Thursday, 27 February 2020

बिहार की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना

#बिहार_की_प्रमुख_बहुउद्देशीय_नदी_घाटी_परियोजना:
(#BPSC_विशेष)

#कोसी_परियोजना

भारत और नेपाल सरकार की यह संयुक्त जल परियोजना है। कोसी परियोजना  के निर्माण के लिए भारत और नेपाल सरकार के मध्य वर्ष 1954 में नेपाल के साथ एक समझौता किया गया, जिसे वर्ष 1961 ई. में पुनः संसोधित किया गया। कोसी परियोजना के निर्माण के प्रमुख उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, भूमि संरक्षण आदि है। कोसी नदी सर्वप्रथम चतरा गार्ज के पास पर्वत को काटकर मैदान में प्रवेश करती है। कोसी परियोजना में मुख्यत: दो प्रमुख वर्गों में विभाजित किया गया है —

•पूर्वी कोसी नहर प्रणाली
•पश्चिमी कोसी नहर प्रणाली

👉पूर्वी कोसी नहर प्रणाली :-

इस नहर प्रणाली से नेपाल एवं बिहार के मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में सिंचाई की जाती है। पूर्वी कोसी नहर पर कटैया में 20 मेगावाट क्षमता का विद्युत उत्पादन केंद्र स्थापित है। पूर्वी नहर प्रणाली द्वारा लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। पूर्वी कोसी नहर प्रणाली में मुख्य नहर की लंबाई 44 Km है तथा इसकी 4 शाखाएँ हैं  —

•मुरलीगंज नहर, लंबाई 64 Km
•जानकीनगर नहर, लंबाई 82 Km
•पूर्णिया (बनमंखी) नहर, लंबाई 64 Km
•अररिया नहर, लंबाई-52 Km

👉पश्चिमी कोसी नहर प्रणाली :-

इस नहर की लंबाई 115 Km है। इस नहर से बिहार के मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में सिंचाई की जाती है। पूर्वी नहर प्रणाली द्वारा लगभग 3.25 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है

#गंडक_परियोजना

गंडक नदी परियोजना बिहार तथा उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है। वर्ष 1959 ई. के समझौते के आधार पर नेपाल को भी गंडक परियोजना से लाभ मिल रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत वाल्मीकि नगर (बिहार) में त्रिवेणी घाट नामक स्थान पर बाँध निर्मित किया गया है। यह बाँध बिहार तथा नेपाल में विस्तृत है, इसलिए इसे त्रिवेणी नहर प्रणाली भी कहते हैं। इस परियोजना के अंतर्गत दो मुख्य नहर का निर्माण किया गया है   —

👉पूर्वी त्रिवेणी नहर —

इसे तिरहुत नहर के नाम से भी जाना जाता हैं, इस नहर की कुल लंबाई 293 Km है तथा तिरहुत नहर द्वारा लगभग 6.6 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जाती है। इस नहर द्वारा बिहार के पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर आदि जिलों में सिंचाई होती है।

👉पश्चिमी त्रिवेणी नहर —

पश्चिमी त्रिवेणी नहर की कुल लंबाई 200 Km है, जो नेपाल में 19 Km, उत्तर प्रदेश में 112 Km तथा बिहार में 69 Km भाग में विस्तृत है। इस नहर को सारण नहर  के नाम से भी जाना जाता हैं तथा इस नहर प्रणाली द्वारा लगभग 4.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।

नेपाल में गंडक परियोजना के अंतर्गत दो और नहर पूर्वी नेपाल नहर और पश्चिमी नेपाल नहर, स्थित हैं। पश्चिम नेपाल नहर पर सूरजपुरा (नेपाल) में तथा पूर्वी नहर पर वाल्मीकि नगर (नेपाल) में जल विद्युत केंद्र स्थापित है। जिनकी उत्पादन क्षमता 15-15 मेगावाट है।

#सोन_परियोजना

सोन परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1874 ई. में डेहरी के पास बारून नामक स्थान पर बाँध निर्मित किया गया था। इस बाँध की लंबाई 3801 Meter तथा ऊँचाई 2.44 Meter है। डेहरी के पास से सोन नदी से दो नहर निकाली गई हैं —

•पूर्वी सोन नहर
•पश्चिमी सोन नहर

👉पूर्वी सोन नहर —

इस नहर की कुल लंबाई 130 Km है, जो वारून से पटना तक विस्तृत है। इस नहर द्वारा औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, अरवल और पटना जिले के लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है।

👉पश्चिमी सोन नहर —

इस नहर द्वारा रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर आदि जिलों के लगभग 3 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर की सिंचाई की जाती है।

सोन नहर प्रणाली पर 2 जल विद्युत केंद्र स्थापित किए गए हैं —

•डेहरी जल विद्युत केंद्र (6.6 मेगावाट,)
•बारून जल विद्युत केंद्र (3.3 मेगावाट)

#बिहार_की_प्रमुख_नहर_और_नदी_परियोजनाओं_से_जुड़े_कुछ_मुख्य_तथ्य:-

•भारत और नेपाल की संयुक्त परियोजना जिसे 1955 में शुरू किया गया था उसका नाम है-  कोसी परियोजना
•कोसी तटबंध का पश्चिमी बांध जो 12 किलोमीटर लंबा है कहलाता है- शारदा वीर बांध
•कोशी तटबंध का पूर्वी बांध जो 14 किलोमीटर लंबा है वह कहलाता है- भीमनगर कुशवाहा बांध
•वह अवरोधक बांध एवं जलाशय जो कोसी नदी के आर पार नेपाल में हनुमान नगर से लगभग 5 किलोमीटर ऊपर बनाया गया है- हनुमान नगर  अवरोधक बांध
•वह परियोजना जो भारत सरकार की सहायता से बिहार और उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है- गंडक परियोजना
•पूर्वी कोसी नहर पर किस स्थान पर एक जल विद्युत शक्ति गृह की स्थापना की गई-  कटैया
•कोसी नहर की प्रधान शाखा की लंबाई 44 किलोमीटर है जबकि अन्य  शाखाएं हैं- मुरलीगंज, जानकीनगर बनमनखी ,अररिया
•बिहार की पहली सिंचाई परियोजना जिसे अब  बहुद्देशीय परियोजना में बदल दिया गया है-  सोन परियोजना
•सोनपरी योजना के अंतर्गत 18 से 74 ईसवी में सर्वप्रथम कहां और किस नदी पर अवरोधक बांध बनाकर जल को रोका गया-  डेहरी में सोन नदी पर
•किस नहर परियोजना थी भोजपुर, बक्सर ,रोहतास और कैमूर जिले में सिंचाई होती है- पश्चिमी सोन  नहर
•वह परियोजना  जो दुर्गावती नदी पर बनाई गई है यह नदी कैमूर की पहाड़ी से निकलती है और कर्मनाशा नदी में मिल जाती है- दुर्गावती जलाशय परियोजना
•दुर्गावती पथ योजना के माध्यम से किन जिलों में सिंचाई होती है- कैमूर और रोहतास
•किलऊ  नदी पर बनाई गई परियोजना है- ऊपरी  किलऊ जलाशय  परियोजना
•किस परियोजना  से सीतामढ़ी में ढाका रेलवे स्टेशन के पास रामनगर में बांध बनाकर नहर निकाली गई है-बागमती परियोजना
•वह नहर जो पूर्वी कोसी नहर की एक शाखा है इस नहर की अनेक शाखाओं सहित इसकी लंबाई 366 किलोमीटर लगभग है- राजपुर नहर
•किस नहर का निर्माण 1950 में हुआ था- सकरी नहर
•बिहार में सबसे प्राचीन नहर प्रणाली है- सोन कनाल
•कोसी परियोजना से किन दो को लाभ प्राप्त होता है-  बिहार और नेपाल
•बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य की संयुक्त सिंचाई परियोजना है- गंडक परियोजना
•औरंगाबाद ,गया ,जहानाबाद और पटना जिले की सिंचाई की जाती है-पूर्वी सोन नहर
•बिहार राज्य में समग्र सिंचाई  संभाव्यता है- 103 लाख हेक्टेयर
•बिहार में सिंचाई हेतु भूजल संस्थानों की चरम सिंचाई क्षमता है- 48.57 लाख हेक्टेयर
•वर्ष 2008 -09 में बिहार में तालाब स्त्रोत से कितना प्रतिशत सिंचाई हुई- 6.77%
•बिहार आपदा  जोखिम प्रबंधन कार्यक्रम की शुरुआत हुई-मई 2007 में
•त्रिवेणी नहर में किस नदी से पानी आता है– गंडक
सारण सिंचाई नहर निकलती है- गंडक
•बिहार में स्थित गंडक नदी किनारे हैं- ढाका और  तिउर
•बिहार में नेहरो द्वारा सबसे अधिक सिंचाई किस क्षेत्र में होती है– रोहतास
•सदा वाही  नहरो से सिंचाई अधिक प्रचलित है- उत्तर बिहार में
•कोसी परियोजना कब बनकर तैयार हुई- 1965 ईस्वी में
•सकरी नदी से सिंचाई की जाती है- गया ,नालंदा  और पटना
•बिहार के किस जिले की सिंचाई क्षमता न्यूनतम है- जमुई
•बिहार में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग कितना प्रतिशत भूमि सिंचित है– 50%
•ऑन फॉर्म जल प्रबंधन कार्यक्रम बिहार के कितने जिलों में चलाया जा रहा है- 38
•क्षेत्रफल की दृष्टि कौन से बिहार के किस जिले में नलकूप द्वारा न्यूनतम सिंचाई होती है- मुंगेर
•बिहार में पुनपुन  बराज सिंचाई परियोजना स्थित है- औरंगाबाद में
•लोकायन सिंचाई योजना बिहार के किस जिले में है- नालंदा
•बिहार के सिंचित भूमि में लघु एवं अत्यंत लघु सिंचाई का योगदान है– 7.53 प्रतिशत
•बटेश्वर जलाशय योजना संयुक्त सिंचाई परियोजना है– बिहार
•बिहार का कितना क्षेत्रफल बाढ़  प्रवण है-68.80लाख हेक्टेयर
•इंद्रपुरी जलाशय योजना में बिहार झारखंड के अतिरिक्त अन्य किस राज्य की भागीदारी है- उत्तर प्रदेश
•उत्तर कोयल जलाशय योजना में झारखंड के साथ किस राज्य की भागीदारी है– बिहार
•बटाने जलाशय योजना किन दो राज्य की संयुक्त परियोजना है –बिहार, झारखंड
•बिहार का कितना प्रतिशत क्षेत्रफल बाढ़ ग्रस्त है- 74%
•बिहार में अगस्त 2018 में कौनसी की भयानक बाढ़ किस तट बंध के टूटने से आई थी- कुशहा में पूर्वी तटबंध
•भारत का सर्वाधिक बाढ़ प्रवीण राज्य है- बिहार
•बिहार में कोसी बाढ़ 2008 से कितने लोग प्रभावित हुए- 33.29 लाख
•गंडक परियोजना से चार नेहर निकाली गई हैं जो  इस प्रकार है
1  मुख्य पश्चिमी नहर      – 200 किलोमीटर लंबी( बिहार में 69 किलोमीटर)
2   मुख्य पूर्वी नहर         – 293 किलोमीटर लंबी
3   पूर्वी नेपाल लहर        – 79 किलोमीटर लंबी
4    पश्चिमी नेपाल नहर    – 34 किलोमीटर लंबी

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