**रात में जानवरों की आंखें क्यों चमकती हैं**
कुछ जानवरों की आंखें अंधेरे में चमकती हैं. जैसे कि कुत्ता, बिल्ली, शेर, चीता, तेंदुआ आदि.
**कुछ जानवरों की आंखें रात में क्यों चमकती हैं**
**कुछ जानवरों की आंखें रात में क्यों चमकती हैं**
कुछ जानवरों की आंखें रात में चमकती हैं क्योंकि उनकी आंखों की पुतली या आंखों के पर्दे के पीछे एक विशेष प्रकार की चमकदार परत (reflective layer) होती है जिसे **टेपिटम लुसिडम (tapetum lucidum) कहा जाता है**
जो उनकी आंखों में **फोटोरिसेप्टर्स (photoreceptors)** के द्वारा अवशोषित प्रकाश की मात्रा को बढ़ा देती है.
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि ये परत प्रकाश को परिवर्तित करती है और इस परत के कारण ही जानवर अंधेरे में भी आसानी से चीज़ों को देख पाता हैं.
**आइये अब जानते हैं कि टेपिटम लुसिडम (Tapetum Lucidum) क्या है**
टेपिटम लुसिडम (tapetum lucidum) ऊतक की ऐसी परावर्तक परत है जो कई रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों (vertebrates) और कुछ जानवर जिनमें रीढ़ की हड्डी नहीं होती है (invertebrates) उनमें भी पायी जाती है. रीढ़ की हड्डी वाले जानवर जैसे बिल्ली, कुत्ता इत्यादि. ये परत उनकी आंखों के रेटिना के पीछे पायी जाती है.
इस परावर्तक (reflective) परत का मुख्य कार्य आंखों में फोटोरिसेप्टर्स के लिए उपलब्ध प्रकाश को बढ़ाना है. फोटोरिसेप्टर रेटिना में विशेष न्यूरॉन्स होते हैं जो दृश्य प्रकाश यानी प्रकाश के फोटॉन को अवशोषित करके उनको संकेतों में परिवर्तित करते हैं ताकि शरीर में जैविक प्रक्रियाओं को बाद में ट्रिगर किया जा सके.
ये हम सब जानते हैं कि **हमारी आंखों में cones और rods सेल्स होते हैं(* जो हमें रंगों के बीच अंतर करने और क्रमशः रात में दृश्यता प्रदान करने में मदद करते हैं. **cones और rods सेल्स वास्तव में स्तनधारी जानवरों के रेटिना में पाए जाने वाले तीन प्रकार के फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं में से दो हैं**
यद्यपि टेपेटम ल्यूसिडम का अपना रंग भी होता है जिससे संबंधित आंखों की चमक रंग-बिरंगी होती है. इसलिए इसका रंग उन खनिजों पर भी निर्भर करता है जिनसे प्रतिबिंबित **टेपिटम लुसिडम क्रिस्टल बना होता है**. आंखों के सबसे आम रंगों में **नीली परिधि (कुत्तों में)** हरे रंग (बाघों में), **सुनहरा हरा रंग या एक जैसे लैवेंडर में पीला-नीला रंग होता**है. इसलिए ही तो कुछ जानवरों की आंखें रात में अलग-अलग रंग में चमकती हैं.
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