रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- विश्व जनसंख्या संभावना, 2019 (World Population Prospects, 2019 – WPP 2019) के अनुसार, चीन और भारत, विश्व की सरव्धिक आबादी वाले दो देश हैं, जिनकी जनसँख्या क्रमशः 1.44 बिलियन और 1.39 बिलियन है। ये दोनों देश, विश्व की आबादी का क्रमशः 19 और 18 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं।
- लगभग वर्ष 2023 तक, भारत, जनसख्या के मामले चीन को पछाड़कर विश्व में सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। वर्ष 2019 और 2050 के बीच चीन की आबादी में 31.4 मिलियन या लगभग 2.2 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है।
- संयुक्त राष्ट्र के पूर्वानुमान के अनुसार- शीघ्र ही दुनिया की आबादी आठ अरब तक पहुंचने की संभावना है।
- जन्म दर में शुद्ध गिरावट: रिपोर्ट के अनुसार- कई विकासशील देशों में जन्म दर में शुद्ध गिरावट देखी गई है और आने वाले दशकों में दुनिया की आबादी में ‘आधे से अधिक वृद्धि’ आठ देशों में केंद्रित होगी।
- इन आठ देशों में- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और तंजानिया शामिल हैं।
- सतत विकास लक्ष्यों के लिए चुनौती: कई संस्थाओं द्वारा वर्ष 2022 और 2050 के बीच विश्व की आबादी दोगुनी होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। जनसख्या की वृद्धि से संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव और संयुक्त राष्ट्र के ‘सतत विकास लक्ष्यों’ (SDGs) को हासिल करने हेतु चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- वृद्धावस्था जनसंख्या वृद्धि: वृद्ध व्यक्तियों की आबादी, संख्या और कुल जनसंख्या के हिस्से के रूप में- दोनों तरीके से बढ़ रही है।
- प्रजनन क्षमता में निरंतर गिरावट: प्रजनन क्षमता में निरंतर गिरावट के कारण कामकाजी उम्र (25 से 64 वर्ष के बीच) में जनसंख्या में वृद्धि हुई है, जिससे ‘प्रति व्यक्ति त्वरित आर्थिक विकास’ का अवसर पैदा हुआ है।
- प्रवासन: कुछ देशों में जनसंख्या प्रवृत्तियों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रवास का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है।
- अगले कुछ दशकों में, ‘प्रवासन’- उच्च आय वाले देशों में जनसंख्या वृद्धि का एकमात्र कारण होगा।
- कोविड-19: कोविड-19 महामारी का, जनसंख्या परिवर्तन के सभी घटकों- जैसे कि मृत्यु दर, प्रजनन क्षमता और प्रवास – को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय परिणाम पड़ा है।
- 2019 और 2021 के बीच, महामारी से जुड़ी अधिक मृत्यु दर के कारण, ‘वैश्विक जीवन प्रत्याशा’ में 1.8 वर्ष की गिरावट हुई है।
- महामारी का ‘प्रजनन क्षमता’ पर प्रभाव के बारे में अभी अधिक स्पष्टता नहीं है।
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