Saturday 1 February 2020

के एम करिअप्पा (सेनाध्यक्ष)

के एम करिअप्पा (सेनाध्यक्ष)
* फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में प्रत्येक साल सेना दिवस मनाया जाता है
* करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ थे जिन्होंने 15 जनवरी 1949 में सर फ्रैंसिस बुचर से प्रभार लिया था
* यह मौका भारतीय सेना के लिए एक बहुत ही अहम था इसलिए भारत में प्रत्येक साल इस दिन को सेना दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया तथा तब से अब तक यह परंपरा चली आ रही है
* फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 में कर्नाटक में हुआ था
* उनके पिता कोडंडेरा एक राजस्व अधिकारी थे
* करिअप्पा के तीन भाई तथा दो बहनें भी थीं
* करिअप्पा को घर के सभी लोग प्यार से ‘चिम्मा’ कहकर पुकारते थे
* करिअप्पा की प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई
* वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, किन्तु गणित, चित्रकला उनके प्रिय विषय थे
* फुरसत के क्षणों में वह प्रायः कैरीकेचरी बनाया करते थे
* सन् 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात् इसी वर्ष उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में प्रवेश ले लिय़ा
* कालेज जीवन में प्राध्यापक डब्लू.एच. विट्वर्थ व अध्यापक एस.आई. स्ट्रीले का करिअप्पा पर गहरा प्रभाव पड़ा इनके मार्गदर्शन में करिअप्पा का किताबों के प्रति लगाव बढ़ता गया
* एक होनहार छात्र के साथ-साथ वह क्रिकेट, हॉकी, टेनिस के अच्छे खिलाड़ी भी रहे
* फील्ड मार्शल करियप्पा ने मात्र 20 साल की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में नौकरी शुरू की थी
* केएम करियप्पा ने साल 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व भी किया था
* उन्हें भारत-पाक आजादी के समय दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी
* वे साल 1953 में सेना से रिटायर हो गए थे
* उन्होंने 1956 तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत के उच्चायुक्त के रूप में काम किया
* भारत सरकार ने उन्हें साल 1986 में 'फील्ड मार्शल' के पद से सम्मानित किया था
* वे 14 जनवरी 1986 को ‘फील्ड मार्शल’ का खिताब प्राप्त करने वाले दूसरे व्यक्ति थे
* साल 1973 में भारत के पहले फील्ड मार्शन बनने का सम्मान सैम मानेकशॉ को है
* फील्ड मार्शल करियप्पा का निधन 15 मई 1993 को बेंगलुरु में हो गया था
* भारतीय सेना में फील्ड मार्शल का पद सर्वोच्च होता है ये पद सम्मान स्वरूप दिया जाता है
* भारतीय इतिहास में अभी तक यह रैंक केवल दो अधिकारियों (सैम मानेकशॉ और केएम करियप्पा) को दिया गया है

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