Thursday, 30 August 2018

कृषि #मिशन

#कृषि #मिशन!!
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देश के किसानों की स्थिति सुधारने के लिए 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग (एन सी एफ) का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य किसानों की समस्याओं को दूर करके, उन्हें अपनी आय बढ़ाने के उपायों को समझाना और युवा पीढ़ी के लिए खेती को आकर्षक बनाना था। आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट देते हुए कृषि में उन्नति के साथ-साथ किसानों की समृद्धि के लिए भी कई सुझाव दिए थे। आयोग ने कृषि संबंधी सभी नीतियों और कार्यक्रमों में मानवीय और लैंगिक पक्षों को ध्यान में रखा। भूमि और सिंचाई सुधारों पर व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें भूमि, जल, जैव विविधता एवं मौसमीय संसाधनों को उत्पादकता के लिहाज से अति महत्वपूर्ण बताया गया था।

जहाँ तक कृषि को युवाओं के लिए आकर्षक बनाने का सवाल है, इस पर आयोग ने इसे बौद्धिक रूप से उत्प्रेरक और आर्थिक रूप से लाभ देने वाला व्यवसाय बनाने की बात कही थी। एम.एस.स्वामीनाथन की अध्यक्षता में बनी यह रिपोर्ट वर्तमान प्रधानमंत्री के कार्यभार संभालने तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही। पिछले चार वर्षों से किसानों की आय और जीवन-स्तर को सुधारने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

किसानों के कल्याण को केन्द्र में रखते हुए कृषि मंत्रालय को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का दर्जा दे दिया गया।
किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया। इसका सीधा संबंध इंसानों के स्वास्थ्य के साथ है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के द्वारा माइक्रोसिंचाई को बढ़ावा दिया गया।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से पशुओं की देसी नस्ल में संरक्षण को प्रोत्साहित किया गया।
प्रधानमंत्री ने प्रथम अंतरराष्ट्रीय एग्रो बायोडायवर्सिटी कांग्रेस का उद्घाटन किया।
राष्ट्रीय कृषि बाजार को इलेक्ट्रॉनिक किए जाने का लाभ भी किसानों को मिल रहा है। इसके माध्यम से वे दूसरी मंडियों में अपनी ऊपज का भाव जान सकते हैं।
ग्रामीण कृषि बाजार के माध्यम से किसाने अपनी फसल सीधे उपभोक्ता को बेच सकते हैं।
कृषि ऊपज एवं पशुधन विपणन अधिनियम, 2017 एवं कृषि ऊपज एवं पशुधन अनुबंध कृषि सेवा अधिनियम, 2018 के द्वारा कृषि क्षेत्र में संस्थागत ऋण को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निश्चित किया गया।
कृषकों की आय को बढ़ाने के लिए मशरुम की खेती, बांस उत्पादन, मत्स्य पालन, कृषि वानिकी, कृमि खाद और कृषि-प्रसंस्करण आदि की जानकारी दी जा रही है। मत्स्य उत्पादन में भारत फिलहाल दुनिया में दूसरे स्थान पर है और मधुमक्खी पालन के साथ सौर ऊर्जा के मामले में भी हमारे किसान बहुत आगे हैं।
चालू वित्त वर्ष में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में लागत का डेढ़ गुना देने की घोषणा कर दी गई है।
अगर सरकार की सभी योजनाओं को राज्य और केन्द्र स्तर पर सही ढंग से कार्यान्वित किया जाएगा, तो किसानों की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार के साथ-साथ भोजन और पोषण के मामलों में भारत का स्तर भी बहुत ऊपर उठ सकेगा। प्रधानमंत्री पोषण मिशन के नाम से तीन वर्षीय योजना, 9,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ पहले ही शुरू की जा चुकी है।

‘द #टाइम्स ऑफ #इंडिया’ में प्रकाशित एम एस स्वामीनाथन के #लेख पर #आधारित

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