर्फ चबाने या निगलने के बाजाय पचा गया। मैं टेबल पर एक तरफ महेश बर्णवाल और दूसरी तरफ एटलस रखकर दोनों को घंटों ऐसे निहारा करता था मानों अमेरिका के ग्रेट लेक्स प्रदेश के मक्का बेल्ट में किसी काऊबॉय की तरह घुड़सवारी कर रहा हूँ। कभी मेरा घोड़ा क्लीवलैंड, डेट्रॉइट, गैरी, शिकागो जैसे विनिर्माण केंद्रों की ख़ाक छानता, कभी मेसाबी रेंज की लोहे की खानों में उतर जाता तो कभी नोवासकोसिया के सेब के बागानों में सैर करता। इसी तरह मैंने किताब और एटलस की सहायता से सभी भूआकृतियों, महाद्वीपों, महासागरों से लेकर सैकड़ों संकरी खाड़ियों में दिलचस्प विचरण किया। मुझे सभी विषयों की परवाह नहीं थी। मैं तो बस अपनी धुन में रमा हुआ था। मैंने अपनी रूचि के कुछ ख़ास विषयों की पहचान की और उन्हें विकसित किया। हालाँकि मैंने अन्य विषय भी पढ़ रखे थे लेकिन इन दो महीनों में भूगोल के अलावा मैंने सिर्फ पर्यावरण, इतिहास और समसामयिकी पर अपनी पकड़ मजबूत की। इसके अलावा मैंने ग्रेजुएशन के दौरान टीवी पर डिस्कवरी, एनीमल प्लैनेट और जियोग्राफिक चैनल खूब देख रखा था। जब प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आया तो मेरा रोल नंबर उसमें शामिल था और दुर्भाग्य से मेरे दोनों सहपाठी उसमें सफल नहीं हो सके।
ये कहानी मैंने मनोरंजन करने के लिए नहीं बल्कि आपको सत्य के नजदीक ले जाने और आपका आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सुनाई। दरअसल आईएएस प्रिलिम के "सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र" को फोड़ने की कुंजी न तो बहुत सारी किताबों, मैगजीन और नोट्स में छिपी है और न ही मंहगे कोचिंग क्लासेज में। बेशक किताब, मैगजीन और कोचिंग क्लास से 'सामान्य अध्ययन' के प्रश्नों को हल करने में मदद मिलती है लेकिन एक सीमा तक ही और उस सीमा के बाद जो चीज आपको मुख्य परीक्षा के चौखट पर ला खड़ा करती है वो है आपकी अपनी समझ, कुशलता, कुछ ख़ास विषयों पर आपकी मजबूत पकड़ और परीक्षा भवन में आपके दिमागी घोड़े की रफ़्तार।
अभी भी परीक्षा में 40 दिन शेष हैं। ऐसा नहीं है कि पिछले महीनों आपने कुछ पढ़ा ही नहीं होगा, काफी कुछ पढ़ रखा होगा आपने। लेकिन ये समय न तो हर किताब के पन्ने पलटने का है न ढेर सारे नोट्स और मैगजीन खरीदने का। सब पड़े रह जायेंगे। ये समय है खुद को पहचाने और भरोसा जताने का। आप किन्हीं तीन विषयों और समसामयिकी में मजबूती से खूंटा गाड़िये। याद रहे ये तीनों विषय आपकी रूचि के होने चाहिए। आप भूगोल/इतिहास/
राजव्यवस्था या भूगोल/विज्ञान/
अर्थव्यवस्था या इतिहास/
अर्थव्यवस्था/विज्ञान, इन तीनों में किसी भी वर्ग + समसामयिकी को अगले चालीस दिनों के लिए चुन सकते हैं। अगर स्तरीय किताबों से आप इन्हें तैयार कर लेंगे तो सिर्फ इतने से प्रश्नपत्र के 100 में से 55 प्रश्न आपको आसानी से मिल जायेंगे जिनमें से 42-45 प्रश्न आप हल करेंगे। इसके बाद इन तीन विषयों के अलावा अन्य विषयों में आपके अब तक के अध्ययन, आपकी समझ, दिए गए विकल्पों में चुनने की आपकी कुशलता के आधार पर यदि आप शेष बचे 45 प्रश्नों में से 20 भी हल करेंगे तो आप कुल 62-65 प्रश्न सही कर चुके होंगे जो कटऑफ से काफी अधिक है। लेकिन यहाँ तक पहंचने के लिए अगले 40 दिनों में आपकी तैयारी की रीढ़ आपके पसंद के तीन विषय + समसामयिकी ही होने चाहिए। इसके अलावा प्रिलिम को फोड़ने के लिये नीचे चार सूत्र हैं..
1. प्रश्नपत्र में अधिकतर प्रश्नों में दो या तीन वाक्य दिए होते हैं और उसके नीचे दिए हुए कूट से सही वाक्यों के समूह को चुनना होता है। इसलिए आपके द्वारा पढ़ी जा रही किताब का प्रत्येक वाक्य आपके लिए एक फैक्ट है। ऐसे में न तो संक्षिप्त नोट्स बनाने की कोई गुंजाइश रह जाती है और न ही आपके संक्षिप्त नोट्स से कुछ पूछा जायेगा। स्तरीय किताबों का गंभीर अध्ययन ही आपकी नइया पार लगा सकता है। इसलिए सिर्फ स्तरीय किताबों को धीरे धीरे, समझते हुए लेकिन लगातार पढ़ें। पढ़ते हुए सोचें भी। जो भी पढ़ें उसे अगले दिन तेजी से दुहराकर ही आगे बढ़ें। याद रखें प्रत्येक दिन दुहराकर ही आगे बढें।
2. प्रिलिम में आपकी सफलता का लगभग आधा हिस्सा परीक्षा भवन में आपके दिमागी घोड़े की चाल पर निर्भर करता है। प्रश्नपत्र खोलने के बाद अगर आपका दिमाग खुराफात नहीं कर सका तो फिर समझिये मुश्किल है। दिए गए वाक्यों को अपनी आँख से नहीं बल्कि छठीं इन्द्रिय से पढ़ें। अक्सर दिए गए वाक्यों के साथ मिलाकर नीचे दिए कूटों को धयान से ताड़ने पर कूटों की कूटनीति बाहर निकल आती है। जरुरी नहीं कि किसी प्रश्न में दिए गए दोनों या तीनों वाक्य आपने किताब, पत्रिका या अखबार में प्रत्यक्ष पढ़ रखे हों या उनके बारे में आपको जानकारी हो। अगर आप एक वाक्य पर भी आश्वस्त हैं कि वो सही है तो पहले उन कूटों को अलग करिये जिनमें वो सही वाक्य शामिल है। ध्यान दें, दिए गए वाक्यों में से किसी भी वाक्य को सही मान लेने से पहले ईमानदारी बरतें कि क्या आप उसे पूरी तरह जानते हैं या आपने अपनी अधूरी जानकारी के आधार पर उसे बस यूँ ही सही मान लिया। मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ जब मुझे लगा कि दिए गए दोनों वाक्य सही हैं लेकिन बाद में उत्तर निकला कि दोनों वाक्य गलत थे। ऐसा क्यों हुआ? मैंने ईमानदारी नहीं बरती थी। मैंने अपनी अधूरी जानकारी के आधार पर उन्हें सही मान लिया था। मैं आपको ये इसलिए बता रहा हूँ ताकि आप के कान खड़े हो जाएं।
3. अगले चालीस दिनों के लिए अपने संसारिक संपर्क काट लें। वाट्सएप, फेसबुक अनइंस्टाल या डीएक्टिवेट कर लें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो समझिये आपके पास वास्तविक रूप में चालीस दिन नहीं बल्कि दस दिन ही हैं।
4. सारा खेल ऊर्जा का होता है। इसलिए ऊर्जा को पढ़ाई के अलावा अन्यत्र कहीं भी हंस कर, बोलकर, देखकर, चिंतन कर या अन्य तरीके से नष्ट न करें। दिन में थोड़ा थोड़ा कई बार खाएं। एक बार में अधिक भोजन करने से दिमाग सुस्त हो जाता है। दिमाग का भरपूर इस्तेमाल करने के लिए बीच-बीच में पानी पीते रहें।
समय कम है। मैं दुनिया भर के किताबों के नाम बता कर आपको दिग्भ्रमित नहीं करना चाहूंगा। लेकिन अगर आप कॉमेंट में किसी विशेष किताब का नाम पूछेंगे तो बता दूंगा।
आपको बहुत सारी शुभकामनाएं।
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●By आलोक ह्यूमनिस्ट
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