लीप ईयर डे
* लीप वर्ष हर चार वर्ष बाद आने वाला वर्ष लीप वर्ष या अधिवर्ष कहलाता है
* इस वर्ष में 365 के स्थान पर 366 दिन होते हैं अर्थात एक दिन अधिक होता है
* पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और लगभग 6 घंटे लगते हैं इस कारण से प्रत्येक चार वर्ष में एक दिन अधिक हो जाता है, अतः प्रत्येक चार वर्ष बाद फ़रवरी माह में एक दिन अतिरिक्त जोड़ कर संतुलन बनाया जाता है
* अधिवर्ष संख्या 4 से भाज्य होते हैं
* '00' से अंत होने वाले वर्ष अधिवर्ष नहीं होते किंतु 2000 अधिवर्ष था
* वह चंद्र वर्ष जिसमें मलमास पड़ता हो लीप वर्ष होता है
* वह ईस्वी सन् जिसमें फ़रवरी 29 दिन का हो लीप वर्ष होता है
* वह सौर वर्ष जिसमें फाल्गुन 31 दिन का हो, लीप ईयर होता है
* लीप वर्ष का अतिरिक्त दिन 29 फ़रवरी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रकृति द्वारा सौर मंडल और इसके नियमों से आता है
* यह धरती के सूर्य की परिक्रमा करने से जुड़ा हुआ है
* पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365.242 दिन लगते हैं अर्थात एक कैलेंडर वर्ष से चौथाई दिन अधिक। अतः प्रत्येक चौथे वर्ष कैलेंडर में एक दिन अतिरिक्त जोड़ना पड़ता है इस बढ़े दिन वाले साल को लीप वर्ष या अधिवर्ष कहते हैं
* ये अतिरिक्त दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर में लीप वर्ष का 60वाँ दिन बनता है अर्थात 29फ़रवरी
* यदि 29 फ़रवरी की व्यवस्था न हो तो हम प्रत्येक वर्ष प्रकृति के कैलेंडर से लगभग छह घंटे आगे निकल जाएँगे, यानि एक सदी में 24 दिन आगे। यदि ऐसा होता तो मौसम को महीने से जोड़ कर रखना मुश्किल हो जाता
* यदि लीप वर्ष की व्यवस्था ख़त्म कर दें तो आजकल जिसे मई-जून की सड़ी हुई गर्मी कहते हैं वैसी स्थिति 500 साल बाद दिसंबर में आएगी
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