Wednesday 19 February 2020

विलुप्त होने के कगार पर हैं पक्षियों के कयी प्रजातियां: #स्टेट आॅफ इंडियाज बर्ड्स रिपोर्ट 2020 ( COP 13)

#विलुप्त_होने_के_कगार_पर_हैं_पक्षियों_के_कयी_प्रजातियां:#स्टेट_आॅफ_इंडियाज_बर्ड्स_रिपोर्ट_2020
(#COP_13)
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गांधीनगर में वन्‍य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर 13वें सीओपी सम्मेलन का उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारत दुनिया के सर्वाधिक विविधताओं से भरे देशों में से एक है. उन्होंने कहा कि विश्व के 2.4 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र के साथ, भारत ज्ञात वैश्विक जैव विविधता में करीब आठ प्रतिशत का योगदान करता है.

रिपोर्ट के अनुसार भारत में पक्षियों पर संकट गहराता जा रहा है. एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 79 प्रतिशत पक्षियों की संख्या घटी है, जिनमें से कइयों के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है. प्रवासी जीवों पर हो रहे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, सीओपी-13 में ‘स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स रिपोर्ट: 2020’ के जरिए पक्षियों के ताजा आंकड़े सामने आए हैं.

👉गौरैया की संख्या लगभग स्थिर
• रिपोर्ट के अनुसार, आम धारणा के विपरीत 25 साल से अधिक समय में गौरैया की संख्या लगभग स्थिर है. मोर की संख्या बढ़ रही है. रिपोर्ट के अनुसार गिद्ध की संख्या पहले घट रही थी, लेकिन अब यह बढ़ने लगी है.

• बहुत लंबे समय से जिन पक्षियों की संख्या सबसे तेजी से घट रही है, उनमें पीले पेट वाली कठफोड़वा, कॉमन वुडश्रिक, कपास चैती, छोटे पंजों वाली स्नेक ईगल, बड़ी कोयल, सामान्य ग्रीन शैंक आदि हैं.

• हालांकि, गौरैया की संख्या दिल्ली, मुंबई समेत छह मेट्रो शहरों में थोड़ी गिरावट आई है. जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध पश्चिमी घाटों पर साल 2000 से पक्षियों की तादाद में 75 प्रतिशत तक कम हुई है.

🌺रिपोर्ट से संबंधित मुख्य तथ्य
• इस रिपोर्ट में 867 प्रकार के पक्षियों का अध्ययन कर उनके दीर्घावधि (25 साल) एवं लघु अवधि (पांच साल) आंकड़े जुटाए गए.

• रिपोर्ट में जिन 261 प्रजातियों के दीर्घावधि आंकड़े सामने आए हैं, उनमें से 52 प्रतिशत की संख्या साल 2000 से घट रही है. वहीं, 22 प्रतिशत की संख्या में तेजी से गिरावट आई है.

• रिपोर्ट में जिन 146 प्रजातियों के लघु अवधि के आंकड़ों का विश्लेषण हुआ, उनमें से 80 प्रतिशत की संख्या कम हुई है और 50 प्रतिशत की संख्या तो तेजी से गिरी है. इस रिपोर्ट में 101 प्रजातियों के संरक्षण पर अत्यधिक चिंता जताई गई है.

• आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि पक्षियों की 48 प्रतिशत प्रजातियों की संख्या स्थिर रही है अथवा दीर्घावधि में बढ़ी है. लेकिन पिछले पांच साल में 79 प्रतिशत पक्षियों की संख्या में गिरावट आना चिंताजनक है.

• रिपोर्ट के अनुसार तेजी से गिरावट वाले पक्षियों में शिकारी पक्षी, प्रवासी समुद्री पक्षी पिछले दशकों में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.

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