राम वी सुतार (मूर्तिकार)
* राम सुतार भारत के एक सुप्रसिद्ध मूर्तिकार हैं
* इस शिल्पकार का पूरा नाम राम वनजी सुतार है
* रामसुतार का जन्म 19 फ़रवरी 1925 को महाराष्ट्र में धूलिया जिले के गोन्दुर गाँव में एक गरीब परिवार में हुआ
* आपके पिता वनजी हंसराज जाति व कर्म से बढई थे
* 1952 में आपका विवाह प्रमिला के साथ हुआ जिनसे आपको 1957 में एकमात्र पुत्र अनिल रामसुतार हुआ
* अनिल वैसे तो पेशे से वास्तुकार है परन्तु अब वह भी नोएडा स्थित अपने पिता के स्टूडियो व कार्यशाला की देखरेख का कार्य करता है
* आपने अपने गुरु रामकृष्ण जोशी से प्रेरणा लेकर बम्बई स्थित जे०जे०स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया और 1953 में इसी स्कूल से मॉडेलिंग में सर्वोच्च अंक अर्जित करते हुए मेयो गोल्ड मेडल हासिल किया
* मॉडेलर के रूप में औरंगाबाद के आर्कियोलोजी विभाग में रहते हुए 1954 से 1958 तक आपने अजन्ता व एलोरा की प्राचीन गुफाओं में मूर्तियों के पुनर्स्थापन (रेस्टोरेशन) का कार्य किया
* 1958-59 में आप सूचना व प्रसारण मन्त्रालय भारत सरकार के दृश्य श्रव्य विभाग में तकनीकी सहायक भी रहे
* 1959 में आपने स्वेच्छा से सरकारी नौकरी त्याग दी और पेशेवर मूर्तिकार बन गये
* आपने कई महापुरुषों की बहुत विशाल मूर्तियाँ बनायीं और उनके माध्यम से प्रचुर मात्रा में नाम और नामा दोनों कमाया
* वैसे तो आपने बहुत सी मूर्तियाँ बनायीं किन्तु उनमें से कुछ उल्लेखनीय योगदान इस प्रकार हैं
> 45 फुट ऊँची चम्बल देवी की मूर्ति गंगासागर बाँध मध्य प्रदेश भारत
> 21 फुट ऊँची महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति अमृतसर
> 18 फुट ऊँची सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति संसद भवन नई दिल्ली
> 17 फुट ऊँची मोहनदास कर्मचन्द गान्धी की मूर्ति गान्धीनगर गुजरात
> 9 फुट ऊँची भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति जम्मू
> भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की आवक्ष प्रतिमा
* संसद में लगाई गई इंदिरा गांधी मौलाना आजाद जवाहरलाल नेहरू समेत 16 मूर्तियों को भी राम वी. सुतार ने ही बनाया था
* मूर्तिकार राम वंजी सुतार ने विश्व की इस सबसे ऊंची सरदार पटेल जी की मूर्ति (स्टैचू ऑफ यूनिटी) का डिजाइन तैयार किया और बतौर मूर्तिकार मुख्य भूमिका निभाई है
* इस आयु में भी वह असीमित ऊर्जा से भरपूर होकर छत्रपति शिवाजी की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा के डिजाइन करने में लगे हुए हैं
* अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्रित्व काल में भारत सरकार ने आपकी कलात्मक शिल्प साधना को सम्मानित करते हुए 1999 में पद्मश्री से अलंकृत किया
* इन्हें 2016 में पद्म भूषण पुरस्कार के साथ ही 2018 में टैगोर कल्चरल अवॉर्ड भी मिलेगा
* इन्हें बांबे आर्ट सोसाइटी के लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा गया है
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