संबंधित प्रकरण:
- अदालत द्वारा ‘संवैधानिक (एक सौ चार संशोधन) अधिनियम’, 2019 (Constitutional (One Hundred and Fourth Amendment) Act, 2019) को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई की जा रही है।
- इस संशोधन के द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन समुदाय के नामांकन-आधारित प्रतिनिधित्व को समाप्त कर दिया गया था।
इस प्रावधान को समाप्त करने के पक्ष में केंद्र सरकार द्वारा दिया गया तर्क:
केंद्र सरकार ने कहा, कि ‘एंग्लो-इंडियन समुदाय’ समय के साथ भारतीय आबादी में विलीन हो गया है। इसके अलावा, संवैधानिक योजना के अनुसार, यह प्रावधान सीमित अवधि के लिए था, और इसे अनिश्चित काल तक जारी नहीं रखा जा सकता।
इस प्रावधान को समाप्त किए जाने के विरोध में दिए गए तर्क:
- एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों की संख्या 2011 की जनगणना में सटीक रूप से परिलक्षित नहीं होती है। संसद में संशोधन विधेयक पेश करते समय तत्कालीन कानून मंत्री ने 2011 की जनगणना रिपोर्ट को आधार बनाया था।
- अतः यह संशोधन ‘अल्पसंख्यकों के भीतर अल्पसंख्यक’ (minority within a minority) के ‘संवैधानिक वादे’ का उल्लंघन करता है और वस्तुतः यह संशोधन कुछ ही समय में ‘एंग्लो-इंडियन समुदाय’ के व्यवस्थित रूप से सांस्कृतिक-राजनीतिक विनाश के लिए ट्रिगर बन सकता है।
संवैधानिक प्रावधान:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में, लोक सभा में और राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण संबंधी, और नामनिर्देशन द्वारा आंग्ल-भारतीय समुदाय के प्रतिनिधित्व संबंधी प्रावधान किए गए हैं। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, यदि इन प्रावधानों को संसद द्वारा आगे नहीं बढाया जाता है, तो 25 जनवरी 2020 के बाद प्रभावी नहीं रहेंगे ।
भारत में ‘एंग्लो इंडियन’ से तात्पर्य:
एंग्लो इंडियन शब्द को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366 (2) में परिभाषित किया गया है; जिसके अनुसार, ‘आंग्ल-भारतीय’ से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसका पिता या पितृ-परंपरा में कोई अन्य पुरूष जनक यूरोपीय उद्भव का है या था, किन्तु जो भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवासी है और जो ऐसे राज्यक्षेत्र में ऐसे माता-पिता से जन्मा है या जन्मा था जो वहाँ साधारणतया निवासी रहे हैं।
संसद और विधानसभाओं में ‘एंग्लो इंडियन’:
- अनुच्छेद 331 के अंर्तगत किए गए प्रावधानों के अनुसार, यदि लोकसभा के 543 सदस्यों में इस समुदाय का कोई सदस्य नहीं चुना जाता है, तो भारत के राष्ट्रपति, लोकसभा में ‘एंग्लो इंडियन समुदाय’ के 2 सदस्यों को नामनिर्दिष्ट कर सकते हैं।
- इसी तरह राज्य के राज्यपाल को राज्य विधानमंडल के निचले सदन में इस समुदाय का प्रतिनिधित्व कम रहने पर, ‘एंग्लो इंडियन समुदाय’ के 1 सदस्य को नामनिर्दिष्ट करने का अधिकार है।
संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, कोई भी एंग्लो-इंडियन सदस्य नामांकन के 6 महीने के भीतर किसी भी पार्टी की सदस्यता ले सकता है। सदस्यता के बाद; वे पार्टी व्हिप से बंधे होते हैं और उन्हें पार्टी के एजेंडे के अनुसार सदन में काम करना होता है।
No comments:
Post a Comment