Wednesday, 10 February 2021

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव

 25 राजनीतिक दलों के 50 से अधिक वक्ताओं ने ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ (Motion of thanks) पर राज्यसभा में तीन दिनों तक चलने वाली बहस में भाग लिया।

धन्यवाद प्रस्ताव:

(Motion of thanks)

बजट सत्र की शुरुआत में, राष्ट्रपति, संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण को सरकार द्वारा तैयार किया जाता है, जिसमे सरकार की उपलब्धियों का विवरण होता है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण के पश्चात प्रत्येक सदन में सत्तापक्ष के सांसदों द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है। इस दौरान, राजनीतिक दल धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हैं तथा संशोधन करने हेतु सुझाव भी देते हैं।

‘धन्यवाद प्रस्ताव’ में संशोधन:

  • राष्ट्रपति द्वारा सदन को संबोधित करने के पश्चात, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ में संशोधन पेश किया जा सकता है।
  • संशोधन में अभिभाषण में निहित मामलों के साथ-साथ उन विषयों को भी संदर्भित किया जा सकता है, जिनका, संशोधन प्रस्ताव पेश करने वाले सदस्य की राय में, अभिभाषण में उल्लेख नहीं किया गया था।
  • ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ में संशोधन को, अध्यक्ष अपने विवेकानुसार उचित तरीके से पेश कर सकता है।

सीमाएं:

‘धन्यवाद प्रस्ताव’ के तहत, सदस्य उन विषयों पर चर्चा नहीं कर सकते हैं, जिनके लिए केंद्र सरकार प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं होती है। इसके अलावा, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान राष्ट्रपति का उल्लेख नहीं किये जा सकता, क्योंकि अभिभाषण की विषयवस्तु के लिए केंद्र सरकार तैयार करती है, न कि राष्ट्रपति।

संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

राष्ट्रपति के अभिभाषण और धन्यवाद प्रस्ताव, संविधान के अनुच्छेद 86 (1) और 87 (1) और लोकसभा में प्रक्रिया एवं कार्य-संचालन नियमावली (Rules of Procedure and Conduct of Business) के नियम 16 ​​से 24 तक, के अधीन संचालित होते हैं।

‘धन्यवाद प्रस्ताव’ किस प्रकार पारित होता है?

  • संसद सदस्यों द्वारा ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ पर मतदान किया जाता है। यह प्रस्ताव, दोनों सदनों में पारित होना आवश्यक होता है।
  • ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ के पारित न होने को सरकार की हार समझा जाता है, और यह सरकार के पतन का कारण बन सकता है। यही कारण है, कि ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ को ‘अविश्वास प्रस्ताव’ के समान माना जाता है।

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