Thursday 17 May 2018

कभी चावल मिल में क्लर्क थे येदियुरप्पा, आरोप लगने के बाद पार्टी-सीएम पद छोड़ा; तीसरी बार संभाली कुर्सी

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बेंगलुरु. बीएस येदियुरप्पा (75) ने गुरुवार को तीसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री शपथ ली। हालांकि उनके साथ किसी भी मंत्री ने शपथ नहीं ली है। उन्होंने चावल मिल के क्लर्क के रूप में नौकरी शुरू की शुरुआत की। 1970 में जनसंघ से उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। नवंबर 2007 को पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री चुने गए। 4 साल बाद उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। येदियुरप्पा ने केवल मुख्यमंत्री पद ही नहीं, भाजपा से भी इस्तीफा दे दिया।

दक्षिण में पहली बार भाजपा की सरकार बनाने का श्रेय
- दक्षिण में पहली बार भाजपा की सरकार बनाने का श्रेय येदियुरप्पा को दिया जा सकता है। 
- येदियुरप्पा 1983 से शिकारीपुरा से 8 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 1999 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, हालांकि वे विधानपरिषद में चुनकर आ गए। 2004 में येदियुरप्पा विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए।
चावल मिल में नौकरी की
-1965 में येदियुरप्पा ने सामाजिक कल्याण विभाग में क्लर्क के रूप में नौकरी ज्वाइन की। हालांकि कुछ समय बाद यहां से छोड़कर वीरभद्र शास्त्री की चावल मिल में नौकरी कर ली।
- 1967 में उन्होंने चावल मिल मालिक की बेटी से शादी कर ली।
2007 में पहली बार सत्ता में आए
- 2007 में जेडीएस ने धरम सिंह की अगुआई वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेकर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने फैसला लिया। कुमारस्वामी (जेडीएस) और येदियुरप्पा (भाजपा) के 20-20 महीने के लिए मुख्यमंत्री रहने के लिए मुहर लगी।
- पहले 20 महीने के लिए कुमारस्वामी मुख्यमंत्री और येदियुरप्पा उपमुख्यमंत्री बने। जब येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने के बारी आई, तब कुमारस्वामी ने पद छोड़ने से मना कर दिया। इसके चलते येदियुरप्पा समेत सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। 5 अक्टूबर 2007 को बीजेपी ने जेडीएस से औपचारिक तौर पर समर्थन वापस ले लिया। कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
- 7 नवंबर 2007 को जेडीएस-भाजपा में सुलह हो गई और येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हुआ।
- 12 नवंबर 2007 को येदियुरप्पा ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 
- 19 नवंबर 2007 अपने मंत्रियों की संख्या पर रजामंदी न बन पाने पर जेडीएस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 7 दिन बाद येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा।
2008 में दोबारा मुख्यमंत्री बने, आरोपों के चलते 2011 में इस्तीफा
- 2008 में येदियुरप्पा शिकारीपुरा से एस बंगारप्पा 45 हजार वोटों से जीते और 30 मई 2008 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
- मुख्यमंत्री रहने के दौरान येदियुरप्पा पर अवैध खनन का आरोप लगा। लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में बेंगलुरु और शिमोगा में येदि द्वारा अवैध खनन कराने की बात कही। दबाव के चलते 31 जुलाई, 2011 को उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
2012 में दूसरी पार्टी बनाई
- नवंबर 2012 में भाजपा से इस्तीफा देकर येदियुरप्पा ने कर्नाटक जन पक्ष (केजेपी) पार्टी बनाई। 2013 में वे केजेपी से ही शिकारीपुरा से फिर विधायक चुने गए।
- नवंबर 2013 में येदियुरप्पा ने बिना शर्त भाजपा में लौटने का एलान किया। जनवरी 2014 में लोकसभा चुनाव के पहले येदि भाजपा में शामिल हो गए।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में येदियुरप्पा ने शिमोगा से 3 लाख 63 हजार वोटों से जीत दर्ज की।
- 2016 में उन्हें दोबारा कर्नाटक का बीजेपी प्रमुख बनाया गया। उनकी अगुआई में भाजपा ने कर्नाटक में 104 सीटें जीतीं।
Source-Bhaskar

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