Saturday 13 February 2021

विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA)

 विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA)


(Unlawful Activities (Prevention) Act)

संदर्भ:

राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो (National Crime Records Bureau- NCRB) द्वारा संकलित ‘भारत में अपराध’ रिपोर्ट, 2019 के अनुसार:

  • वर्ष 2016 और 2019 के मध्य, ‘विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (Unlawful Activities (Prevention) Act- UAPA) के तहत दर्ज किए गए मामलों में से केवल 2% मामलों में ही अदालत में अपराध सिद्धि हो सकी।
  • देश में UAPA के तहत वर्ष 2016 से 2019 के मध्य गिरफ्तार किए जाने वाले और दोषी साबित होने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या क्रमशः 5,922 और 132 है।
  • वर्ष 2019 में ‘देशद्रोह’ / Sedition (आईपीसी की धारा 194A) के तहत 96 लोगों को गिरफ्तार किया गया था लेकिन इनमे से मात्र दो व्यक्तियों को ही दोषी साबित किया जा सका और 29 लोगों को बरी कर दिया गया था।

विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के बारे में:

  • 1967 में पारित, विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम [Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA] का उद्देश्य भारत में गैरकानूनी गतिविधि समूहों की प्रभावी रोकथाम करना है।
  • यह अधिनियम केंद्र सरकार को पूर्ण शक्ति प्रदान करता है, जिसके द्वारा केंद्र सरकार किसी गतिविधि को गैरकानूनी घोषित कर सकती है।
  • इसके अंतर्गत अधिकतम दंड के रूप में मृत्युदंड तथा आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • UAPA के तहत, भारतीय और विदेशी दोनों नागरिकों को आरोपित किया जा सकता है।
  • यह अधिनियम भारतीय और विदेशी अपराधियों पर समान रूप से लागू होता है, भले ही अपराध भारत के बाहर विदेशी भूमि पर किया गया हो।
  • UAPA के तहत, जांच एजेंसी के लिए, गिरफ्तारी के बाद चार्जशीट दाखिल करने के लिए अधिकतम 180 दिनों का समय दिया जाता है, हालांकि, अदालत को सूचित करने के बाद इस अवधि को और आगे बढ़ाया जा सकता है।

वर्ष 2019 में किए गए संशोधनों के अनुसार:

  • यह अधिनियम राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक को, एजेंसी द्वारा मामले की जांच के दौरान, आतंकवाद से होने वाली आय से निर्मित संपत्ति पाए जाने पर उसे ज़ब्त करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • यह अधिनियम राज्य में डीएसपी अथवा एसीपी या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी के अतिरिक्त, आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच करने हेतु ‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी’ के इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को जांच का अधिकार प्रदान करता है।

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