मुखाकृति पहचान तकनीक
(Facial recognition technology)
संदर्भ:
यद्यपि, हाल के दिनों में कई सरकारी विभागों द्वारा मुखाकृति पहचान करने वाली (Facial recognition tracking– FRT) प्रणाली का उपयोग शुरू किया गया है, किंतु इस संभावित रूप से आक्रामक तकनीक तकनीक के उपयोग को विनियमित करने के संबंध में कोई विशेष कानून या दिशानिर्देश तैयार नहीं किये गए हैं।
पृष्ठभूमि:
- वर्तमान में भारत की विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकारों की एजेंसियों द्वारा निगरानी करने, सुरक्षा अथवा प्रमाणीकरण के लिए 16 भिन्न फेशियल रिकॉग्निशन ट्रैकिंग (FRT) प्रणालियों का उपयोग किया जा रहा है।
- विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा अन्य 17 FRT प्रणालियां स्थापित किए जाने की प्रक्रिया में हैं।
संबंधित चिंताएँ
- विशिष्ट कानूनों या दिशानिर्देशों की अनुपस्थिति, निजता तथा वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संबंधी मूल अधिकारों के लिए एक बड़ा खतरा है। यह उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ’ मामले में दिए गए निजता संबंधी ऐतिहासिक फैसले में निर्धारित मानदंडो पर खरा नहीं उतरता है।
- कई संस्थानों द्वारा चेहरे की पहचान प्रणाली / फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) की शुरू करने पहले ‘निजता प्रभाव मूल्यांकन’ (Privacy Impact Assessment) नहीं किया गया है।
- कार्यात्मक विसर्पण (Function creep): जब किसी व्यक्ति द्वारा मूल निर्दिष्ट उद्देश्य के अतिरिक्त जानकारी का उपयोग किया जाता है, तो इसे कार्यात्मक विसर्पण (Function creep) कहा जाता है। जैसे कि, पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय से लापता बच्चों को ट्रैक करने के लिए फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) का उपयोग करने की अनुमति ली थी, किंतु पुलिस इसका उपयोग सुरक्षा और निगरानी और जांच करने के लिए कर रही है ।
- इससे एक अत्यधिक-पुलिसिंग जैसी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है, जैसे कि कुछ अल्पसंख्यक समुदायों की बिना किसी कानूनी प्रावधान के अथवा बिना किसी ज़िम्मेदारी के निगरानी की जाती है। इसके अलावा, ‘सामूहिक निगरानी’ के रूप में एक और समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिसमें विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस द्वारा FRT प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
- सामूहिक निगरानी (Mass surveillance): यदि कोई व्यक्ति सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने जाता है, और पुलिस उस व्यक्ति की पहचान करने में सक्षम होती है और व्यक्ति को इसके दुष्परिणाम भुगतने पद सकते हैं।
- फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) को वर्ष 2009 में केंद्रीय मंत्रिमडल द्वारा जारी एक नोट के आधार पर लागू किया जाता है। लेकिन कैबिनेट नोट का कोई वैधानिक महत्व नहीं होता है, यह मात्र एक प्रक्रियात्मक नोट होता है।
‘मुखाकृति पहचान’ (Facial recognition) क्या है?
- फेशियल रिकॉग्निशन एक बायोमेट्रिक तकनीक है, जिसमे किसी व्यक्ति की पहचान करने और उसे भीड़ में चिह्नित करने के लिए चेहरे की विशिष्टताओं का उपयोग किया जाता है।
- स्वचालित ‘मुखाकृति पहचान’ प्रणाली (Automated Facial Recognition System- AFRS), व्यक्तियों के चेहरों की छवियों और वीडियो के व्यापक डेटाबेस के आधार पर कार्य करती है। किसी अज्ञात व्यक्ति की एक नई छवि – जिसे सामन्यतः किसी सीसीटीवी फुटेज से प्राप्त किया जाता है – की तुलना मौजूदा डेटाबेस में उपलब्ध छवियों से करके उस व्यक्ति की पहचान की जाती है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक द्वारा आकृति-खोज और मिलान के लिए उपयोग की जाने वाली को ‘तंत्रिकीय नेटवर्क” (Neural Networks) कहा जाता है।
फेशियल रिकॉग्निशन के लाभ:
- अपराधियों की पहचान और सत्यापन परिणामों में सुधार।
- भीड़ के बीच किसी व्यक्ति को चिह्नित करने में आसानी।
- पुलिस विभाग की अपराध जांच क्षमताओं में वृद्धि।
- जरूरत पड़ने पर नागरिकों के सत्यापन में सहायक है।
समय की मांग:
पुट्टस्वामी फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है, कि सार्वजनिक स्थानों पर भी निजता एक मौलिक अधिकार है। और अगर इन अधिकारों का उल्लंघन करने की आवश्यकता होती है, तो सरकार को इस तरह की कार्रवाई के पीछे उचित एवं विधिसम्मत कारणों को स्पष्ट करना होगा।
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