Friday 15 June 2018

भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

भारतीय संविधान के अनु०- 148 के अंतर्गत नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (Comptroller & Auditor General of India) की व्यवस्था की गयी है , जो अपने कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होता है | नियंत्रक व महालेखा परीक्षक , केंद्र व राज्य दोनों स्तर पर लोक वित्त का संरक्षक होने के साथ-साथ देश की वित्तीय व्यवस्था का भी नियंत्रक होता है |

Note :  भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि नियंत्रक व महालेखा परीक्षक भारतीय संविधान के तहत सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी होगा , जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में भारत सरकार के संरक्षकों में से एक होगा | जिसके अंतर्गत उच्चतम न्ययालय (Supreme court), निर्वाचन आयोग (Election Commission) , संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) , नियंत्रक व महालेखा परीक्षक शामिल है|


नियुक्ति , कार्यकाल  व निष्कासन
नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है |

इसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले पूर्ण हो निर्धारित किया गया है , किंतु यह किसी भी समय राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है |

नियंत्रक व महालेखा परीक्षक को हटाने की प्रक्रिया के समान है अर्थात् उसे सिद्ध कदाचार व असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विशेष बहुमत से राष्ट्रपति के द्वारा नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) को उसके पद से हटाया जा सकता है |

कर्तव्य व शक्तियां
अनु०- 149 के अनुसार संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की सेवा व शर्तों को निर्धारित करे , अत: संसद ने 1976 के अधिनियम द्वारा नियंत्रक व महालेखा परीक्षक के कार्यों को निम्न प्रकार से संसोधित किया —

वर्ष 1976 नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) ही केंद्र सरकार के वित्तीय मामलों की लेखा और परीक्षण (Accounting & Auditing) करता था , किंतु 1976 में संविधान संसोधन द्वारा इसे केंद्र सरकार के वित्तीय लेखो (Accounting) के कार्य से मुक्त कर   दिया गया | वर्तमान में यह केवल केंद्र सरकार के वित्तीय मामलों का परीक्षण करता है |
CAG द्वारा ही केंद्र सरकार व राज्य सरकार के वित्तीय व लेखा मामलों का परीक्षण किया जाता है |
CAG द्वारा ही केंद्र सरकार , राज्य सरकार व सार्वजनिक उपक्रमों का लेखा परीक्षण किया जाता है |
नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) , राष्ट्रपति व राज्यपाल के अनुरोध किए जाने पर किसी भी संस्था का लेखा परीक्षण कर सकता है |
नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा केंद्र सरकार के लेखा परीक्षण की रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है तथा राष्ट्रपति इसे संसद में प्रस्तुत करता है |
CAG द्वारा राज्य सरकार के लेखा परीक्षण की रिपोर्ट राज्यपाल  को प्रस्तुत करता है तथा राज्यपाल  इसे विधानमंडल  में प्रस्तुत करता है |
CAG द्वारा तीन प्रकार की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है —

विनियमन खातों पर लेखा रिपोर्ट (Audit report on Appropriation Account)
वित्तीय खातों पर लेखा परीक्षण (Audit report on Finance Account)
सार्वजनिक उपक्रमों पर लेखा परीक्षण (Audit report on Public Undertaking)
स्वतंत्रता
नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) को निष्पक्षता पूर्वक कार्य करने के लिए निम्न स्वतंत्रता प्रदान की गयी है —

कार्यकाल की सुरक्षा – CAG को केवल संविधान में उल्लेखित प्रक्रिया के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है , इस प्रकार यह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत अपने पद पर नहीं रहता है |
CAG की सेवा शर्ते राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती है व इनका वेतन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान होता है |
CAG की नियुक्ति के बाद उसके संबंध के कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है |
सेवानिवृति के बाद यह केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई पद नहीं प्राप्त कर सकता है |
CAG के वेतन भत्ते व आदि सभी खर्चे भारत की संचित निधि पर भारित होते है |

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